प्रकृति की विविधता हमें आकर्षित करती है। बड़े जीव-जंतुओं का तो क्या, बस चलते-फिरते देख लो आकार, रंग, रूप में अंतर दिख जाएगा। लेकिन उन छोटे जंतुओं के बीच अंतर देखेने की शायद ही कभी कोशिश करते हों, जिन्हें रोज़मर्रा की दौड़-भाग में बस कीड़ा कह दो और फुर्सत।
जैसे इन दोनों को ही देखिए। एक तो है खटमल और दूसरा है मिडूला या कड़ीला (देशी बोली के नाम) (Ticks)। वही सफेद-सा दिखने वाला जो मवेशियों, कुत्तों आदि के बदन में धंसा रहता हे।
वैसे दोनो का काम एक-सा ही है। खून चूसना। लेकिन दोनों बहुत फर्क जीव हैं, संरचना में भी और आदतों में भी।
जैसे एक है कि हमेशा शरीर में धंसा ही रहता है। और दूसरा है कि खून चूसकर भाग जाएगा और जा छुपेगा कहीं गद्दों तकियों के बीच या खटिया की लकड़ी की दरारों के बीच। कई तरह की बीमारियों के कारण दोनों ही काफी नुकसान देह हैं।
मिडूला की आठ टांगें होती हैं। मकड़ी का भी। इसीलिए ये मकड़ी का रिश्तेदार है, लेकिन बहुत दूर का। मकड़ी का शरीर साफ तौर पर दो भागों, मुंह और पेट में बंटा दिखता है। लेकिन मिडूला में कुल मिला कर एक ही हिस्सा होता है, मुंह और पेट जैसा कोई विभाजन नहीं।
मकड़ी का रिश्तेदार होने का मतलब यह नहीं कि मकड़ी भी हमारे लिए नुकसान देह है। जनाब वो तो हमारी दोस्त है, कैसे, फिर किसी अंक में।
इसी तरह खटमल संरचना में जंतु-जगत में कीट (Insects) समूह में आता है।
इस समूह के जीवों की खास पहचान है उनके शरीर की संरचना तीन हिस्सों में साफ तौर पर बंटा रहता है। मुंह, बीच का हिस्सा और पीछे पेट। इनके मुंह से दो एंटीना जैसी पतली संरचनाए लगी होती है। जिनसे ये विभिन्न चीज़ों को महसूस करने का काम करते हैं। अगर इनकी रिश्तेदारी देखें तो ये मच्छरों के बहुत करीब के रिश्तेदार हैं।
खटमल का तो क्या? धूप में कपड़ें सुखाओ, सफाई रखो। लेकिन उन लोगों से पूछिए जिनको घरों में मवेशी, कुत्ते आदि हैं। कितनी मुश्किल होती है इस मिडूले को खींच निकालने में।
वैसी ऐसी रिश्तेदारियां खोजने में मज़ा आता है न। जैसे स्पष्ट होने के लिए हमने भी गाय की टांगों से एक मिडूला खींचा और देखा कि भई आठ टांगे ही हैं न!
अब आप भी ज़रा खोजिए ऐसी रिश्तेदारियां। शुरुआत मवेशियों में मिलने वाल ‘किलनी’ और ‘जुएं’ से कर सकते हैं।