भारत डोगरा
शराब से होने वाली स्वास्थ्य व समाज की क्षति के बारे में नए अनुसंधान से ऐसी जानकारियां मिली हैं जिनसे शराब के नशे को न्यूनतम करने की मांग विश्व स्तर पर अधिक मज़बूत हो रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की शराब व स्वास्थ्य स्टेटस रिपोर्ट (2014) के अनुसार वर्ष 2012 में शराब से 33 लाख मौतें हुईं। विश्व में होने वाली सभी मौतों में से 5.9 प्रतिशत मौतें शराब के कारण हुईं - पुरुषों के संदर्भ में 7.6 प्रतिशत तथा महिलाओं के संदर्भ में 4 प्रतिशत। वर्ष 2012 में बीमारियों व चोटों का जितना बोझ था (डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर), उसमें से 5.1 प्रतिशत शराब उपयोग के कारण था।
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 200 तरह की बीमारियों व चोटों में शराब का हानिकारक उपयोग एक कारण है। लिवर सिरोसिस व कैंसर में शराब एक महत्त्वपूर्ण कारण है।
नशीली दवाओं, एल्कोहल व एडिक्टिव बिहेवियर के विश्वकोश के अनुसार जानलेवा सड़क दुर्घटनाओं में से 44 प्रतिशत में एल्कोहल की भूमिका पाई गई है। ड्राइवर ने शराब पी हुई हो तो दुर्घटना की संभावना 3 से 15 गुना बढ़ जाती है। दुर्घटना में मरने वाले 50 प्रतिशत तक मोटर साइकिल चालक शराब के नशे में पाए गए हैं।
इसी विश्वकोश के अनुसार घरों में होने वाली दुर्घटनाओं में से 23-30 प्रतिशत तक में एल्कोहल की भूमिका होती है। आग लगने व जलने की 46 प्रतिशत दुर्घटनाओं में एल्कोहल की भूमिका देखी गई है।
कुछ वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य रिपोर्ट तैयार करवाई थी जिसे हिंसा व स्वास्थ्य पर विश्व रिपोर्ट (हिंस्व रिपोर्ट) का शीर्षक दिया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि डिप्रेशन या अवसाद के लिए भी एल्कोहल एक महत्वपूर्ण कारक है। हिंस्व रिपोर्ट के अनुसार एल्कोहल व नशीली दवाओं के दुरुपयोग की आत्महत्या में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त राज्य अमेरिका में चार में से कम से कम एक आत्महत्या में एल्कोहल की भूमिका रिपोर्ट की गई है।
हिंसा, अपराध व नज़दीकी रिश्ते या सम्बंध टूटने के रूप में भी शराब के बहुत गंभीर सामाजिक दुष्परिणाम होते हैं। कुछ अध्ययनों ने शराब के इन सामाजिक दुष्परिणामों की आर्थिक कीमत लगाने का प्रयास किया है जिससे पता चलता है कि शराब के सामाजिक दुष्परिणाम कितने महंगे पड़ते हैं।
हिंस्व रिपोर्ट ने घरेलू हिंसा पर अनेक अध्ययनों के आधार पर बताया है कि जो महिलाएं अधिक शराब पीने वालों के साथ रहती हैं उनके खिलाफ पति या पार्टनर की हिंसा की संभावना कहीं अधिक होती हैं। इसी रिपोर्ट के अनुसार इन अध्ययनों में यह भी बताया गया है कि जब शराब पीने वाले या पी रहे व्यक्ति हिंसा करते हैं तो उनके द्वारा की गई हिंसा अधिक भीषण होती है।
वर्ष 2006 में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 233 अरब डॉलर और दक्षिण अफ्रीका के लिए वर्ष 2009 में शराब के सामाजिक दुष्परिणामों की कीमत 300 अरब रैंड लगाई गई थी जो सकल राष्ट्रीय उत्पाद के 10-12 प्रतिशत के बराबर थी।
शराब उद्योग से बहुत बड़े पैमाने पर पर्यावरण की तबाही व ग्रीन हाऊस गैसों का उत्सर्जन होता है। अनेक जल-स्रोत व छोटी नदियां बुरी तरह प्रदूषित होते हैं। प्रदूषण व दुर्गंध की वजह से आसपास रहने वाले लोगों का जीना कठिन हो जाता है। पानी का अपव्यय होता है वह अलग। इकॉनॉमिस्ट पत्रिका ने लिखा है कि एक लीटर वाइन बनाने में 960 लीटर पानी खर्च होता है।
शराब उद्योग का कच्चा माल प्राप्त करने के लिए काफी सारी उपजाऊ भूमि को खाद्य फसलों के उत्पादन से हटाया जाता है व बहुत सारा सिंचाई का पानी भी इसी तरह खाद्य फसलों से हटाया जाता है। इसके अलावा, कुछ खाद्यों का उपयोग पोषण की जगह नशे के लिए किया जाता है क्योंकि उससे ज़्यादा मुनाफा मिलता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्टेटस रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व में प्रति व्यक्ति एल्कोहल उपयोग बढ़ रहा है तथा यह वृद्धि मुख्य रूप से चीन व भारत में शराब के उपयोग में वृद्धि के कारण हो रही है। इसके लिए एक कारण यह है कि शराब उद्योग द्वारा शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए अधिक ज़ोर लगाया जा रहा है। हालांकि इस समय प्रति व्यक्ति शराब की खपत संयुक्त राज्य अमेरिका व युरोप के धनी देशों में सबसे अधिक है, पर वृद्धि की दर चीन व भारत में अधिक है।
उपरोक्त तथ्यों के मद्देनज़र, यह बहुत ज़रूरी है कि शराब के उपयोग को न्यूनतम करने के अधिकतम प्रयास किए जाएं। (स्रोत फीचर्स)