भारत डोगरा
किसी भी आपदा में अमूल्य मानव जीवन बचाने के लिए ज़रूरी है कि सामान्य लोग इस बारे में भलीभांति प्रशिक्षित हों कि उन्हें आपदा के समय क्या करना है। जिन क्षेत्रों में किसी विशेष तरह की आपदा की संभावना अधिक है, उन क्षेत्रों में यह तैयारी पहले से करना बहुत ज़रूरी है कि ऐसी आपदा आने के समय लोग क्या करें।
इस तैयारी का एक पक्ष यह है कि आपदा के समय क्या करना है, इसकी एक ट्रायल पहले से किसी जगह कर ली जाए। दूसरे शब्दों में, विभिन्न एजेंसियों, संस्थानों व लोगों से कहा जाए कि वे आपदा आने पर क्या करेंगे, वे इसका एक पूर्व प्रशिक्षण या ड्रिल करें।
ऐसी ही एक ड्रिल हिमाचल प्रदेश में 24 नवंबर को भूकंप का सामना करने की तैयारी को लेकर की गई। हिमाचल प्रदेश उन क्षेत्रों में है जहां भूकंप की संभावना अधिक है। इसका एक बड़ा क्षेत्र भूकंपनीयता के चौथे व पांचवे ज़ोन में आता है। इसके अतिरिक्त शिमला व सोलन जैसे बड़े शहरों में हाल के वर्षों के अंधाधंुध निर्माण के कारण भूकंप के समय होने वाली क्षति की संभावना बहुत बढ़ गई है।
भूकंप के पहले से अधिक बढ़ते खतरे के बीच राज्य सरकार ने यह स्वागत योग्य निर्णय किया कि राज्य में भूकंप से अधिक प्रभावित सात ज़िलों शिमला, कांगड़ा, मंडी, चंबा, सोलन, किन्नौड व कुल्लू में भूकंप का सामना करने के लिए ड्रिल का आयोजन किया जाए। यह आयोजन इन 7 ज़िलों में 24 नवंबर को किया गया।
इस ड्रिल का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह था कि भूकंप के दौरान बचाव कार्य जिस तरह किए जाएंगे, इसकी ट्रायल अनेक स्थानों पर पहले से की गई। इस तरह की ड्रिल करने से यह आभास भी हुआ कि किस तरह की कठिनाइयां बचाव कार्य में आ सकती हैं।
इस ड्रिल को पूर्ण तो नहीं माना जा सकता है, पर फिर भी इसने एक ज़रूरी मिसाल कायम की है। यदि विभिन्न संभावित आपदाओं के संदर्भ में इस तरह के ड्रिल का आयोजन किया जाए, तो इससे वास्तविक आपदा के समय अमूल्य मानव जीवन बचाने से काफी सहायता मिल सकती है। (स्रोत फीचर्स)