नेचर न्यूरोसाइन्स में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क की भौतिक रचना में परिवर्तन होते हैं और ये परिवर्तन स्त्री को मातृत्व के लिए तैयार करते हैं।
बार्सिलोना के ऑटोनॉमस विश्वविद्यालय के एक दल ने लेडन विश्वविद्यालय की एल्सेलाइन होकज़ेमा के नेतृत्व में पहली बार मां बनने जा रही स्त्रियों के दिमाग का स्कैनिंग गर्भधारण से पहले और बाद में करने पर पाया कि उनके दिमाग के कुछ हिस्सों में ग्रे मैटर में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं। ये वे हिस्से थे जो सामाजिक संज्ञान से सम्बंधित हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि ये परिवर्तन प्रसव के दो साल बाद तक बरकरार थे। यह भी देखा गया कि यही वे हिस्से हैं जो तब सक्रिय होते हैं जब स्त्री अपने शिशु की तस्वीरें देखती है। और तो और, इन हिस्सों में हुए परिवर्तनों का सम्बंध मां के अपनी संतान से लगाव के साथ देखा गया। यह सम्बंध इतना नज़दीकी था कि शोधकर्ता मात्र कंप्यूटर पर एक सूत्र के माध्यम से विश्लेषण करके मां के लगाव का अंदाज़ लगा सके। मां के लगाव को एक अलग परीक्षण के द्वारा स्वतंत्र रूप से जांचा गया था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि गर्भावस्था के साथ स्त्री के शरीर में हारमोन सम्बंधी बड़े-बड़े बदलाव होते हैं। ऐसे व्यापक बदलाव जीवन में सिर्फ एक बार और होते हैं - किशोरावस्था में जब मासिक स्राव शुरु होता है। यह देखा जा चुका है कि उस अवधि में मस्तिष्क के ग्रे मैटर में कई बदलाव आते हैं। पूरी किशोरावस्था में लड़के-लड़कियों दोनों में ग्रे मैटर की काफी क्षति होती है और उनके दिमाग को वयस्क अवस्था के लिए तैयार किया जाता है। तो होकज़ेमा समझना चाहती थीं कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले हारमोन परिवर्तनों का दिमाग पर क्या असर होता है।
होकज़ेमा व उनके साथियों ने कुछ ऐसी महिलाओं के दिमाग का स्कैन किया जो गर्भधारण की कोशिश कर रही थीं। इनमें से जो स्त्रियां गर्भवती हुईं उनका प्रसव के तुरंत बाद और प्रसव के दो साल बाद फिर से स्कैन किया गया। तुलना के लिए कुछ ऐसी महिलाओं पर भी यही प्रक्रिया की गई जो गर्भवती होने का प्रयास नहीं कर रही थीं।
इसी के साथ प्रसव के बाद महिलाओं को उनके शिशु की तस्वीर दिखाकर भी स्कैन किया गया ताकि शिशु से उनके लगाव का आकलन किया जा सके। इस पूरी छानबीन से पता चला कि प्रसव के बाद ग्रे मैटर की जो क्षति हुई थी वह दो साल बाद तक भी बनी रही। और होकज़ेमा के मुताबिक यह कोई खराब बात नहीं है। हालांकि अभी पक्की तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कह सकते मगर एक अनुमान है कि यह स्त्रियों को मातृत्व के लिए तैयार करने का काम करती है। (स्रोत फीचर्स)