एक नए अध्ययन का दावा है कि पृथ्वी पर प्राचीन महासागरों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से शुरुआती समुद्री जीव विकसित हुए थे। दरअसल, 54 करोड़ वर्ष पूर्व ‘केम्ब्रिायन विस्फोट’ हुआ था जिसके दौरान आज नज़र आने वाले अधिकांश प्रमुख जंतु समूह प्रकट हुए थे। और यह ऑक्सीजन की कमी की वजह से संभव हो पाया था। सुदूर अतीत में महासागरों में ऑक्सीजन के स्तर और वातावरण में अस्थिरता के बारे में बेहतर समझ के आधार पर जैव विकास के बारे में वैज्ञानिकों की समझ में परिवर्तन संभव है।
आज, समुद्र सतह के पानी में प्रति लीटर घुलित ऑक्सीजन की मात्रा 5.4 और 8 मि.ग्रा. के बीच होती है। लेकिन कम ऑक्सीजन वाले या लगभग ऑक्सीजन-रहित क्षेत्र भी हैं। इनमें पूर्वी प्रशांत महासागर की कुछ जगहें शामिल हैं जहां ऑक्सीजन की सांद्रता सामान्य का 1 प्रतिशत होती है। ताज़ा अनुसंधान के अनुसार प्राचीन युगों में अधिकांश समुद्रों की हालत ऐसी ही थी।
एडिनबरा विश्वविद्यालय के पुराजीव वैज्ञानिक रशेल वुड और स्मिथसोनियन इंस्टीट्टूशन नेशनल म्युज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के डगलस इर्विन ने यह समझने की कोशिश की कि जीव जगत ने कम ऑक्सीजन के प्रति कैसी प्रतिक्रिया दी होगी। उन्होंने एक चार्ट बनाया कि कैसे अस्थिर ऑक्सीजन सांद्रता और नए जंतुओं के उभार का सम्बंध नज़र आता है। नए जंतुओं के उभार का निष्कर्ष उन्होंने जीवाश्म रिकार्ड और आनुवंशिक डैटा के आधार पर निकाला। उन्होंने तीन चरणों का उल्लेख किया है, जब समुद्रों में ऑक्सीजन की मात्रा में गिरावट आई और वापिस बढ़ी। इस दौरान जैव विविधता फली-फूली।
जैव विकास के इतिहास की शुरुआत में, एडियाकरन काल (54-63.5 करोड़ साल पहले) में समुद्रों में कम ऑक्सीजन की परिस्थिति निर्मित हुई थी। इसके बाद केम्ब्रियन काल (54 करोड़ वर्ष पूर्व) में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी और जंतुओं के शरीर के प्रमुख अंग, जैसे ह्मदय, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, मुखांग और भुजाएं व कंकाल बनाने की क्षमता निर्मित हुई होगी। ऑक्सीजन का स्तर जब सहनशीलता के दायरे में था तब इस तरह के लक्षणों वाले जंतु समूहों में वृद्धि हुई होगी। यही क्रेम्ब्रिायन विस्फोट था। शोधकर्ताओं का कहना है कि लेकिन कैम्ब्रिायन विस्फोट से पहले ही ऑक्सीजन-अल्पता के दौरान बहुत-सी शारीरिक नवीनताएं उत्पन्न हुई थी। ये नवीनताएं संभवत: छोटे और नरम-शरीर वाले जंतुओं में पैदा हुई थी जिनका जीवाश्म रिकार्ड बहुत कम या नहीं के बराबर है। बाद की दो अवधियों में भी इसी तरह की घटनाएं घटी। केम्ब्रिायन के अंत में समुद्र 30 से 40 लाख वर्षों तक ऑक्सीजन विहीन हो गए। इसके बाद के वर्षों में जंतुओं का तेज़ी से विकास हुआ, जिसे ओर्डोविशियन फैलाव कहते हैं।
बायोलॉजिकल साइंस में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 25.2 करोड़ वर्षों पहले एक और ऑक्सीजन-अल्पता की घटना का सम्बंध एक बड़े विलुप्तिकरण से है। लेकिन इसके बाद एक बार फिर विविधता उत्पन्न हुई - नए कोरल और स्पॉन्ज प्रजातियां, इक्थियोसौर और समुद्री डॉल्फिन। ये नए रूप कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में उभरे थे।
यह सही है कि आधुनिक जीवन के लिए ऑक्सीजन-अल्पता घातक है लेकिन लंबी अवधि में यह विकास को संभव बना सकती है। अभी यह ज्ञात नहीं है कि ऑक्सीजन-अल्पता की घटना से जंतुओं का विकास कैसे हुआ। शायद ऑक्सीजन-अल्पता की वजह से बड़े जंतु नष्ट हुए और छोटे जंतुओं के लिए जगह बनी। (स्रोत फीचर्स)