यह एक दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि यूएस ने पेरिस की ऐतिहासिक जलवायु संधि से हाथ खींच लिए हैं। इस संधि के तहत दुनिया के 195 देशों ने वैश्विक तापमान में वृद्धि को एक सीमा में रखने के लिए कार्रवाई का निर्णय लिया है। इस संदर्भ में खबर यह है कि न्यूयॉर्क शहर के भूतपूर्व महापौर माइकल ब्लूमबर्ग ने कहा है कि संधि के तहत यूएस की जो वचनबद्धता थी उसे निभाने के लिए वे व्यक्तिगत रूप से 45 लाख डॉलर का चेक भेजेंगे।
उनका कहना है कि अमेरिका ने इस संधि के क्रियांवयन में योगदान के लिए कुछ राशि देने का संकल्प लिया था और यदि सरकार वह वचन नहीं निभा रही है तो यह ज़िम्मेदारी देश के नागरिकों पर आ गई है। चूंकि वे व्यक्तिगत स्तर पर योगदान दे सकते हैं, इसलिए वे ऐसा करेंगे।
उनका यह भी कहना है कि सब कुछ जैसे चल रहा है, वैसे चलने देना खतरनाक साबित हो सकता है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कुछ कदम उठाना ज़रूरी है। पिछले वर्ष ट्रम्प प्रशासन ने जलवायु परिवर्तन संधि से अलग होने का इरादा जताया था। उस समय यूएस महापौर सम्मेलन के साथ-साथ ब्लूमबर्ग ने भी प्रशासन के इस कदम का विरोध किया था और कहा था कि राष्ट्रपति के इस रवैये के बावजूद महापौर कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम की दिशा में काम करते रहेंगे। ब्लूमबर्ग ने यह भी कहा है कि उनका प्रतिष्ठान - ब्लूमबर्ग फिलेंथ्रॉपी - देश में चल रहे प्रयास ‘अमेरिकास प्लेज’ (अमेरिका का वचन) को आगे बढ़ाने में सहयोग करेगा ताकि सरकार के एवज में समाज की ओर से राष्ट्रीय योगदान दिया जा सके।
वैसे ब्लूमबर्ग का मानना है कि राष्ट्रपति ट्रम्प अपना मन बदलेंगे। उनको अपना मन बदलकर कहना चाहिए कि समस्या वास्तव में है, अमेरिका इस समस्या का हिस्सा है और उसे समाधान का भी हिस्सा बनना चाहिए। हमें वह सब कुछ करना चाहिए जो हमारे जीवन को बदतर बनने से रोकने के लिए ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)