यह आलेख ‘प्लगिंग इन: भारतीय घरों में बिजली खपत’ प्रयास (ऊर्जा समूह) और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के लिए राधिका खोसला द्वारा तैयार किया गया है। यह सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की वेबसाइट (http://cprindia.org/news/6512) और प्रयास की वेबसाइट (http://www.prayaspune.org/peg/initiatives/plugging-in.html) पर भी उपलब्ध है।
भारत में शहरी बदलाव का प्रबंधन, खास तौर से इस बदलाव के ऊर्जा सम्बंधी आयाम को पूरा करने की दृष्टि से, एक महत्वपूर्ण चुनौती है। यह समस्या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (नेशनल कैपिटल रीजन - एनसीआर) के संदर्भ में विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि दिल्ली भारत के उच्चतम आवासीय बिजली खपत वाले क्षेत्रों में से एक है। इसके बावजूद, दिल्ली और एनसीआर में वर्तमान और भविष्य के आवासीय बिजली उपयोग के पैटर्न और उसके कारकों की समझ सीमित ही है। इस आलेख में, हम एनसीआर में बिजली की मांग की जांच करेंगे। एनसीआर के अंतर्गत दिल्ली, अधिकांश हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश व राजस्थान के कुछ हिस्से शामिल हैं।
एनसीआर में लगभग 130 शहर और कस्बे आते हैं और इसका क्षेत्रफल 57,000 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र की शहरी आबादी 3 करोड़ है जो प्रति दशक 20 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इस बड़ी जनसंख्या के प्रभावों को समझने के लिए हमने एक सैंपलिंग पद्धति का उपयोग किया है। इस सैंपल में लगभग 5500 परिवार शामिल हैं। सैंपल का लगभग 61 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली के, 23 प्रतिशत उत्तर प्रदेश के, 13 प्रतिशत हरियाणा के और 3 प्रतिशत राजस्थान के परिवारों का था। यह सर्वेक्षण 2016-17 में पेनसिल्वेनिया वि·ाविद्यालय के सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडी ऑफ इंडिया के साथ साझेदारी में किया गया। हमने अपने निष्कर्षों को तीन प्रश्नों पर केंद्रित किया है:
1. एनसीआर निवासी कितनी बिजली खर्च करते हैं?
2. एनसीआर निवासी घरों में अधिकांशत: किस बिजली सेवा का उपयोग करते हैं?
3. बढ़ती आय के साथ किस तरह कूलिंग उपकरणों का स्वामित्व और परिवारों की बिजली उपभोग करने की क्षमता बढ़ती है?
एनसीआर में बिजली का उपयोग
एनसीआर में प्रति व्यक्ति बिजली खर्च को समझने के लिए हमने घरेलू बिजली बिल की राशि, स्थानीय विद्युत शुल्क की दरों और परिवार के लोगों की संख्या का उपयोग किया। हमने इस आंकड़े की तुलना दिल्ली और भारत के हालिया प्रति व्यक्ति उपयोग के साथ की। विकसित और विकासशील देशों के अलग-अलग संदर्भ दर्शाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के आकड़ों से भी तुलना की गई है।
भारत की तुलना में प्रति व्यक्ति आवासीय बिजली का उपयोग अमेरिका में 25 गुना अधिक और चीन में तीन गुना अधिक है। प्रति व्यक्ति आवासीय बिजली उपयोग के सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़े अन्य रुाोतों से प्राप्त दिल्ली के आंकड़ों से मेल खाते हैं, जो दर्शाता है कि एनसीआर के ऊर्जा उपयोग का प्रमुख कारण दिल्ली है। दूसरी ओर, भारत की प्रति व्यक्ति औसत बिजली खपत एनसीआर की बिजली खपत के आंकड़े से 3.5 गुना कम है।
अर्थात यदि मात्र बिजली के लिहाज़ से देखा जाए, तो एनसीआर निवासी देश में सबसे अधिक उपभोग करते हैं और यह स्तर निरंतर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अन्य शहरी क्षेत्रों में आमदनी बढ़ेगी, तो संभव है कि वे भी एनसीआर के उच्च उपभोग के मौजूदा पैटर्न का अनुसरण करेंगे।
एनसीआर में ऊंची खपत के कारण
एनसीआर के उच्च ऊर्जा उपयोग को समझने के लिए हमने परिवारों द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपकरणों का मूल्यांकन किया।
पता चलता है कि एनसीआर में लगभग हर घर में एक पंखा है, जिसके बाद टीवी का नंबर आता है। क्षेत्र की गर्म और शुष्क जलवायु और गर्मियों में उच्च तापमान के बावजूद, कूलर और फ्रिज की तुलना में टीवी ही ज़्यादा घरों में हैं। इससे पता चलता है कि पिछले कुछ दशकों में, टीवी देखना मध्यवर्गीय परिवारों के लिए फुरसत के उपयोग और मनोरंजन की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि बन गई है। उपकरणों की अगली श्रेणी में वॉशिंग मशीन और वॉटर प्यूरीफायर्स आते हैं। डैटा से पता चलता है कि एनसीआर में 63 प्रतिशत घरों में स्कूटर और 17 प्रतिशत में कारें हैं।
हमने उपकरण उपयोग के उपरोक्त परिणामों की तुलना दिल्ली (एनसीआर क्षेत्र नहीं) के लिए किए गए अन्य अध्ययनों से भी की है।
ऐसे तीन अध्ययनों को देखा गया है। एक के लिए आंकड़े 2011 में एकत्रित किए गए थे जबकि दूसरा अध्ययन 2016-17 में किए गए एनसीआर सर्वेक्षण के मात्र दिल्ली से सम्बंधित हिस्से का है। एनसीआर सर्वेक्षण हर मामले में उपकरणों का अधिक उपयोग (पंखों के अपवाद को छोड़कर) दर्शाता है। फ्रिज और एयर कंडीशनर के मामले में अंतर काफी अधिक है। ऐसा लगता है कि पहले के अध्ययनों की तुलना में, एनसीआर सर्वेक्षण पिछले पांच सालों में उपकरणों के बढ़े हुए उपयोग को दर्शा रहा है।
उपकरण उपयोग में बदलाव
जब परिवार की आय बढ़ती है, तो वे सबसे पहले कौन-से उपकरण खरीदते हैं? हम इस सवाल को शीतलन उपकरणों पर लागू करके देखते हैं। ये सबसे अधिक ऊर्जा-खर्ची उपकरण होते हैं।
शीतलन उपकरणों के उपयोग की प्रकृति में बदलाव की जांच के लिए हमने एक परिसंपत्ति सूचकांक विकसित किया है। यह सूचकांक किसी परिवार में बिजली खर्च करने वाले उपकरणों की तुलना कुल परिसंपत्तियों या उपभोग करने की क्षमता से करता है। पता चलता है कि परिसंपत्ति सूचकांक के आधार पर प्रत्येक परिवार के पास कम से कम एक शीतलन यंत्र (पंखा, कूलर या एयर कंडीशनर) है। यह भी दिखता है कि एनसीआर में लगभग हर घर, चाहे उसका परिसंपत्ति सूचकांक कुछ भी हो, कम से एक पंखे का मालिक तो है। पंखे के बाद सबसे प्रचलित कूलिंग यंत्र कूलर है, जो कोई भी परिवार आमदनी के चौथे डेसाइल में प्रवेश करते ही हासिल कर लेता है। इसके विपरीत, केवल शीर्ष डेसाइल के परिवारों में ही एक एयर कंडीशनर है। डेसाइल से मतलब है कि यदि परिवारों को आमदनी के अनुसार 10 भागों में बांटा जाए, तो वह परिवार कौन-से दशमांश में है।
शीतलन उपकरणों के स्वामित्व का यह पैटर्न संभवत: एनसीआर (या अन्य भारतीय शहरों) के लिए ऊर्जा उपयोग के स्वरूप को निर्धारित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक है। इस संदर्भ में उपलब्ध साहित्य और बाज़ार के अध्ययनों की भविष्यवाणी है कि भारत इस समय ए.सी. बाज़ार में उछाल के शिखर पर है। और जैसे-जैसे आय का स्तर बढ़ेगा, उम्मीद है कि ए.सी. का ग्राफ वर्तमान ग्राफ का अनुसरण करेगा। ए.सी. तक इस पहुंच का परिवारों पर दोतरफा प्रभाव होगा: तापमान में अत्यधिक वृद्धि के दौरान इससे घर के अंदरुनी वातावरण को ठंडा रखने की संभावना तो बढ़ेगी, लेकिन उससे घरेलू बिजली बिल में भी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, ए.सी. उपयोग की वजह से बिजली की मांग के बढ़ने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि के तंत्रगत प्रभाव नाटकीय होने की आशंका है।
शायद यह बात थोड़ी अटपटी लगे किंतु कूलिंग उपकरणों में जो निवेश अभी नहीं हुआ है वह शायद कुछ हद तक लाभप्रद होगा। चूंकि अधिकांश ऊर्जा-खर्ची खरीद के निर्णय अभी किए जाने हैं, इसलिए अभी भी अवसर है कि हम बिजली उपभोग की प्राथमिकताओं और तौर-तरीकों को आकार दे सकते हैं। एक बार निवेश हो जाए, तो खपत के पैटर्न को पलटना मुश्किल होता है। परिवारों की ऊर्जा-कुशल उपकरण (खास तौर से ए.सी.) चुनने और बिजली का बिल बढ़ाए बगैर गर्मी से निजात पाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को ढालने की क्षमता वैकल्पिक रास्ते चुनने का एक विशिष्ट मौका है। अलबत्ता, इस अवसर की उपयोगिता नीति निर्माताओं, उद्योगों और परिवारों के प्रारंभिक फैसलों पर निर्भर करेगी। (स्रोत फीचर्स)