कई मामलों में ऐसा देखा जाता है कि हर तरह का इलाज होने के बाद लगता है कि कैंसर पूरी तरह समाप्त हो गया है किंतु कुछ समय बाद वह शरीर में किसी दूसरी जगह पर सिर उठाता है। इसे मेटास्टेसिस कहते हैं और कैंसर से होने वाली 90 प्रतिशत मौतें मेटास्टेसिस से उत्पन्न कैंसर की वजह से होती हैं। इस प्रक्रिया को समझने में काफी सफलता भी मिली है।
कैंसर कोशिकाओं की एक विशेषता यह होती है कि वे तेज़ी से और असीमित ढंग विभाजित होती हैं। कैंसर के उपचार का एक आधार यही है कि शरीर में तेज़ी से विभाजित होती कोशिकाओं को मार डाला जाए। इस प्रक्रिया में स्वस्थ कोशिकाएं भी मारी जाती हैं। सवाल है कि जब सारी विभाजित होती कोशिकाओं को मार दिया जाता है तो मेटास्टेसिस के लिए कोशिकाएं कहां से आती हैं। इस सवाल का जवाब ढूंढने में दुनिया भर की कई शोध टीमें जुटी हुई हैं।
अनुसंधान से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि कुछ कोशिकाएं कैंसर गठान के विकास के शुरुआती दौर में ही टूटकर अलग हो जाती हैं और अन्यत्र पहुंचकर पैर जमा लेती हैं। नई जगह पहुंचकर ये निष्क्रिय पड़ी रहती हैं। जासूसी भाषा में इन्हें स्लीपर कहा जाता है। इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि ये कोशिकाएं तब सक्रिय हो जाती हैं जब कोई संदेश इन्हें मिलता है। अलबत्ता, यह पता नहीं चल पाया है कि इन्हें जगाने का संदेश क्या होता है और कहां से आता है।
शोधकर्ता इस सुप्तावस्था का अध्ययन कर रहे हैं मगर उसमें एक समस्या है - अब तक कैंसर अध्ययन के लिए जो चूहा-मॉडल विकसित किए गए हैं उनमें कैसर का विकास तेज़ी से होता है जबकि सुप्तावस्था के अध्ययन के लिए ऐसे मॉडल की ज़रूरत है जिनमें कैंसर धीमी गति से पनपे। ऐसे मॉडल जंतु तैयार करना मुश्किल है किंतु कई प्रयोगशालाओं में ऐसे जंतु तैयार कर लिए गए हैं।
दूसरी बात यह है कि ऐसी सुप्त कैंसर कोशिकाओं को पहचानने की तकनीकें विकसित करना। इसके लिए नॉर्थ कैरोलिना स्थित ड्यूक विश्विद्यालय की चिकित्सा अध्ययन शाला के जोशुआ स्नाइडर उन कोशिकाओं को पहचानने के लिए फ्लोरेसेंट चिंहों का उपयोग कर रहे हैं जिनमें कैंसर सम्बंधी जीन्स की अभिव्यक्ति हो रही है। इसके आधार पर वे इन कोशिकाओं की डीएनए श्रृंखला के मानक तैयार कर लेंगे, जिनसे तुलना करके सुप्त कैंसर कोशिकाओं को पहचाना जा सकेगा।
सुप्त कैंसर कोशिकाओं की पहचान होने के बाद अगला कदम यह देखने का होगा कि इन्हें सुप्तावस्था में रखने वाले जीन्स कौन-से हैं और कौन-से वे जीन्स हैं जो इन्हें फिर से सक्रिय कर देते हैं। ऐसे जीन्स की मदद से इन्हें पुन: जाग्रत होने और कैंसर को आगे बढ़ने से रोका जा सकेगा।
इसी संदर्भ में एगिरे-गिसो की माउंट सिनाई स्थित प्रयोगशाला में प्रयोगों से पता चला है कि दो कैंसर-औषधियों का मिश्रण प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं को सुप्त बना देता है। चूहों और प्रयोगशाला में पनपाई गई कोशिकाओं में देखे गए इस असर को अब इंसानों में परखने की तैयारी चल रही है। यह तो हुआ सोते शेर को सोते रहने देने या जागे शेर को सुलाने का तरीका।
इसी संदर्भ में कुछ शोधकर्ता सुप्त कोशिकाओं के उन्मूलन के प्रयास भी कर रहे हैं। ऐसा देखा गया है कि सुप्त कैंसर कोशिकाओं में एक प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में बनता है। शोधकर्ताओं ने इस प्रोटीन की क्रिया को बाधित करने वाला पदार्थ भी खोज निकाला है और पता चला है कि यह कैंसर कोशिका को मार सकता है। इस तरह के अनुसंधानों से आशा जाग रही है कि जल्दी ही हम मेटास्टेसिस-जनित कैंसर को रोक सकेंगे। (स्रोत फीचर्स)