क्यों नहीं कटी बर्फ
सवाल था कि तार के नीचे की बर्फ तो पिघल रही है और तार बर्फ को चीरता हुआ नीचे जा रहा है लेकिन ऊपर की बर्फ फिर से जम जाती है, ऐसा क्यों?
कुल जमा, दो बिन्दुओं पर इसका जवाब टिका हुआ है - पहला तो दबाव और दूसरा बर्फ की संरचना।
आमतौर पर ठोस अवस्था में पदार्थ का आयतन सिकुड़ता है बनिस्बत द्रव या गैसीय अवस्था के। आयतन सिकुड़ने का मतलब है कि पदार्थ के अणु और पास-पास आ गए हैं। अब अगर ठोस पदार्थ पर बाहर से दबाव बढ़ाया जाए और साथ ही इसे पिघलाने की कोशिश की जाए तो उसका गलनांक बढ़ जाता है। यानि कि सामान्य अवस्था में ठोस पदार्थ का जो गलनांक होता है, सामान्यत: दबाव बढ़ाने पर पदार्थ उससे ऊंचे तापमान पर पिघलना शुरू करता है।
लेकिन बर्फ में इससे बिल्कुल उल्टा होता है; पानी जब जम कर बर्फ में तब्दील होता है तो उसका आयतन बढ़ जाता है यानी पानी की तुलना में बर्फ अधिक जगह घेरती है। ऐसा इसलिए क्योंकि बर्फ की अवस्था में पानी के अणु खुली-खुली-सी संरचना बना लेते हैं जिनके बीच कमज़ोर होता है। इसलिए दबाव डालने पर बर्फ की कमज़ोर खुली-सी-संरचना आसानी से टूट जाती है और बर्फ पिघल जाती है। इसका मतलब है कि अधिक दबाव की स्थिति में बर्फ का गलनांक कम हो गया, बनिस्बत सामान्य स्थिति के।
अब ऊपर वाले सवाल पर चलते हैं: तार के बिल्कुल नीचे के बर्फ की सतह पर बाहरी दबाव खूब बढ़ गया, उस हिस्से में दबाव बढ़ने से बर्फ का गलनांक कम हुआ, इसलिए शून्य डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर भी बर्फ पिघली और तार उस पानी में से गुज़कर सेल्सियस का पानी तुरंत फिर से जम गया। इस तरह भी नीचे जाता रहा और बर्फ भी नहीं कटी।
ऐसा ही एक और प्रयोग करके देखा जा सकता है। बर्फ के दो टुकड़ों को पास-पास लाकर, एक-दूसरे से चिपकाकर ज़ोर से दबाइए। जहां दोनों टुकड़े मिलते हैं वहां पानी की एक पर्त दिखती है न? और थोड़ी ही देर में ये टुकड़े आपस में जुड़ गए। यह भी उसी वजह से हुआ। दबाव बढ़ने से दोनों टुकड़ों की एक-दूसरे से स्पर्श कर रही सतह गलनांक कम होने से पिघल गई और पानी की पर्त बन गई। दबाव हटाने पर पानी फिर से जम गया क्योंकि आसपास की बर्फ का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस ही था। और इसी पानी से दोनों बर्फ के टुकड़ों को जोड़ दिया।