उत्तरी तंज़ानिया में एक पुरातत्व स्थल है लायटोली। यह वह स्थान है जहां 1976 में मानव सदृश (होमिनिन) जीव के पदचिन्हों के जीवाश्म मिले थे। उस समय मात्र तीन जीवों के पदचिन्ह देखे गए थे मगर हाल ही में की गई खुदाई में एक साथ पांच मानव सदृश जीवों के पदचिन्ह खोजे गए हैं। और ये पदचिन्ह तमाम परिकल्पनाओं, सिद्धांतों को जन्म दे रहे हैं।
जिन होमिनिन जीवों के ये पदचिंह हैं वे ऑस्ट्रेलोपेथिकस अफारेंसिस प्रजाति के रहे होंगे। ये पदचिन्ह कैसे बने और 36.6 लाख साल तक बने रहे? ऐसा प्रतीत होता है कि लावे की गीली राख में ये जीव उस पर चले थे और जल्दी ही वह लावा ठोस हो गया था।
पदचिन्हों की नवीन खोज दरअसल इस इलाके को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का प्रतिफल है। लायटोली में एक संग्रहालय बनाने की योजना है। तो वहां के अधिकारियों ने तंज़ानिया के दारेस्सलाम विश्वविद्यालय के फिदेलिस मसाओ से यह आकलन करने को कहा कि उस इलाके की भूगर्भीय बनावट पर भवन निर्माण के कार्य का क्या असर होगा। मसाओ और उनके साथियों ने खुदाई शु डिग्री की। नवीन पदचिन्ह इसी खुदाई के दौरान मिले हैं।
पहले जब तीन जीवों के पदचिन्ह मिले थे तो स्पष्ट था कि उनमें से दो वयस्क और एक शिशु था। उस समय इसे प्रागैतिहासिक ‘एकल’ परिवार का प्रमाण माना गया था। मगर अब कुछ और ही तस्वीर उभरी है।
हाल की खुदाई में सबसे बड़े वाले जीव (s1) के पूरे 13 पदचिन्ह मिले हैं और उससे छोटे वाले जीव का मात्र एक पदचिन्ह है। पदचिन्हों को देखकर ऐसा लगता है कि च्1 ठीक उसी दिशा में तथा उसी गति से चल रहा था जैसे कि 1976 में मिले पदचिन्ह वाला जीव चल रहा था।
नवीन पदचिन्हों की एक और उल्लेखनीय बात है। इनके विश्लेषण से पता चला है कि च्1 के अलावा वहां कई अन्य वयस्क मौजूद थे। इनको देखकर शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलोपेथिकस के सामाजिक जीवन के बारे में कुछ परिकल्पनाएं बनाई हैं। लगता है कि कई मायनों में ये ऑस्ट्रेलोपेथिकस आधुनिक गोरिल्ला जैसे थे। इनमें हर झुंड में एक बड़ा नर कई मादाओं को साथ लेकर चलता था।
इन पदचिन्हों के आधार पर यह भी समझने की कोशिश की जा रही है कि क्या ऑस्ट्रेलोपेथिकस आधुनिक मनुष्यों के समान सीधा होकर चलता था। लिवरपूल विश्वविद्यालय के रॉबिन क्रॉम्पटन का कहना है कि पदचिन्हों की गहराई के अध्ययन से लगता है कि ये जीव हमारे समान ही चलते थे। खास तौर से इनके पदचिन्हों से प्रमाण मिलता है कि इनके तलवों में आजकल के मनुष्यों के समान मेहराब थे।
समूह में वयस्क ऑस्ट्रेलोपेथिकस के पदचिन्ह 26 से.मी. लंबे हैं। इसके आधार पर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उसकी ऊंचाई करीब 1.65 मीटर रही होगी। वैसे कई अन्य वैज्ञानिकों ने इस निष्कर्ष पर सवाल उठाए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह अनुमान हमारे अपने पैरों और ऊंचाई के अनुपात के आधार पर निकाले गए हैं। हो सकता है कि ऑस्ट्रेलोपेथिकस में पैर-कद का अनुपात यही न रहा हो।
तो उम्मीद करनी चाहिए कि जब 2017 में शोधकर्ता एक बार फिर तंज़ानिया के लायटोली पहुंचेंगे तो काफी रोचक जानकारी मिलेगी। (स्रोत फीचर्स)