डॉ. डी. बालसुब्रामण्यन
नोबेल पुरस्कार तो विश्वप्रसिद्ध है। नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हर साल अक्टूबर माह में होती है। प्रत्येक पुरस्कृत व्यक्ति द्वारा अपने क्षेत्र में ऐसा कुछ किया गया होता है जो हमारे ज्ञान को बढ़ाने में मदद करता है। कोई आश्चर्य नहीं कि नोबेल पुरस्कार सर्वोच्च सम्मान माना जाता है।
लेकिन याद कीजिए प्रत्येक शेक्सपीयर के लिए एक पी.जी. वुडहाउस है (जो आपको गुदगुदाते हैं), प्रत्येक पिकासो के लिए एक एम.सी. एशर और प्रत्येक एम.एफ. हुसैन के लिए एक आर.के. लक्ष्मण है। उसी तरह पहनावे में प्रत्येक शर्ट के लिए एक टी-शर्ट है। जीवन हमेशा एक गंभीर मामला नहीं होता, इसमें थोड़ा हल्कापन, हास्य और बकवास भी शामिल होना चाहिए, जिसका हम सब लुत्फ उठा सकें।
यह विज्ञान, तकनीकी और ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी सच है। इसी बात को रेखांकित करते हुए हर साल अक्टूबर माह में ही विभिन्न क्षेत्रों के लिए इगनोबेल पुरस्कार घोषित किए जाते हैं। ये पुरस्कार “ऐसी उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं जो पहले तो लोगों को हंसाती हैं और फिर सोचने पर मजबूर करती हैं।” इगनोबेल शब्द नोबेल की पैरोडी है, उस पर एक व्यंग है। इसका मतलब होता है - निकृष्ट या बदनाम।
इस इगनोबेल पुरस्कार की शुरुआत वैज्ञानिकों द्वारा ही 1991 में की गई थी। इससे पता चलता है कि वैज्ञानिकों में व्यंग, ताने, हास्य और साथ-साथ सराहना की भावना भी है। इगनोबेल पुरस्कार के विजेता ज्यूरी सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं और पुरस्कार वास्तव में नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा प्रदान किए जाते हैं जो व्यंग्य को और पैना करने का काम करता है। (और तो और, दो नोबेल विजेता - ग्रेफाइट के लिए मशहूर सर आंद्रे गाइम और क्वांटम ऑप्टिक्स के लिए मशहूर डॉ. रॉय ग्लौबर - स्वयं भी 2000 और 2002 में इगनोबेल विजेता रह चुके हैं।)
अब तक विज्ञान, साहित्य, अर्थशास्त्र, शांति, मनोविज्ञान और अन्य क्षेत्रों में 250 से ज़्यादा इगनोबेल पुरस्कार दिए जा चुके है। पाठकों को पढ़ने में रुचि हो तो इस लिंक पर जाकर विजेताओं की लिस्ट देख सकते हैं। https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_Ig_Nobel_Prize_winners
कई इगनोबेल विजेताओं के योगदान गंभीर और पेशेवर हैं लेकिन फिर भी वे आपको हंसाते हैं। उदारण के लिए, 2017 में भौतिकी इगनोबेल पुरस्कार फ्रांस के डॉ. एम. फार्बिन के पर्चे को दिया गया है। उन्होंने बिल्लियों की रियोलॉजी पर अध्ययन करके निष्कर्ष निकाला कि एक बिल्ली तरल भी हो सकती है और ठोस भी हो सकती है। तरल के रूप में उसे एक मग में भरा जा सकता है और ठोस के रूप में वह सिकुड़कर एक लोंदा बन सकती है। रियोलॉजी तरल व मुलायम ठोस पदार्थों के प्रवाह के अध्ययन को कहते हैं।
सन 2013 में इगनोबेल शांति पुरस्कार बेलारूस के राष्ट्रपति ए. लुकाशेंको को सार्वजनिक रूप से तालियां बजाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए और बेलारूस पुलिस को एक एक-हाथ वाले व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से ताली बजाने के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए दिया गया था। आप सहमत होंगे कि यह एकदम उचित दिया गया था। इसी तरह सन 2003 में अर्थशास्त्र के इगनोबेल की पेशकश वेटिकन को की गई थी यदि वह प्रार्थना का काम भारत को आउटसोर्स कर दे।
सन 1998 में अमत्र्य सेन को अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था और इसके बाद किसी भारतीय को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला है। (सन 2009 में रसायन का नोबेल पुरस्कार भारतीय मूल के डॉ. वेन्की रामाकृष्णन को मिला था किंतु वे एक अमेरिकन-ब्रिाटिश नागरिक हैं।) अलबत्ता, इगनोबेल पुरस्कार कम-से-कम 5 भारतीय नागरिकों को दिया जा चुका है।
सन 2001 में सार्वजनिक स्वास्थ्य का इगनोबेल बैंगलुरु स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (निमहैन्स) के डॉ. चित्तरंजन अंद्रादे और डॉ. बी.एस. श्रीहरि को जर्नल ऑफ क्लीनिकल सायकिएट्री में प्रकाशित उनकी इस अनोखी खोज के लिए दिया गया था कि रायनोटिलेक्सोमेनिया (नाक में उंगली डालना) किशोरों की एक सामान्य गतिविधि होती है।
सन 2002 में गणित का इगनोबेल मन्नूती स्थित केरल एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के डॉ. के.पी. श्रीकुमार और डॉ. जी. निर्मलन को दिया गया था। यह पुरस्कार 1990 में प्रकाशित उनके पर्चे “भारतीय हाथियों की सतह के कुल क्षेत्रफल का अनुमान” के लिए दिया गया था। उन्होंने 24 हाथियों पर काम किया और एक गणितीय सूत्र तैयार किया (च् उ –8.245 अ 6.807 क्त अ 7.703 क़क़C)। इसमें च् सतह क्षेत्रफल है, क्त कंधे पर हाथी की ऊंचाई और क़क़C अगले पैरों की गद्दी की परिधि है। इस सूत्र के इस्तेमाल से पता चला कि एक भारतीय हाथी का औसत सतह क्षेत्रफल 17.18 वर्ग मीटर है। आप पूछेंगे कि इस अनुमान की ज़रूरत क्या थी? यह इसलिए क्योंकि इससे शरीर में (चयापचय के कारण) कुल ऊष्मा उत्पादन का अंदाज़ा मिलता है और इसके आधार पर उनके लिए दैनिक आहार का निर्धारण किया जा सकता है। ऐसा लगता है कि ज्यूरी को यह पूरा प्रोजेक्ट बहुत ही अनोखा लगा होगा और तरीका व सूत्र भी बहुत ही रोचक लगे होंगे मगर यह आपको सोचने पर मजबूर करता है।
सन 2003 में दिया गया इगनोबेल शांति पुरस्कार बहुत ही मार्मिक है। यह पुरस्कार उत्तरप्रदेश के लाल बिहारी को तिहरी उपलब्धि के लिए दिया गया था। आगे के शब्द इगनोबेल वेबसाइट से हैं: “पहला, वैधानिक रूप से मृत घोषित किए जाने के बावजूद सक्रिय जीवन जीने के लिए। दूसरा, नौकरशाही जड़ता और लालची रिश्तेदारों के खिलाफ मरणोपरांत अभियान चलाने के लिए। और तीसरा, मृत व्यक्ति संगठन बनाने के लिए। लाल बिहारी ने मृत हो जाने की विवशता को पराजित किया और भारत सरकार से पासपोर्ट प्राप्त किया ताकि वे अपना पुरस्कार प्राप्त करने के लिए हारवर्ड की यात्रा कर सकें। अलबत्ता, यूएस सरकार ने उन्हें अपने देश में आने की इज़ाजत नहीं दी। इसलिए उनके दोस्त मधु कपूर इगनोबेल पुरस्कार समारोह में आए और लाल बिहारी की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया। इसके कुछ हफ्तों बाद भारत में एक विशेष समारोह में लाल बिहारी को बुलाकर सम्मान से नवाज़ा गया था।” इगनोबेल के आयोजकों की उत्कृष्टता और शालीनता का प्रतीक है यह। (स्रोत फीचर्स)