भौतिकी के सिद्धांतों के मुताबिक प्रकृति में पदार्थ का विलोम यानी प्रति-पदार्थ पाया जाता है। कई सारी भौतिक परिघटनाओं की व्याख्या के लिए प्रति-पदार्थ के अस्तित्व की परिकल्पना प्रस्तुत हुई है। प्रति पदार्थ के बारे में मान्यता यह है कि उसका संघटन सामान्य पदार्थ से उल्टा होगा। जैसे हाइड्रोजन के एक सामान्य परमाणु में जहां एक इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन के चक्कर काटता है वहीं प्रति-हाइड्रोजन के परमाणु में एक पॉज़िट्रॉन (यानी धनावेशित इलेक्ट्रॉन) एक एंटी-प्रोटॉन (यानी ऋणावेशित प्रोटॉन) की परिक्रमा करेगा। माना यह जाता है कि ऐसे प्रति-परमाणु उसी तरंग लंबाई के प्रकाश को सोखेंगे और उत्सर्जित करेंगे जैसा कि उस तत्व का परमाणु करता है। मगर ऐसे प्रति परमाणु को थामना और उसका नाप-तौल करना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि जैसे ही परमाणु और प्रति-परमाणु संपर्क में आते हैं वे एक-दूसरे को नष्ट कर देते हैं। प्रति-पदार्थ का अध्ययन करने के लिए उसे अत्यंत कम तापमान पर चुंबकीय क्षेत्र में कैद करके रखना होता है।
अब जेनेवा के नज़दीक सर्न प्रयोगशाला के अल्फा समूह ने एक साथ 14 प्रति-हाइड्रोजन परमाणुओं को कैद करने में सफलता प्राप्त की है। इससे पहले किए गए प्रयासों में ऐसे मात्र दो परमाणु पकड़े जा सके थे।
अल्फा टीम ने इन प्रति-हाइड्रोजन परमाणुओं के वर्णक्रम का भी विश्लेषण किया है। उन्होंने पाया कि प्रति-हाइड्रोजन के वर्णक्रम में जो न्यूनतम ऊर्जा वाला फोटॉन होता है वह उसी तरंग लंबाई का है जैसा कि हाइड्रोजन का होता है। दिक्कत यह रही कि वर्णक्रम के अध्ययन के लिए उसका संपर्क लेज़र से करवाया गया था और फिर लेज़र पुंज की ऊर्जा का अध्ययन किया गया। यह बहुत सटीकता से नहीं किया जा सकता। किंतु इससे उम्मीद बंधी है कि जल्दी ही सटीक मापन के बाद हाइड्रोजन और प्रति-हाइड्रोजन की तुलना की जा सकेगी। यदि इनमें अंतर पाया जाता है तो भौतिकी का स्टैण्डर्ड मॉडल थोड़ा खटाई में पड़ जाएगा। फिलहाल सूक्ष्म स्तर पर प्रकृति की व्याख्या के लिए भौतिक शास्त्री मूलत: स्टैण्डर्ड मॉडल पर निर्भर हैं। (स्रोत फीचर्स)