ए. दास

आप क्रोमेटोग्राफी की विधि से परिचित तो होंगे ही। इस विधि के सहारे आप मिश्रण में से पदार्थों को अलग-अलग कर सकते हैं। आपने चॉक के निचले हिस्से पर काली स्याही की बूंद लगाकर उस पर पानी को चढ़ाया होगा (देखिए बॉक्स)। इस तरीके से कुछ देर बाद आपको चॉक पर अलग-अलग ऊंचाई पर विभिन्न रंगों के छल्ले बने दिखते हैं। लेकिन इस प्रयोग में बात यहीं पर आकर रुक जाती है। इससे यह तो पता चल जाता है कि काली स्याही कितने रंगों से मिलकर बनी है, लेकिन अगर इन रंगों को अलग-अलग शुद्ध रूप में प्राप्त करना हो तो क्या करें?

क्रोमेटोग्राफी विधि का एक उद्देश्य तो यह पता करना है कि मिश्रण में कौन-कौन से पदार्थ हैं और दूसरा महत्वपूर्ण उद्देश्य है - मिश्रण में

स्तंभ क्रोमेटोग्राफी चॉक से

सामग्री: सफेद चॉक, रंगबिरंगी स्याहियां, पानी, किसी डिब्बे को गहरा ढक्कन या ऐसा कोई बर्तन (जैसे प्लेट)।

कैसे करें: दो-तीन रंगों की स्याहियों की थोड़ी-थोड़ी मात्रा लेकर आपस में मिला दीजिए। ये हो गया हमारा मिश्रण। स्केच पेन की काली स्याही लेने से भी काम चल जाएगा।

अब एक चॉक लीजिए - ऐसा जो सीधा खड़ा रह सके। इस चॉक के मोटे सिरे मे लगभग एक सेंटीमीटर छोड़कर बनाए हुए मिश्रण का एक छल्ला बना दीजिए। छल्ला बनाने के लिए माचिस की तीली, ऑलपिन या रीफिल से काम चल जाएगा। छल्ले की मोटाई जितनी कम होगी उतना ही अच्छा रहेगा।

अब लिए हुए ढक्कन या प्लेट में थोड़ा-सा पानी डाल दीजिए और छल्ले की तरफ से चॉक को उसमें खड़ा कर दीजिए। पानी बस इतना हो कि छल्ला उसमें डूबने न पाए। पानी की सतह चॉक पर बनाए छल्ले से नीचे ही रहनी चाहिए।

अब आप देखेंगे कि पानी धीरे-धीरे ऊपर चढ़ रहा है। वह छल्ले को भी पार कर जाएगा और लगभग दूसरे सिरे तक पहुंच जाएगा। अब चॉक को बाहर निकाल लीजिए और सुखा कर उसका अवलोकन कीजिए। क्या स्याहियां अलग-अलग नज़र आ रही हैं?

चित्र: स्याही के मिश्रण का एक छल्ला चॉक पर बनाकर उसे किसी पानी से भरे ढक्कन या प्लेट में खड़ा करना है। ध्यान रहे कि चॉक पर बना छल्ला पानी में डूबना नहीं चाहिए।

चित्र-1: बनाइए कॉलम: चाक के चूरे को पीस कर पानी में घोल लीजिए। इस घोल को हिलाते हुए सीरिंज में भरते रहिए। पानी नीचे से रिसता रहेगा। इस तरह चॉक का चूरा सीरिंज में भर जाएगा और प्रयोग के लिए आपका कॉलम तैयार हो जाएगा।
मिले हुए अलग-अलग पदार्थ को शुद्ध रूप में प्राप्त करना।

कुछ दिन पहले इसी समस्या से उलझते हुए मैंने काली स्याही में मिले हुए अलग-अलग रंगो को शुद्ध रूप में अलग-अलग प्राप्त करने का एक रोचक और अत्यंत सरल तरीका हासिल किया। यहां मैं वही तरीका बताने जा रहा हूं। इसे आप खुद आज़मा कर देख सकते हैं।
प्रयोग के लिए आपको इन चीजों की ज़रूरत होगी।
1. एक 5 मि.ली. की डिस्पोजेबल सीरिंज
2. चॉक का बारीक चूरा (इसके लिए आप चॉक को पीसकर पतले कपड़े से छान लीजिए)
3. कुछ उफननली या कांच के गिलास
4. मिश्रण (स्केच पेन की काली स्याही)
5. तरल पदार्थ (पानी)
6. रुई
7. पोस्टकार्ड

विधिः सीरिंज से किया जाने वाला यह प्रयोग रसायन शास्त्र में अत्यंत प्रचलित कॉलम (स्तम्भ) क्रोमेटोग्राफी का ही एक प्रकार है।
प्रयोग करने के लिए पहले आप सीरिंज में लगी हुई सुई को निकाल दें और थोड़ी-सी रुई सीरिंज में डाल कर रुई को नीचे की तरफ दबा दें।
चित्र 2 : कॉलम पर दिख रहे अलग-अलग रंग के छल्लों से रंग अलग करने के लिए कॉलम में ऊपर में धीरे-धीरे पानी डालिए। नीचे रखे बीकर में सबसे पहले वह रंग बाहर निकलेगा जो सबसे नीचे है। ध्यान रखिए कि जैसे ही एक रंग खत्म हो आपको दूसरा रंग मिलना शुरू हो जाएगा। इसलिए दूसरी परखनली या गिलास आदि तैयार रखें, अलग रंग इकट्ठा करने के लिए।
इस रुई को पानी से गीला कर लें।

अब दो या तीन चॉक पीसकर उनका चूरा बना लीजिए और एक पतले कपड़े से उसे अच्छे से छान लीजिए ताकि आपको बारीक चूरा मिल जाए।

इसके बाद आधा बीकर पानी लेकर चॉक के चूरे को उसमें डालकर अच्छी तरह से मिलाइए और थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए। अब इस मिश्रण को सीरिंज में भर लीजिए। मिश्रण को सीरिंज में भरते हुए बार-बार हिलाना जरूरी है क्योंकि चॉक बीकर में हमेशा नीचे बैठ जाता है। जैसे-जैसे आप सीरिंज में मिश्रण डालते जाएंगे सीरिंज चॉक से भरता जाएगा और पानी रिसकर निकलता जाएगा। चॉक के चूरे के बाहर निकलने की तो कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि आपने रुई जो डाल रखी है।
उसके बाद चित्र-1 अनुसार सीरिंज को लटकाकर उसमें से पानी रिस जाने दें। मगर ऐसा न हो कि चॉक के चूरे से बना कॉलम सूखकर फट ही जाए। आपके कॉलम की लम्बाई सीरिंज के लगभग तीन चौथाई हिस्से तक होनी चाहिए। अब इस कॉलम में स्केच पेन की काली स्याही की दस बूंद ड्रॉपर से डालिए और उसे चित्र-1 जैसी स्थिति में लटका रहने दीजिए।

लगभग एक घंटे बाद आपको अलग-अलग रंगों के नज़ारे दिखेंगे। सबसे पहले आपको मोटे-मोटे रूप में तीन रंग दिखेंगे। पहले नीले रंग का मोटा छल्ला, उसके बाद लाल और सबसे नीचे पीला। लेकिन आप जब सीरिंज में ऊपर से पानी डालकर रंगों के छल्ले को सीरिंज के नीचे की तरफ लाएंगे तो आपको और भी किस्म किस्म के रंग दिखेंगे। यानी कॉलम पर सबसे नीचे पीला फिर गुलाबी, फिर लाल, फिर हल्का बैंगनी और सबसे ऊपर नीला। नीले के ठीक नीचे बैंगनी रंग देख पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है - आपको लग सकता है कि नीले रंग के छल्ले के नीचे का स्थान खाली है, परंतु उसे गौर से देखिए।

पीला रंग इस कॉलम में सबसे नीचे इसलिए दिखता है क्योंकि चॉक के चूरे के प्रति उसको आकर्षण सबसे कम है, इसी क्रम में नीला रंग कॉलम के ऊपर इसलिए दिखता है क्योंकि चॉक के चूरे के प्रति उसका आकर्षण सबसे अधिक है।

आइए अब अपने प्रयोग के दूसरे हिस्से की तरफ चलते हैं जिसमें हमें इन विभक्त हुए रंगों को इकट्ठा करना है। इसके लिए सीरिंज को चित्र-2 के अनुसार सेट कर लें और इसके नीचे बीकर या कांच की परखनली रख लें।

अब आपको कॉलम के ऊपर से थोड़ा-थोड़ा करके पानी डालना है। जिस क्रम में कॉलम पर रंगों के छल्ले बने थे उसी क्रम में आपको ये रंग भी मिलेंगे। सबसे पहले नीचे वाला रंग रिसकर बाहर निकलेगा। ध्यान रखें कि इस रंग का छल्ला जैसे ही खत्म हो आप सीरिंज को दूसरे बीकर या गिलास पर सेट करके दूसरा रंग इकट्ठा कर लें। इसी तरह आप सभी रंग इकट्ठा कर सकते हैं। याद रखिएगा आपका कॉलम प्रयोग के दौरान कभी भी सूखना नहीं चाहिए। कुछ-कुछ देर से थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइए। शुद्ध रूप में स्याही के पांच रंग अलग अलग प्राप्त करने में आपको लगभग एक पूरा दिन लगेगा। ये पांच रंग आपको अलग-अलग आयतन में मिलेंगे - सबसे ज्यादा नीला एवं सबसे कम पीला रंग मिलेगा। इसके बाद आप एक मजेदार काम कर सकते हैं। अलग-अलग स्याही को उनके आयतन के अनुपात के अनुसार थोड़ा-थोड़ा मिला सकते हैं। आपको अपनी उम्मीद के अनुसार हल्की काली स्याही ही मिलेगी।

जब सारे रंग अलग हो जाएं तो कॉलम को फेंकिएगा मत। यह किसी और मिश्रण में से उसके घटकों को अलग करने के लिए इस्तेमाल हो सकता है। अर्थात इस विधि से आप कई बार अपने कॉलम को इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ यही कि नया मिश्रण लेने से पूर्व पानी से कॉलम को अच्छी तरह धो लेना जरूरी होगा। इसके लिए कॉलम में दो-चार बार ऊपर से पानी डालकर उसे रिस जाने दें।

सीरिंज के इस कॉलम से आप पत्तियों के रस (extract) में से रंगों को भी अलग-अलग प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपको पत्तियों को एल्कोहॉल में उबालकर रस तैयार करना होगा; और चॉक के कॉलम के ऊपर इस रस की 20 बूंद डालनी होंगी। अलग-अलग रंग के छल्ले दिखने के पश्चात कॉलम के ऊपर एल्कोहॉल डालना होगा। इस तरह आप पत्तियों के विभिन्न रंग भी अलग-अलग प्राप्त कर सकते हैं।

चॉक या छन्ना कागज़ पर की जाने वाली क्रोमेटोग्राफी में आपको काली स्याही से उतने रंग नहीं दिखते जितने कि सीरिंज की इस विधि में दिखते हैं। सीरिंज द्वारा प्रयोग में आप और अधिक मोटाई या लम्बाई की सीरिंज लेकर और अधिक मोटा या लम्बा कॉलम बना सकते हैं। और हो सकता है आपको रंगो के छल्ले और भी अच्छे से दिखें, या आपको किसी और नए रंग के छल्ले दिखें।

चॉक और कागज़ के प्रयोगों की तुलना में इस प्रयोग का फायदा यह है कि चॉक या कागज़ में से मिश्रण के घटक अलग-अलग प्राप्त करने के लिए उन्हें तोड़कर या फाड़कर घोलना पड़ता है जिससे कि उनका दोबारा इस्तेमाल नहीं हो सकता। दूसरा कई बार चॉक पर स्याही तिरछी चढ़ जाती है तो उसे तोड़कर निकालना मुश्किल पड़ता है। जबकि इस विधि में आपको कॉलम तोड़ना नहीं पड़ता।।


ए. दास: एकलव्य के होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम में संबद्ध।