शशि सक्सेना, प्रमोद उपाध्याय
एक प्रयोग
हम सभी जानते हैं कि वायुमंडलीय ‘हवा’ वास्तव में कई गैसों का मिश्रण होती है। हवा में सबसे अधिक मात्रा होती है। नाइट्रोजन गैस की (लगभग 78%), उसके बाद नंबर आता है ऑक्सीजन का (लगभग 21%)। शेष बचे भाग में अन्य गैसें होती हैं।
ऑक्सीजन के महत्व से तो हम सब परिचित हैं ही। प्रस्तुत है एक आसान-सा प्रयोग जिससे हम हवा में ऑक्सीजन की मात्रा पता कर सकते हैं।
यह प्रयोग मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड और ऑक्सीजन की परस्पर क्रिया पर आधारित है। अगर हम एक ऐसे बंद बर्तन में हवा का एक निश्चित आयतन लें, जिसका ढक्कन आराम से नीचे-ऊपर हो सकता हो, और इस बंद बत्रन में मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड डाल दें तो मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया कर लेगा, जबकि अन्य गैसें वैसी ही रह जाएंगी। इससे बर्तन के अंदर का दबाव कम हो जाएगा और ढक्कन अंदर की ओर खिसक जाएगा। यानी बर्तन के अंदर का आयतन ठीक उतना ही कम हो जाएगा जितनी ऑक्सीजन, मैंगनीज हाइड्रॉक्साइड की मात्रा इतनी ज़्यादा हो कि वो आरंभ में बर्तन में मौजूद हवा में उपस्थित समस्त ऑक्सीजन से क्रिया कर ले तो इस प्रयोग में जितना आयतन कम होगा, वो हमें हवा के लिए आयतन में ऑक्सीजन की मात्रा बता देगा। इससे हवा में ऑक्सीजन का प्रतिशत निकाला जा सकता है।
प्रयोग के लिए ज़रूरी समान
— एक 10 मि.ली. की इंजेक्शन सिरिंज
— सिरिंज में लगने वाली सुई
— 5 ग्राम सोडियम हाइड्रॉक्साइड
— 10 ग्राम मैंगनीज़ सल्फेट
— एम-सील या एरलडाइड
— प्लास
— बीकर
सिरिंज का ढक्कन बनाना
इसके लिए सिरिंज की सुई इस्तेमाल होगी। सिरिंज पर लगने वाली सुई में से धातु की सुई को प्लास द्वारा घुमाते हुए खींचकर अलग अलग कर लें।
अब प्लास्टिक वाले हिस्से में, सुई निकालने के बाद बने छेद को एम-सील या एरलडाइट से बंद कर दें। यह बन गया सीरिंज का ढक्कन।
सिरिंज की जांच: यह पक्का कर लें कि सिरिंज का पिस्टन एकदम आसानी से चल रहा है या नहीं? पिस्टन और नली के बीच धूल के कण आ जाने से यह सरलता से नहीं चलेगा। इससे बचने के लिए सिरिंज को धोकर सुखा लें।
मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड का लेप बनाना: इसके लिए हमें दो घोलों की ज़रूरत होगी।
पहला घोल: लगभग 5 ग्राम मैंगनीज़ सल्फेट को 10 मि.ली. पानी में घोल लें।
दूसरा घोल: लगभग 10 ग्राम सोडियम हाइड्रॉक्साइड को 10 मि.ली. पानी में घोल लें।
एक बीकर में पहले और दूसरे घोल पांच-पांच मि.ली. लेकर मिलाएं। तुरंत ही सफेद मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड बन जाएगा।
प्रयोग
मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड बनाने के बाद का हिस्सा थोड़ी फुर्ती से करना पड़ेगा क्योंकि मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड तुरंत हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से क्रिया करके काले रंग के मैंगनीज़ ऑक्साइड (Mn2O3)और MnO2) में बदलने लगता है।
सबसे पहले सिरिंज का पिस्टन एकदम नीचे कर लें। फिर सिरिंज में दो मि.ली. मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड भर लें। इसके बाद सिरिंज को मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड वाले बीकर में से बाहर निकालकर उसका पिस्टन और ऊपर खींचे, और 10 के निशान तक ले आएं। अब सिरिंज में आठ मि.ली. हवा है। इसके बाद जल्दी से सिरिंज का खुला सिरा, पहले तैयार किए गए प्लास्टिक के ढक्कन से कसकर बंद कर लें।
सिरिंज के पिस्टन व नली को पकड़कर सिरिंज को अच्छी तरह से हिलाएं। हिलाते समय ध्यान रहे कि सिरिंज की टोपी ढीली न हो जाए, और पिस्टन व नली अलग-अलग न हो जाएं। अब सिरिंज को पिस्टन से पकड़-कर खड़ा करके रखें। मैंगनीज़ हाइड्रॉक्साइड जैसे-जैसे ऑक्सीजन से क्रिया करेगा, सिरिंज की नली नीचे आती जाएगी। यह क्रिया लगभग पांच मिनट में पूरी हो जाएगी। 5 मिनट बाद सिरिंज के अंदर की हवा का आयतन नोट करें। मान लीजिए यह आयतन ‘क’ मि.ली. आता है।
तब ‘8 मि.ली. - क मि.ली.’ यानी आयतन में कमी, आठ मि.ली. हवा में ऑक्सीजन की मात्रा के अनुपात में होगी। और इस तरह हमें हवा में ऑक्सीजन के प्रतिशत का पता चल जाएगा।
8 मि.ली. हवा में ऑक्सीजन उ (8 - क) मि.ली.
100 . . . . . . . . . = (8 - क) / 8 X 100
हवा में ऑक्सीजन . . . . . = ख %
शशि सक्सेना – दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में रसायन शास्त्र पढ़ाती हैं।
प्रमोद उपाध्याय – नेशनल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में शोध कर रहे हैं।
सवालीराम ने पूछा सवाल
सवान: घोड़े सोते वक्त भी अपने पैरों पर नहीं बैठते और अपनी पूरी ज़िन्दगी खड़े-खड़े बिताते हैं। ऐसा क्यों?
नितिन वैध
3164/टाइप-3, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री
इटारसी, ज़िला होशंगाबाद, म.प्र.