यह आलेख ‘प्लगिंग इन: भारतीय घरों में बिजली खपत’ प्रयास (ऊर्जा समूह) और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के लिए राधिका खोसला और अंकित भारद्वाज द्वारा तैयार किया गया है। यह ब्लॉग द्याृंखला सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की वेबसाइट (http://cprindia.org/news/6559) और प्रयास की वेबसाइट (http://www.prayaspune.org/peg/initiatives/plugging-in.html) पर भी उपलब्ध है।
आने वाले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में किफायती घरों का निर्माण किया जाना है जिसमें शहरों के साथ-साथ रीयल एस्टेट डेवलपर्स, टेक्नॉलॉजी प्रदाताओं वगैरह में रुचि पैदा हुई है। ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य से, निर्माणाधीन घर एक महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं। चूंकि कम आय वाले आवासों का अभी तक बड़े पैमाने पर निर्माण नहीं किया गया है, इस प्रकार का निर्माण, उनमें इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों, और किस प्रकार वे सर्दी और गर्मी में ऊर्जा का उपयोग करते हैं, मुख्य बिंदु रहेंगे जो इमारतों में कई दशकों तक बिजली खपत के पैटर्न को आकार देंगे। इसके अलावा, नए आवास एक भौतिक परिस्थिति प्रदान करते हैं जिसमें उपकरण खरीद और बिजली की खपत की प्राथमिकताओं और तौर-तरीकों को आकार दिया जा सकता है जो एक बार बनने के बाद आसानी से उलट-पलट नहीं की जा सकती।
इस आलेख में हम किफायती आवास में अपेक्षित ऊर्जा सेवाओं की जांच करेंगे और यह जानने की कोशिश करेंगे कि खरीद क्षमता बढ़ने के साथ परिवार कौन-से उपकरण खरीदते हैं।
हमने 2017 में राजकोट (गुजरात) में कम आय वाले आवासों में बिजली उपयोग के पैटर्न और उसे निर्धारित करने वाले कारकों को समझने के लिए एक सर्वेक्षण किया। यह कैपेसिटीज (CapaCITIES) परियोजना के तहत कम आय वाले शहरी परिवारों में ऊर्जा उपयोग पर हमारे लगातार अध्ययन का हिस्सा है। किफायती आवास ब्लॉकों में अधिकांशत: प्रकाश उपकरण, पंखे, टीवी और फ्रिज पाए जाते हैं।
आवासों में प्रदान की जाने वाली सेवाओं का उपयोग खासकर शाम 7 से 10 बजे के बीच होता है, जिसमें प्रकाश उपकरण और टीवी का उपयोग सर्वाधिक है। 59 प्रतिशत घरों ने बताया कि इसी अवधि में उन्होंने पिछली शाम प्रकाश उपकरण का इस्तेमाल किया था जबकि 33 प्रतिशत घरों में टीवी देखा गया था। पंखों का उपयोग रात के दौरान सबसे अधिक रहा, जबकि बिजली बिल में बचत के लिए, कुछ घरों में फ्रिज रात में बंद कर दिए गए थे।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि सभी घरों में शाम को प्रकाश उपकरण का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, सोते समय पंखों का उपयोग नहीं किया जाता और फ्रिज को हमेशा चालू भी नहीं रखा जाता। चर्चा करने पर, कुछ निवासियों ने संकेत दिया कि उनका काम 9 से 5 वाला नहीं है, इसलिए ज़रूरी नहीं कि वे शाम का समय घर पर बिता पाएं। वहीं, अन्य ने कहा कि वे रोशनी चालू नहीं करते क्योंकि सड़क और दालान की रोशनी घरों को रोशन करने के लिए पर्याप्त होती है।
उपकरणों का इस्तेमाल बेहतर समझने के लिए, हमने परिणामों को तीन प्रकार के सरकारी किफायती आवास के अनुसार वर्गीकृत किया: शहरी गरीबों के लिए बुनियादी सेवाएं (बीएसयूपी, 2007 से बनाए गए); आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और कम आय समूह के आवास (एलआईजी)। ईडब्ल्यूएस और एलआईजी ‘सबके लिए आवास’ कार्यक्रम के तहत 2015 से बनाए जा रहे हैं। ये श्रेणियां आय से सम्बंधित हैं - बीएसयूपी औसतन इस श्रेणी में सबसे गरीब और एलआईजी सबसे अमीर हैं।
हमको पता चला कि आवासों में पंखे सबसे अधिक हैं टीवी उसके बाद आते हैं। आश्चर्य कि बात है कि सबसे कम आय वाले बीएसयूपी घरों और अपेक्षाकृत उच्च आय वाले ईडब्ल्यूएस और एलआईजी घरों में टीवी की मौजूदगी में कोई खास अंतर नहीं है। इन तीन श्रेणियों में उपकरण स्वामित्व की दर में सबसे अधिक अंतर फ्रिज में है; एलआईजी घरों में सबसे अधिक फ्रिज हैं।
उपकरण-स्वामित्व की तुलना परिवार की संपत्ति या उपभोग करने की क्षमता के साथ की जाए तो इस प्रवृत्ति की पुष्टि होती है। इस क्षमता को परिसंपत्ति सूचकांक से मापा गया है। ज़्यादातर आवासों में परिवार की परिसंपत्तियां बढ़ने से पंखों की संख्या में एक या दो या उससे भी अधिक की वृद्धि होती है। पंखों के स्वामित्व के बाद टीवी की अधिक संख्या पाई जाती है; भले ही परिवार के पास कोई अन्य संपत्ति न हो लेकिन टीवी की संभावना अधिक होती है। क्षेत्र की गर्म और शुष्क जलवायु और तेज़ गर्मी के बावजूद फ्रिज और कूलर की अपेक्षा टीवी अधिक हैं।
इससे पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों में, टीवी देखना मध्यवर्गियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूचना और मनोरंजन का साधन बन गया है और यह कम आय वाले परिवारों में तेज़ी से बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, फ्रिज के स्वामित्व में पारंपरिक पैटर्न देखने को मिलता है, जहां घर धनवान होने के साथ-साथ फ्रिज का भी उपयोग करने लगते हैं।
यह स्पष्ट है कि पंखे, टीवी और फ्रिज किफायती आवास इकाइयों में सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले उपकरण हैं। ये उपकरण एक बार खरीदे जाने के बाद, संभवत: कम से कम एक दशक तक उपयोग किए जाते हैं, और अगर नहीं भी किए जाएं तो अक्सर दूसरे परिवारों द्वारा सेकंड हैण्ड के रूप में उपयोग होते हैं। इसके अलावा, भारत में निकट भविष्य में बनने वाले किफायती घरों की विशाल संख्या के कारण, पहली बार खरीदे जाने वाले उपकरणों की संख्या महत्वपूर्ण है।
जैसा कि इस द्याृंखला के पिछले भाग में चर्चा की गई थी, उपकरण घरों में बिजली उपभोग करते हैं और ऊर्जा कुशल उपकरण इस बिजली खपत को काफी कम कर सकते हैं। हम स्टार-रेटेड उपकरणों की संख्या को जांचने के लिए नमूने के तौर पर किफायती आवास में इस्तेमाल किए गए उपकरणों पर एक और नज़र डालेंगे।
अध्ययन से दो विचित्र बातें उभरती हैं। पहला, किफायती आवासों में पंखे और टीवी सर्वाधिक पाए जाने वाले उपकरण हैं किंतु इन श्रेणियों में ऊर्जा कुशलता की दृष्टि से स्टार-रेटेड उपकरणों की संख्या कम है। किफायती आवासों के आसपास उपकरण की दुकानों ने पुष्टि की है कि उपभोक्ताओं को ऊर्जा-कुशल पंखों और टीवी से ऊर्जा बचत के बारे में बहुत कम जानकारी है, और रेटेड मॉडल बाज़ार में अभी प्रवेश कर ही रहे हैं। यह पंखों और टीवी के लिए मानकीकरण कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिससे बहुत अधिक ऊर्जा बचत होती है।
दूसरा, किफायती आवास प्रकारों में देखा जाए तो फ्रिज के लिए रेटिंग कार्यक्रम अधिक प्रभावी रहा है। इसका एक कारण यह है कि ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने फ्रॉस्ट फ्री रेफ्रिजरेटर के लिए अनिवार्य और कड़े मानक तय किए हैं। इन सभी मामलों में, मानकों और लेबलों के कठोर परीक्षण के माध्यम से उपकरणों की दक्षता बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। एक दुकानदार के अनुसार टीवी और पंखों की रेटिंग की तुलना में उपभोक्ताओं को फ्रिज रेटिंग के बारे में अधिक जानकारी रहती है, वे अक्सर खरीदने से पूर्व ऊर्जा बचत की बात करते हैं, और फ्रिज के ऊर्जा उपभोग की लागत से परिचित रहते हैं। यह इस तथ्य से भी ज़ाहिर है कि बचत करने के लिए कई परिवार रात में अपने फ्रिज बंद कर देते हैं।
जैसे-जैसे बढ़ती आय के साथ ऊर्जा खर्ची उपकरणों के इस्तेमाल में वृद्धि हो रही है, उनको ऊर्जा कुशल बनाने के लिए भारी संभावना भी उभर रही है। (स्रोत फीचर्स)