देखा जाए तो अर्जित गुणों के संतानों तक पहुंचने के सवाल का पटाक्षेप डारविन के विकासवाद के साथ हो चुका था किंतु यह सवाल इस बार ज़्यादा नफासत से उठा है। सवाल यह है कि क्या माता-पिता द्वारा अपने जीवन काल में अर्जित किए गए शारीरिक गुण संतानों को विरासत में प्राप्त होते हैं। इस मामले में हाल में किए गए कुछ प्रयोगों से नई समझ उभरी है।
वेसलेयन विश्वविद्यालय की सोनिया सुल्तान और जेकब हरमैन ने एक छोटे-से फूलधारी पौधे पोलीगोनम पर्सीकेरिया के साथ कुछ प्रयोग करके दर्शाया है कि वाकई कुछ अर्जित गुण संतानों में भी नज़र आते हैं। प्रोसीडिंग्स ऑफ दी रॉयल सोसायटी बी में प्रकाशित अपने शोध पत्र में उन्होंने इसकी क्रियाविधि पर भी प्रकाश डाला है।
पोलीगोनम पर्सीकेरिया एक वार्षिक पौधा है। सुल्तान और हरमैन ने ऐसे कुछ पौधों को सूखी मिट्टी और कुछ पौधों को सामान्य मिट्टी में उगाया। इनसे जो बीज प्राप्त हुए उन्हें अलग-अलग रखा मगर सबको सूखी मिट्टी में बो दिया। उन्होंने इन नए पौधों के साथ एक प्रक्रिया और की। इनमें से कुछ पौधों के डीएनए में से 15 से 20 प्रतिशत तक मिथाइलेशन को हटा दिया।
दरअसल, मिथाइलेशन वह प्रक्रिया है जिसके ज़रिए डीएनए में जगह-जगह पर मिथाइल समूह जुड़ जाता है। इसकी वजह से उन हिस्सों में उपस्थित जीन्स या तो निष्क्रिय हो जाते हैं या उनका व्यवहार बदल जाता है। यह प्रक्रिया जीव के जीवन काल में निरंतर चलती रहती है और इसकी वजह से उस जीव में कुछ नवीन गुण प्रकट होते हैं।
दोनों तरह के पौधों को सूखी मिट्टी में उगाने पर देखा गया कि जो पौधे सूखे में पले माता-पिता से उत्पन्न हुए थे उनमें सूखा सहने की क्षमता ज़्यादा थी। अर्थात उनकी पौध जल्दी बड़ी हुई, उनकी जड़ें ज़्यादा गहराई तक पहुंची और उनमें चौड़ी पत्तियां बनीं।
मगर जिन पौधों में मिथाइल समूहों को हटा दिया गया था उनमें माता-पिता के ये गुण प्रकट नहीं हुए। इसके आधार पर सुल्तान का मत है कि किसी जीव के जीवन काल में डीएनए का मिथाइलीकरण उसमें कई गुणों के लिए ज़िम्मेदार होता है और संतानों को ये गुण मिथाइल युक्त डीएनए के माध्यम से ही प्राप्त होते हैं।
आम तौर पर देखा गया है कि जब सामान्य कोशिका से प्रजनन कोशिकाएं (जैसे भ्रूण की कोशिकाएं) बनती हैं तो पूरा मिथाइलीकरण समाप्त कर दिया जाता है। मगर सुल्तान के प्रयोगों से लगता है कि कुछ मामलों में मिथाइलीकरण शेष रह जाता है और यह संतानों को उनके माता-पिता द्वारा अर्जित गुण प्रदान करता है।
प्रयोगों में एक विशेषता यह थी कि इसमें जेनेटिक दृष्टि से काफी विविध पौधों का उपयोग किया गया था और सब में अर्जित गुणों का अगली पीढ़ी को हस्तांतरण नहीं देखा गया। इसका मतलब है कि मिथाइलीकरण को अगली पीढ़ी में पहुंचाना स्वयं भी एक आनुवंशिक गुण है जो सब जीवों में नहीं पाया जाता। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - February 2017
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