एक तारा आकाशगंगा के मध्य में स्थित एक ब्लैक होल के नज़दीक से गुज़रते हुए आइंस्टाइन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत को और पुष्ट कर गया। s2 नामक इस तारे के अवलोकन की रिपोर्ट जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल फिज़िक्स के राइनहार्ड गेंज़ेल और उनकी अंतर्राष्ट्रीय टीम ने एस्ट्रॉनॉमी एंड एस्ट्रोफिज़िक्स नामक जर्नल में प्रकाशित की है। इस टीम में जर्मनी, नेदरलैंड, फ्रांस, पुर्तगाल, स्विटज़रलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिक शामिल थे।
ऐसे ही अवलोकन एक और टीम ने भी किए हैं। एंड्रिया गेज़ के नेतृत्व में कार्य रही इस दूसरी टीम ने कहा है कि वे अपने आंकड़े व निष्कर्ष कुछ समय बाद प्रकाशित करेंगे क्योंकि उन्हें कुछ और अवलोकनों का इंतज़ार है।
गेंज़ेल की टीम के सारे अवलोकन चिली स्थित युरोपियन दक्षिणी वेधशाला में स्थापित एक विशाल दूरबीन से किए गए। दरअसल तारा S2 आकाशगंगा के मध्य में स्थित एक ब्लैक होल की परिक्रमा करता है। इसे यह परिक्रमा करने में पूरे 16 साल लगते हैं। गेंज़ेल की टीम इस तारे को 1990 के दशक से देखती आ रही है। जब यह तारा ब्लैक होल के नज़दीक आया तो इसका वेग 7600 किलोमीटर प्रति सेकंड हो गया, जो प्रकाश के वेग का लगभग 3 प्रतिशत है।
गौरतलब है कि उक्त ब्लैक होल आकाशगंगा का सबसे भारी-भरकम पिंड है। यह हमसे 26,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर धनु तारामंडल में स्थित है और इसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से 40 लाख गुना ज़्यादा है। यह ब्लैक होल आकाशगंगा में सबसे सशक्त गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र उत्पन्न करता है।
जब तारा S2 ब्लैक होल के सबसे नज़दीक था उस समय किए गए अवलोकनों से पता चला कि इस तारे से उत्सर्जित प्रकाश की आवृत्ति में कमी आई। दूसरे शब्दों में इसके प्रकाश में लाल-विचलन या रेडशिफ्ट देखा गया। आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धांत का यही निष्कर्ष था कि जब कोई प्रकाश उत्सर्जित करता पिंड सशक्त गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होगा तो उसके प्रकाश में लाल-विचलन होना चाहिए। पिछले दो दशकों के अवलोकन आइंस्टाइन की इस भविष्यवाणी को सही साबित कर रहे हैं। (स्रोत फीचर्स)