एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग इतना तेज़ी से आगे बढ़ा है कि आज यह कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 8 प्रतिशत के लिए जवाबदेह है। ग्रीनहाउस गैसें उन गैसों को कहते हैं जो वायुमंडल में उपस्थित हों तो धरती का तापमान बढ़ाने में मददगार होती हैं। इनमें कार्बन डाईऑक्साइड और मीथेन प्रमुख हैं।
ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय की अरुणिमा मलिक और उनके साथियों ने 160 देशों में पर्यटन की वजह से होने वाले सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की गणना की है। उनका कहना है कि यह उद्योग हर साल जितनी अलग-अलग ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है वे 4.5 गिगाटन कार्बन डाईऑक्साइड के बराबर हैं। पूर्व के अनुमान थे कि पर्यटन उद्योग का सालाना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1-2 गिगाटन प्रति वर्ष होता है।
मलिक की टीम ने जो हिसाब लगाया है उसमें उन्होंने सीधे-सीधे हवाई यात्राओं की वजह से होने वाले उत्सर्जन के अलावा अप्रत्यक्ष उत्सर्जन की भी गणना की है। अप्रत्यक्ष उत्सर्जन में पर्यटकों के लिए भोजन पकाने (जो सैलानी लोग काफी डटकर खाते हैं), होटलों के रख-रखाव, तथा सैलानियों द्वारा खरीदे जाने वाले तोहफों/यादगार चीज़ों (सुवेनिर) के निर्माण के दौरान होने वाले उत्सर्जन को शामिल किया गया है।
टीम का कहना है कि पर्यटन के कार्बन पदचिंह में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। कार्बन पदचिंह से मतलब है कि कोई गतिविधि कितनी कार्बन डाई ऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ती है। जहां 2009 में पर्यटन का कार्बन पदचिंह 3.9 गिगाटन था वहीं 2013 में बढ़कर 4.4 गिगाटन हो गया। टीन का अनुमान है कि 2025 में यह आंकड़ा 6.5 गिगाटन हो जाएगा।
समृद्धि बढ़ने के साथ पर्यटन बढ़ता है। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि यूएसए सबसे बड़ा पर्यटन-कार्बन उत्सर्जक है - न सिर्फ अमरीकी नागरिक बहुत सैर-सपाटा करते हैं बल्कि कई सारे देशों के लोग यूएसए पहुंचते हैं। किंतु मलिक का कहना है कि कई अन्य देश तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन, ब्राज़ील और भारत जैसे देशों के लोग आजकल दूर-दूर तक पर्यटन यात्राएं करते हैं। राष्ट्र संघ के विश्व पर्यटन संघ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में चीनी लोगों ने पर्यटन पर 258 अरब डॉलर खर्च किए थे।
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित रिपोर्ट में टीम की सबसे पहली सिफारिश है कि पर्यटन के लिए हवाई यात्राओं को न्यूनतम किया जाए। किंतु मलिक मानती हैं कि पर्यटकों में दूर-दराज इलाकों में पहुंचने की इच्छा में बढ़ती जा रही है और संभावना यही है कि मैन्यूफैक्चर, विनिर्माण और सेवा प्रदाय के मुकाबले पर्यटन-सम्बंधी खर्च कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख वाहक होगा। (स्रोत फीचर्स)