कोई बच्चा लड़का होगा या लड़की, यह गुणसूत्रों पर निर्भर करता है। मनुष्य में 23 जोड़ी गुणसूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 22 जोड़ियों में दोनों गुणसूत्र एक-जैसे होते हैं जबकि 23वीं जोड़ी में दोनों गुणसूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। इन्हें एक्स और वाय कहते हैं। यदि 23वीं जोड़ी में दोनों गुणसूत्र एक्स हों, तो संतान लड़की होती है जबकि एक एक्स और एक वाय हो तो लड़का। लेकिन ऐसा देखा गया है कि कभी-कभी गुणसूत्र लड़के वाले होते हैं किंतु संतान लड़की होती है। अब वैज्ञानिकों को लग रहा है कि उन्होंने इसका कारण पता कर लिया है, कम से कम चूहों के संदर्भ में।
यदि अपने भरोसे छोड़ दिया जाए तो सारे भ्रूण मादा में विकसित होंगे। किंतु वाय गुणसूत्र पर एक जीन होता है - SRY - जो सक्रिय होकर भ्रूण के विकास की दिशा बदल देता है। इसके सक्रिय होने पर भ्रूण में अंडकोश, शिश्न तथा अन्य नर लैंगिक गुण प्रकट होने लगते हैं। SRY नामक यह जीन दरअसल एक अन्य जीन Sox9 को सक्रिय कर देता है जो वृषण (अंडकोश) का निर्माण शुरू करवाता है। यह बात तो जीव वैज्ञानिकों को लंबे समय से पता है कि विकास के प्रारंभिक दौर में ही एक या एक से अधिक प्रेरक Sox9 को सक्रिय करते हैं मगर यह पता नहीं था कि ये प्रेरक तत्व कौन-से हैं। होता यह है कि पूरे जीनोम में उपस्थित 21,000 जीन्स के लिए करीब 10 लाख प्रेरक होते हैं। डीएनए के ये छोटे-छोटे टुकड़े उस जीन के बाहर होते हैं किंतु ये ऐसे स्थल उपलब्ध कराते हैं जहां उस जीन को चालू/बंद करने वाले प्रोटीन जुड़ सकते हैं।
Sox9 के प्रेरक 20 लाख क्षारों में फैले होते हैं। इन प्रेरकों का पता लगाने के लिए फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट, लंदन के रॉबिन लवेल-बेज तथा शिकैगो के नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय की डेनिएल माटूक ने कई तकनीकों की मदद ली। इनमें यह पता लगाया जाता है कि प्रेरक को सक्रिय करने वाला प्रोटीन कहां जुड़ता है या उन स्थानों का पता लगाया जाता है जहां डीएनए की तहें खुलकर इन प्रेरक प्रोटीन्स के लिए रास्ता बनाती हैं। टीम ने चूहे के भ्रूण में डीएनए के उन खंडों की तलाश की जो भ्रूण में लिंग निर्धारित होने से तत्काल पहले या बाद में इस तरह खुलते हैं या जहां प्रोटीन जुड़ते हैं।
शोधकर्ताओं को Sox9 के लिए 16 उम्मीदवार प्रेरकों का पता चला। इसके बाद अन्य परीक्षणों की मदद से उन्होंने अपनी खोज को 557 क्षार लंबे प्रेरक पर सीमित कर लिया। यह Sox9 जीन से करीब 10 लाख क्षारों की दूरी पर स्थित है। तो इतनी दूरी से यह अपने लक्षित जीन (Sox9) को सक्रिय कैसे करता है? इसके लिए गुणसूत्र में छल्ला-सा बनता है ताकि जीन और प्रेरक पास-पास आ जाएं।
जब शोधकर्ताओं ने इस प्रेरक को ठप कर दिया तो Sox9 की सक्रियता में कमी आई और भ्रूण नर की ओर अग्रसर नहीं हुआ। इस शोध के परिणाम साइन्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
मनुष्यों के 5500 शिशुओं में से लगभग एक में इसी तरह की लिंग-सम्बंधी दिक्कत देखी जाती है। कुछ में नर गुणसूत्र तो होता है किंतु अंडकोश नहीं होते और इस स्थिति के कारण आधे मामलों में ही पता चल पाते हैं। इस नई खोज के बाद डॉक्टर उपरोक्त प्रेरक की भी जांच कर सकेंगे। कुछ शोधकर्ताओं ने अपने मरीज़ों के जीनोम में ऐसे खंडों की तलाश शुरू भी कर दी है। (स्रोत फीचर्स)