डॉ. अरविंद गुप्ते
एक आम भ्रम यह है कि पक्षी रहने या रात गुज़ारने के लिए घोंसला बनाते हैं। सच्चाई यह है कि घोंसला केवल अंडे देने और उनसे निकलने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए बनाया जाता है। जैसे ही बच्चे बड़े होकर उड़ जाते हैं पक्षी घोंसले को छोड़ देते हैं। अगले प्रजनन के समय या तो नया घोंसला बनाया जाता है या पुराने घोंसले की मरम्मत करके उसे काम में लिया जाता है।
अपने प्राकृतिक आवास में पक्षी घोंसला बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री, जैसे लकडी के टुकड़े, घास के तिनके या पत्तों का उपयोग करते हैं। कुछ पक्षी अपने घोंसलों में मकड़ी के जाले या पंख बिछाकर एक अस्तर बना देते हैं ताकि बच्चों को आरामदेह बिस्तर मिल सके। शहरी क्षेत्रों में घोंसला बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्री न मिलने के कारण पक्षी जुगाड़ करके जो सामग्री मिल जाए उसी से घोंसला बना लेते हैं - प्लास्टिक के टुकड़े, कागज़, एल्युमिनियम की पन्नी आदि। कुछ देशों में तो पक्षियों के घोंसलों में सिगरेट के ठूंठ तक पाए गए हैं। भारत में कौओं को लोहे के तारों से घोंसला बनाते देखा जा सकता है। एक समाचार छपा था कि मुंबई में एक व्यक्ति सुबह टहलते समय लोहे के तार के टुकडे फेंकता जाता है और कौओं का झुंड इन टुकड़ों को झपटता चलता है, घोंसला बनाने के लिए।
जहां तक सिगरेट के ठूंठों का सवाल है, यह सोचा गया था कि अन्य चीज़ों के साथ पक्षी ठूंठ भी ले आते होंगे। किंतु एवियन बायॉलॉजी नामक पत्रिका में मेक्सिको के नेशनल ऑटोनॉमस विश्विद्यालय की डॉ. सुआरेज रॉड्रिग्ज़ और डॉ. मासिआज गार्सिया ने एक शोध पत्र में बताया है कि पक्षियों द्वारा घोंसलों में सिगरेट के ठूंठ जानबूझकर रखे जाते हैं। इससे खून चूसने वाले परजीवी घोंसलों में नहीं पनपते।
सच्चाई जानने के लिए शोधकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में घोसले बनाने वाले हाउस फिन्च नामक पक्षियों के 32 घोंसले चुने। इन पर काम तभी शुरू किया गया जब अंडों में से बच्चे निकल आए क्योंकि यदि बच्चों के बाहर आने से पहले घोंसले से छेड़छाड़ की जाए तो पक्षी वह घोंसला छोड़ कर चले जाते हैं। सभी 32 घोंसलों से पक्षियों द्वारा लगाया गया अस्तर हटा दिया गया। ऐसा करने पर सभी घोंसलों से परजीवी किलनियां भी हट गईं क्योंकि वे अस्तर में रहती हैं। फिर शोधकर्ताओं ने हर घोंसले में नरम ऊनी कपड़े से बना एक प्याला रखा और उस में वही वनस्पति सामग्री बिछा दी जिसका उपयोग पक्षी आम तौर पर करते थे। अब 10 घोंसलों में से प्रत्येक में 70 जीवित किलनियां डाल दी गईं, अन्य 10 में से प्रत्येक में 70 मृत किलनियां रखी गईं, और शेष 12 में एक भी किलनी नहीं रखी गई - न जीवित, न मृत। जब घोंसलों से बच्चे उड़ गए तब सभी घोंसलों के अस्तरों का परीक्षण किया गया।
यह पाया गया कि जिन घोंसलों में मृत किलनियां रखी गई थीं और जिनमें कोई किलनी नहीं रखी गई थी उनमें सिगरेट का एक भी ठूंठ नहीं था। इसके विपरीत, जिन घोंसलों में जीवित किलनियां रखी गई थीं उनमें कम से कम एक ठूंठ पाया गया। अत: शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि फिन्च जानबूझकर सिगरेट के ठूंठ घोंसलों में रखते हैं ताकि खून चूसने वाले परजीवी हट जाएं और चूज़े सुरक्षित रहें। (स्रोत फीचर्स)