जीर्ण (पुराने) घावों को भरने में बहुत वक्त लगता है। घाव भरने के दौरान इनकी नियमित देखभाल करनी पड़ती है वरना संक्रमण की आशंका होती है। कभी-कभी तो नौबत यहां तक पहुंच जाती है कि व्यक्ति का वह अंग ही काटना पड़ जाता है। डायबिटीज़ और मोटापे की समस्या से ग्रस्त लोगों में जीर्ण घाव होने की संभावना और भी बढ़ जाती है।
इस समस्या से राहत पाने के लिए टफ्ट्स विश्वविद्यालय के समीर सोनकुसाले और उनकी टीम ने ऐसा बैंडेज विकसित किया है जो घावों की देखभाल करेगा और ज़रूरत के हिसाब से घाव पर दवा भी लगा देगा।
इस बैंडेज में लगे सेंसर घाव से रिसने वाले जैविक अणुओं का जायज़ा लेते रहते हैं और इनके आधार पर घाव की हालत भांपते हैं। उदाहरण के लिए, सेंसर देखते हैं कि घाव को ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में मिल रही है या नहीं; घाव का pH(यानी अम्लीयता) का स्तर ठीक है या नहीं; घाव असामान्य स्थिति में तो नहीं है; घाव के आसपास का तापमान क्या है; कोई सूजन तो नहीं है। इस जानकारी को एक माइक्रोप्रोसेसर में पढ़ा जाता है। फिर घाव की स्थिति एक मोबाइल डिवाइस को भेजी जाती है। यदि दवा देने की ज़रूरत लगती है तो वह डिवाइस बैंडेज को दवा, एंटीबायोटिक देने के निर्देश देती है।
पिछले कुछ सालों में वैज्ञानिकों ने ऐसे आधुनिक बैंडेज विकसित किए हैं जो घाव में संक्रमण का पता कर सकते हैं और यह अंदाज़ लगा सकते हैं कि वह कितनी तेज़ी से ठीक हो रहा है। किंतु घाव की स्थिति भांपकर उपचार करने वाला यह पहला बैंडेज है हालांकि यह बैंडेज अभी बाज़ारों में उपलब्ध नहीं हैं। शोधकर्ताओं का कहना है अलग-अलग तरह के जीर्ण घावों की देखभाल और उपचार के लिए अभी इस पर और काम किया जाना बाकी है। उम्मीद है कि यह बैंडेज बेड सोर, जलने के घाव और सर्जरी के घावों को भरने में मददगार होगा। इस तरह का बैंडेज संक्रमण को कम करेगा। शायद अंग को काटे जाने की नौबत ना आए। (स्रोत फीचर्स)