नासा अपने अगले मंगल अभियान में एक हेलिकॉप्टर भी भेजने वाला है। मार्स 2020 मिशन नामक इस अभियान में जुलाई 2020 में एक रोवर (घुमंतू वाहन) को मंगल पर भेजा जाएगा। इस रोवर को खास ढंग से डिज़ाइन किया गया है ताकि यह मंगल पर जीवन की उपस्थिति के चिंहों की तलाश कर सके। नासा ने घोषणा की है कि इस रोवर के साथ जोड़कर एक मंगल हेलिकॉप्टर भी भेजा जाएगा।
इस हेलिकॉप्टर का वज़न मात्र 1.8 कि.ग्रा. है और इसे रोवर के नीचे की ओर जोड़कर मंगल पर भेजा जाएगा। मंगल पर उतरने के बाद रोवर इस हेलिकॉप्टर को अलग करके ज़मीन पर बैठा देगा और फिर धरती से भेजे गए निर्देश प्रसारित करता रहेगा। दिक्कत यह है कि धरती से जो निर्देश भेजे जाएंगे उन्हें हेलिकॉप्टर तक पहुंचने में कई मिनट लगेंगे। इसलिए इसे इस तरह डिज़ाइन किया जा रहा है कि इसमें कुछ स्वतंत्र क्षमताएं हों ताकि बगैर किसी नियंत्रण के भी यह उड़ान भर सके।
इस मिशन की अवधि 30 दिनों की है और इस दौरान हेलिकॉप्टर का उपयोग पांच बार किया जाएगा। यह डेढ़ मिनट से भी कम की अवधि में सैकड़ों मीटर की दूरी तय कर लेगा। यदि यह रफ्तार धीमी प्रतीत हो रही है तो इस बात पर गौर कीजिए कि जब रोवर स्वयं मंगल की ज़मीन पर चहलकदमी करता है तो वह एक मांगलिक दिवस में 100 मीटर का फासला तय करता है क्योंकि उसे काफी पथरीली सतह पर आगे बढ़ना होता है। हेलिकॉप्टर हवा में उड़ता है इसलिए उसे ज़मीन की पथरीली बनावट का सामना नहीं करना पड़ता।
हेलिकॉप्टर न सिर्फ ज़्यादा दूरी तय करेगा बल्कि ऐसी जगहों पर भी पहुंच सकेगा जहां रोवर स्वयं नहीं पहुंच सकता है। यह हेलिकॉप्टर वहां से कई नमूने इकट्ठे करेगा जिन्हें विश्लेषण के लिए धरती पर लाया जाएगा। यह पहली बार होगा कि किसी अन्य ग्रह पर हेलिकॉप्टर उड़ान भरेगा। (स्रोत फीचर्स)