भौतिक शास्त्रियों ने वस्तुओं को ठंडा करने की एक नई तकनीक से रिकॉर्ड ठंडक पैदा करने में सफलता प्राप्त की है। यह तकनीक विकिरण के ज़रिए शीतलन की है और इसके लिए ऐसी टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वस्तु की ऊष्मा सीधे अंतरिक्ष में बिखेर दी जाती है।
स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के ज़ेन चेन व उनके साथियों ने इस तकनीक का उपयोग करते हुए एक वस्तु को आसपास के मुकाबले पूरे 42.2 डिग्री सेल्सियस ठंडा करने में सफलता हासिल की है।
तकनीक का सार यह है कि आम तौर पर जब वस्तुएं ऊष्मा विकिरित करती हैं तो वह ऐसी तरंग लंबाई पर होती है कि पृथ्वी का वायुमंडल उसे वापिस लौटा देता है। चेन व साथियों ने ऐसी व्यवस्था की कि वस्तु द्वारा विकिरित ऊष्मा 8 से 13 माइक्रोमीटर तरंग लंबाई के बीच रहे। वायुमंडल इसे सीधे आकाश में बिखरने देता है। इस तरह से वस्तु को ठंडा किया जा सकता है। फिलहाल एयर कंडीशनिंग के लिए कम्प्रेसर तकनीक का उपयोग होता है। इसमें पहले किसी गैस को दबाकर उसका आयतन कम किया जाता है। जब यह गैस वापिस फैलती है तो ठंडी हो जाती है। इस ठंडी गैस की मदद से इसके संपर्क में रखी वस्तु को भी ठंडा किया जा सकता है और वह गैस उस वस्तु की ऊष्मा ग्रहण करके फिर से गर्म हो जाती है।
अभी चेन व साथियों द्वारा विकसित तकनीक व्यापारिक उपयोग के स्तर पर नहीं है। मुख्य कारण यह है कि इसमें प्रयुक्त पदार्थ काफी महंगे हैं। किंतु चेन व साथियों ने इसे व्यापारिक रूप देने के लिए अपनी कंपनी की स्थापना की है। उनका मत है कि जहां बहुत अधिक ठंडक पैदा करने की ज़रूरत नहीं है वहां सस्ते पदार्थों का उपयोग करके तकनीक को रेफ्रिजरेटर वगैरह के लिए ढाला जा सकता है। खास तौर से इसका उपयोग ऐसे इलाकों में दवाइयों को ठंडा रखने में किया जा सकता है जहां वातावरण का तापमान बहुत अधिक होता है। (स्रोत फीचर्स)