यह एक रोचक गुत्थी रही है कि हाथी अपनी सूंड से बड़े-बड़े लट्ठों से लेकर केले जैसी छोटी-छोटी नाज़ुक चीज़ों को कैसे पकड़ लेता है। अब चिड़ियाघर में बंदी एक अफ्रीकी हथिनी (नाम केली) के अवलोकन से इस गुत्थी को सुलझा लिया गया है।
जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के जिआनिंग वू और उनके साथियों ने केली को अलग-अलग साइज़ की वस्तुएं देकर अवलोकन किया कि वह अपनी सूंड से इन्हें कैसे हैण्डल करती है। इन चीज़ों में थी भूसा, भूसे से बनाए गए घनाकार गुटके, एक जड़कंद स्वीड और सेलरी की पत्तियों से बने गुटके। ये चीज़ें एक मेज़ पर परोसी गई थीं। इस मेज़ की विशेषता यह थी कि इसकी मदद से नीचे की ओर लगने वाले उस बल को नापा जा सकता था जो हथिनी किसी चीज़ को उठाते वक्त लगाती है। साथ ही शोधकर्ताओं ने हथिनी की सूंड के घुमावों का बारीकी से अवलोकन किया। इससे यह देखने में मदद मिली कि हथिनी कब कितना बल लगाती है और सूंड को किस तरह मोड़ती है।
समझ में आया कि केली का करतब यह था कि वह अपनी 2 मीटर लंबी सूंड को किसी भी बिंदु से मोड़कर गोल कर सकती है। सूंड को कहां से घुमाया गया है, इसी से तय होता है कि नीचे की ओर कितना बल लगेगा।
दरअसल सूंड का यह खम उसे दो भागों में बांट देता है यानी यह बिंदु हाथों में किसी जोड़ की तरह काम करता है। इस ‘जोड़’ के चलते सूंड का एक हिस्सा (लटकता हिस्सा) लंबा रहता है और दूसरा छोटा - और तो और, इन दोनों हिस्सों की लंबाई को बदला जा सकता है। जब ज़्यादा बल लगाना होता है तो केली लटकते हिस्से को लंबा रखती है जबकि नाज़ुक छोटी वस्तुओं को उठाने के लिए वह इस हिस्से को छोटा कर लेती है। दूसरे शब्दों में केली के पास यह क्षमता है कि वह सूंड को अलग-अलग बिंदुओं से घुमाकर अलग-अलग साइज़ की वस्तुओं के लिए तैयार कर सकती है।
सवाल यह है कि इस समझ का क्या फायदा। वू और उनके साथी इस जानकारी का उपयोग करके एक कृत्रिम पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसका उपयोग बहुत अलग-अलग चीज़ों को उठाने के लिए किया जा सके। यह आसान नहीं है क्योंकि वर्तमान टेक्नॉलॉजी केली की मांसपेशियों के समान लचीले ढंग से गति करने वाली मशीन बनाने के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं है। मगर वू को लगता है कि वे एक हरफनमौला रोबोट पकड़ बना लेंगे जो उद्योगों में उपयोगी होगी। (स्रोत फीचर्स)