कोविड-19 के टीकों के पेटेंट के सम्बंध में हाल ही में अमेरिका ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दुनिया भर में टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से अमेरिकी सरकार ने कोविड-19 के टीकों से पेटेंट हटाने का समर्थन किया है। विश्व व्यापार संगठन की दो दिवसीय बैठक में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कहा है कि हमें असाधारण परिस्थितियों में असाधारण कदम उठाने की ज़रूरत है।
पूर्व में यूएस, युरोपीय संघ, यूके और जापान ने भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा कोविड-19 टीकों के जेनेरिक संस्करण के निर्माण के प्रस्ताव का विरोध किया था। अमेरिका हमेशा से बौद्धिक संपदा अधिकारों को बचाने के पक्ष में रहा है, इसलिए राष्ट्रपति बाइडेन प्रशासन द्वारा उठाए गए इस कदम से प्रस्ताव के समर्थक और विरोधी दोनों ही अचंभित हैं।
यह फैसला सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। अमीर और गरीब देशों में कोविड-19 टीकाकरण दर के बीच बहुत अधिक अंतर है। गरीब देशों में एक प्रतिशत से भी कम लोगों को कोविड-19 का टीका मिल पाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 टीकों का पेटेंट हटाना तो टीका आपूर्ति में तेज़ी लाने का पहला कदम भर होगा। इसके बाद यह सुनिश्चित करना होगा कि टीका बनाने की जानकारी जेनेरिक निर्माताओं तक पहुंचे, और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए निवेश मिले।
विश्व व्यापार संगठन पेटेंट हटाने की मंज़ूरी तब तक नहीं देगा जब तक सभी सदस्य सहमत नहीं हो जाते। वैसे स्वास्थ्य-नीति विश्लेषकों का अनुमान है कि अन्य देश भी अमेरिका के नक्शेकदम पर चलेंगे और टीकों से पेटेंट हटाने से सहमत होंगे।
दक्षिण अफ्रीका और भारत ने न सिर्फ टीकों के पेटेंट को बल्कि कोविड-19 सम्बंधी चिकित्सा उपकरणों, दवाइयों वगैरह के पेटेंट को हटाने की मांग भी की थी। लेकिन अमेरिका ने सिर्फ टीकों से पेटेंट हटाने की बात की है।
दवा कंपनियों का कहना है कि पेटेंट हटाने से कंपनियों को टीका विकास में किए भारी निवेश पर नुकसान झेलना पड़ेगा। पेटेंट रहने से कंपनियां टीकों की कीमत तय करके निवेश की रकम वसूल सकती हैं। पेटेंट हटने से बाज़ार में जेनेरिक निर्माताओं द्वारा निर्मित टीके कम दाम पर लोगों को उपलब्ध होंगे।
पेटेंट हटाने के विरोध में सिर्फ दवा कंपनियां नहीं हैं। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बिल गेट्स भी पेटेंट हटाने के विरोध में हैं। वे कहते हैं कि जेनेरिक निर्माता उत्पादन में तेज़ी नहीं ला सकेंगे और उनके द्वारा निर्मित टीकों की गुणवत्ता का भी सवाल रहेगा। उद्योग समूह फार्माश्यूटिकल रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरर्स ऑफ अमेरिका का भी कहना है कि यह कदम महामारी के प्रति हमारी प्रतिक्रिया को कमज़ोर करेगा और यह सुरक्षा से समझौता होगा।
पेटेंट हटाने के समर्थकों का कहना है कि जेनेरिक निर्माता वर्षों से पूरे विश्व में उच्च गुणवत्ता वाले टीकों और दवाइयों की आपूर्ति कर रहे हैं। कई कोविड-19 टीकों के विकास में करदाताओं का भी पैसा लगा है; इस संकट की घड़ी में दवा कंपनियों का सिर्फ लागत वसूलने के बारे में सोचना अनुचित है।
बहरहाल, कई अन्य बाधाओं को भी दूर करने की ज़रूरत है। जैसे यह सुनिश्चित किया जाए कि टीकों का समान रूप से वितरण हो। कोविड-19 के लिए विकसित ये टीके विज्ञान के क्षेत्र में एक अद्वितीय विजय हैं, लेकिन अगर इनसे दुनिया की केवल 20-30 प्रतिशत आबादी को ही लाभ मिलेगा तो फिर इतनी मेहनत कर इस नवाचार को करना निरर्थक होगा। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - July 2021
- विज्ञान की उपेक्षा की मानवीय कीमत
- कोविड-19 पर भारत के मुगालते की आलोचना
- भारत में फैल रहे कोरोनावायरस संस्करण
- नए वायरस संस्करणों से सुरक्षा देते हैं टीके
- टीका: जोखिम बेहतर ढंग से समझाने की ज़रूरत
- क्या सार्स-कोव-2 हवा से फैलता है?
- कोविड-19 के दौरान फ्लू गायब हो गया
- कोविड-19 के उपचार में नई दवाओं से उम्मीद
- टीके की दूसरी खुराक में देरी और प्रतिरक्षा प्रक्रिया
- अमेरिका कोविड-19 टीकों से पेटेंट हटाने के पक्ष में
- काली फफूंद का कहर: म्यूकरमायकोसिस
- प्रतिरक्षा व्यवस्था और शरीर की हिफाज़त - 3
- प्रतिरक्षा तंत्र और शरीर की हिफाज़त - 4
- प्रतिरक्षा तंत्र और शरीर की हिफाज़त - 5
- प्रतिरक्षा तंत्र और शरीर की हिफाज़त - 6
- सुंदरलाल बहुगुणा: पर्यावरण व वन संरक्षक
- वानिकी का विवादास्पद प्रयोग
- जैव विविधता संरक्षण में मनुष्यों का योगदान
- कार्बन चोर सूक्ष्मजीव
- अमेरिकी शहद में परमाणु बमों के अवशेष
- स्तनधारी अपनी आंतों से सांस ले सकते हैं
- युरोपीय लोगों के आगमन से पर्यावरण को नुकसान