यह बात कई लोग, कई बार कहते सुने जाते हैं कि रोज़ाना थोड़ी-सी शराब पीना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। इस बात की जांच करने के लिए यूएस के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने 10 करोड़ डॉलर लगाकर एक अध्ययन शुरू करवाया था किंतु 15 जून को इसे बंद कर दिया गया। अध्ययन को बीच रास्ते में बंद करने का निर्णय इस आधार पर लिया गया है कि संस्थान के कर्मचारियों और बाहरी वैज्ञानिकों ने उद्योगों से वित्तीय सहायता की मांग की और अनुदान देने के लिए वैज्ञानिकों के चयन में पक्षपात किया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक फ्रांसिस कोलिन्स का मत है कि इस तरह की बातों से अध्ययन की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगने की आशंका थी।
यह अध्ययन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन एल्कोहल एब्यूज़ एंड एल्कोहोलिज़्म के तत्वावधान में शुरु हुआ था और फरवरी 2018 में इसके लिए सहभागियों का चयन शुरू किया गया था। लेकिन मार्च में ही यह उजागर हुआ कि उपरोक्त संस्था ने इस अध्ययन के लिए 5 शराब कंपनियों से 6.7 करोड़ डॉलर लिए हैं। यह भी सामने आया कि अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता केनेथ मुकामल ने 2013 और 2014 में शराब उद्योग से वित्तीय सहायता प्राप्त की थी।
इन खुलासों को देखते हुए राष्ट्रीय संस्थान ने मई में दो जांचें बैठाई। एक समिति से यह जांच करने को कहा गया कि क्या इस अध्ययन को वैज्ञानिक रूप से योग्य माना जा सकता है। दूसरी समिति से यह पता करने को कहा गया कि क्या संस्थान के कर्मचारियों ने उद्योग के साथ अनुचित वार्तालाप किया है।
पहली समिति का निष्कर्ष था कि प्रमुख शोधकर्ता और राष्ट्रीय संस्थान के कर्मचारियों ने शराब उद्योग से धन मांगा था। यह भी पता चला कि बाहरी वैज्ञानिकों ने इस संदर्भ में बातचीत में हिस्सा लिया था। इन वैज्ञानिकों ने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन एल्कोहल एब्यूज़ एंड एल्कोहोलिज़्म के अधिकारियों से सलाह मांगी थी कि अनुदान प्रस्ताव किस तरह का बनाएं। समिति का निष्कर्ष है कि इसका असर वैज्ञानिकों के चयन की प्रक्रिया पर पड़ सकता है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के दो वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित अध्ययन की समीक्षाओं में भी मत व्यक्त किया गया था कि इसमें 16 स्थानों से 7800 लोगों को शामिल करने की बात कही गई, जो बहुत अपर्याप्त है और इस अध्ययन के नतीजे भ्रामक हो सकते हैं। इसमें उद्योग से वित्तीय सहायता के प्रावधान पर भी समीक्षकों ने टिप्पणी की थी कि यह पूरे अध्ययन पर असर डाले बिना नहीं रहेगा।
अंतत: समूचे अध्ययन को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। वैसे यह पहली बार नहीं है कि उद्योग की दखलंदाज़ी की बात सामने आई है। सिगरेट तथा तंबाकू सम्बंधी अध्ययनों में यह हस्तक्षेप उजागर हुआ था और काफी देर बात पता चला था कि तंबाकू के स्वास्थ्य सम्बंधी प्रभावों के कई अध्ययनो और उनके परिणामों को उद्योग ने प्रभावित किया था। पेट्रोल में लेड के उपयोग को लेकर भी इस तरह की बातें सामने आई थीं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने त्वरित कदम उठाकर एक अच्छी पहल की है। (स्रोत फीचर्स)