अमेरिकी लोगों पर किए गए एक अध्ययन से यह पता चलता है कि धार्मिक व्यक्ति अपनी कल्पना में इश्वर को किस रूप में देखते हैं। प्लॉस-वन नामक ऑनलाइन शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि एक आम अमरीकी इश्वर में खुद का अक्स देखता है। और ईश्वर की इस छवि पर व्यक्ति की नस्ल तथा राजनैतिक विचारों का खासा प्रभाव पड़ता है।
अध्ययन के पहले चरण में 511 अमरीकी ईसाइयों को 300 जोड़ी इसानों की शक्लें दिखाई गईं। इन शक्लों में थोड़े-थोड़े अंतर थे। प्रत्येक व्यक्ति को यह चुनना था कि कौन-सी शक्ल ईश्वर का बेहतर चित्रण है।
लोगों के चुनाव के आधार पर वैज्ञानिकों ने प्रत्येक सहभागी के द्वारा चुने गए चित्रों में से एक औसत शक्ल बनाई। ओल्ड टेस्टामेंट में वर्णित कुपित इश्वर के विपरीत सहभागियों द्वारा चुने गए चित्रों के आधार पर यह औसत चित्र युवा और स्नेही दिखता था बनिस्बत उस औसत चित्र के जो अचयनित तस्वीरों को जोड़कर बनाया गया था। तस्वीर के स्नेही और युवा होने का आकलन वालंटियर्स के एक अन्य समूह द्वारा किया गया था।
मगर सहभागी किस तस्वीर को सबसे ‘सही’ मानेंगे, इस पर उनकी राजनैतिक सम्बद्धता का काफी असर देखा गया। रुढि़वादी विचारधारा से जुड़े लोगों का ईश्वर ज़्यादा मर्दाना, शक्तिशाली और गोरा था जबकि उदारवादी विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले लोगों के मन जो ईश्वर था वह ज़्यादा स्नेही था और उसकी चमड़ी का रंग गहरा था।
अपने चित्रण में लोग थोड़े आत्म-केंद्रित भी होते हैं। उम्रदराज़, आकर्षक तथा अश्वेत लोगों का इश्वर भी क्रमश: आकर्षक, बुज़ुर्ग और अश्वेत था। और यह भी सामने आया कि आम तौर पर इश्वर पुरुष ही था; स्त्री-पुरुष दोनों ने अधिकांशत: इश्वर को पुरुष ही माना। (स्रोत फीचर्स)