स्टेफेनी क्वोलेक (1923-2014) ने 1964 में केवलार नामक पदार्थ का आविष्कार किया था। यह पदार्थ इतना गुणी साबित हुआ कि आज इसका उपयोग सायकिल के टायरों, टेनिस के रैकेट, नौकाओं, फ्राइंग पैन, वाद्य यंत्रों के अलावा बुलेटप्रूफ जैकेट बनाने में होता है।
वैसे तो क्वोलेक चिकित्सा विज्ञान में पढ़ाई करना चाहती थीं और शुरुआत के तौर पर उन्होंने रसायन शास्त्र में स्नातक उपाधि भी ली थी। किंतु बीच में उन्होंने ड्यूपॉन्ट नामक कंपनी में शोध कार्य किया और इसमें इतना मज़ा आया कि वे उसी में रम गई।
उनका अनुसंधान कार्य मूलत: पोलीमर पदार्थों के गुणों पर था। अध्ययन के दौरान क्वोलेक ने एक ऐसा रवेदार पोलीमर विलयन खोज निकाला जिसकी शक्ति व दृढ़ता असाधारण थी। यह पदार्थ स्टील से पांच गुना ज़्यादा शक्तिशाली था और इसी का पेटेंट नाम हुआ केवलार। केवलार दरअसल एरोमैटिक पोलीएमाइड (एरेमाइड) नामक इकाइयों से बना बहुलक या पोलीमर है। इसकी सुदृढ़ता और शक्ति मूलत: इसके पोलीमर अणुओं की जमावट का परिणाम होती है।
केवलार घिसता नहीं, इस पर जंग नहीं लगता और यह आग भी आसानी से नहीं पकड़ता। हालांकि यह एक किस्म का प्लास्टिक है किंतु काफी अधिक तापमान पर भी पिघलता नहीं है। इन्हीं गुणों के चलते इसका प्रमुख उपयोग बुलेटप्रूफ वस्त्र बनाने में होता है। यही गुण इसे हेलमेट जैसे सुरक्षा उपकरणों के लिए भी उपयोगी बनाते हैं।
स्टेफेनी क्वोलेक एक महत्वपूर्ण आविष्कारक रही हैं और वे 17 पेटेंट में साझेदार हैं। 1999 में क्वोलेक को यूएस के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पदक से सम्मानित किया गया था।