कई लोगों को लगता है कि वे अपने घुटनों के दर्द की तीव्रता के आधार पर बता सकते हैं कि भारी बारिश होने वाली है। मगर ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हारवर्ड मेडिकल स्कूल और मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के अनुपम जेना और उनके साथियों के एक अध्ययन में बताया गया है कि वास्तव में ऐसा कोई सम्बंध नज़र नहीं आता।
वैसे यह धारणा नई नहीं है कि हमारा शरीर मौसम का पूर्वानुमान करता है। हिप्पोक्रेटस भी ऐसा मानते थे और आज भी लाखों लोग यकीन से कहते हैं कि जोड़ों में दर्द और जकड़न पर आसन्न बारिश का असर होता है। इस बात के लिए प्रमाणों की तलाश में जेना व उनके साथियों ने बुज़ुर्ग अमरीकियों द्वारा अपने प्राथमिक चिकित्सक के पास 110 लाख विज़िट्स की जानकारी को खंगाला। फिर उन्होंने इन आंकड़ों की तुलना दैनिक बारिश से की। उनका सवाल था कि क्या जब मौसम अत्यधिक नम होता है, उस समय पीठ दर्द या जोड़ों पर सूजन के ज़्यादा मामले अस्पतालों में रिपोर्ट होते हैं?
आंकड़ों के इस अंबार के विश्लेषण से पता चला कि यदि आप उन दिनों को देखें जब बारिश हुई थी और उन दिनों को देखें जब बारिश नहीं हुई थी, तो डॉक्टर के पास जोड़ों के दर्द की शिकायत लेकर पहुंचने वाले मरीज़ों की संख्या में कोई अंतर नहीं था। और तो और, एक बार सात दिन तक लगातार बारिश हुई मगर दर्द के साथ इसका कोई सम्बंध नहीं दिखा। इस मामले में एक संदेह यह हो सकता है कि शायद तेज़ बारिश के चलते लोग डॉक्टर तक पहुंच ही न पाए होंगे। किंतु बारिश के तत्काल बाद के दिनों में भी शोधकर्ताओं को दर्द और डॉक्टर से मुलाकात के बीच कोई सम्बंध नज़र नहीं आया।
जेना की टीम का कहना है कि हो सकता है कि बारिश या नमी या तापमान का सम्बंध दर्द से होता होगा किंतु विशाल आंकड़ों के विश्लेषण में इसका कोई प्रमाण नहीं मिला। (स्रोत फीचर्स)