ब्राज़ील के एक चमगादड़ के बारे में दावा किया गया है कि वह जंतु जगत में सबसे तेज़ उड़ाका है। वह पक्षियों से भी तेज़ रफ्तार से उड़ सकता है। इस अध्ययन के मुखिया टेनेसी विश्वविद्यालय के गैरी मैकक्रेकन ने दावा किया है कि उन्होंने इस चमगादड़ को 160 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ते रिकॉर्ड किया है और यह पक्षियों की सबसे तेज़ गति से कहीं ज़्यादा है। आज तक यह माना जाता था कि एक अबाबील (Apus apus) सबसे तेज़ उड़ता है और उसकी रफ्तार 112 कि.मी. प्रति घंटा रिकॉर्ड की गई थी।
अलबत्ता मैकक्रेकन की टीम का यह दावा आते ही इस पर विवाद शुरु हो गया है। दरअसल, मैकक्रेकन की टीम ने सात चमगादड़ों पर वह यंत्र लगाया जो हवाई जहाज़ों की निगरानी के काम आता है। यह एक मानक प्रक्रिया है। इसके आधार पर उन्होंने देखा कि इन चमगादड़ों को उड़कर ज़मीनी दूरी तय करने में कितना समय लगता है। देखा गया कि सामान्यत: तो ये चमगादड़ एक औसत ढंग से उड़ते हैं मगर बीच-बीच में वे तेज़ गति से उड़ने लगते हैं और अधिकतम 160 कि.मी. प्रति घंटे की गति हासिल कर लेते हैं।
मगर पक्षी विशेषज्ञों का कहना है कि उनके मापन में कई समस्याएं हैं। जैसे एक तो यह बात सामने आई है कि मैकक्रेकन की टीम ने इस बात का कोई ख्याल नहीं किया कि हवा किस गति से चल रही थी। संभव है कि बीच-बीच में ये चमगादड़ हवा के झोंके में तेज़ी से आगे बढ़ गए हों।
दूसरा यह भी ध्यान नहीं रखा गया कि उड़ान के दौरान वे ऊपर की ओर जा रहे थे या नीचे की ओर। यदि कोई चमगादड़ नीचे की ओर जा रहा है तो उसे गुरुत्वाकर्षण का फायदा मिलेगा और उसकी रफ्तार बढ़ जाएगी।
मैकक्रेकन भी मानते हैं कि उनके अध्ययन में उपरोक्त बातों का ध्यान नहीं रखा गया था मगर फिर भी उन्हें लगता है कि चमगादड़ों को जितना धीमा उड़ाका माना जाता है, वे उतने धीमे तो कदापि नहीं होते।
यह रोचक अध्ययन रॉयल सोसायटी ओपन साइन्स में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ता यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि आखिर इन चमगादड़ों को इतनी तेज़ उड़ान की ज़रूरत क्या है। उड़ने में बहुत ऊर्जा लगती है। कोई भी जंतु यह क्षमता तभी हासिल करेगा जब यह ज़रूरी हो। चमगादड़ पक्षियों के समान लंबी दूरियों तक प्रवास तो करते नहीं। मगर लगता है कि उन्हें भोजन की तलाश में काफी भटकना पड़ता है। वे कई बार 50 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं और वह भी ज़मीन से 1 किलोमीटर ऊपर उड़कर। तो उनकी उड़ने की क्षमता उपयोगी तो है। वैसे एक बात यह भी कि ये निशाचर जीव हैं और इनके बारे में अभी काफी अध्ययन की आवश्यकता है। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - January 2017
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