युरोप में एक काफी लोकप्रिय झाड़ी है - लॉरस्टाइनस (विबर्नम टाइनस) और वहां कई बाग-बगीचों में शौक से लगाई जाती है। इसके चमकदार नीले फलों पर हर किसी की निगाहें ठहर जाती हैं। लेकिन युनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की रॉक्स मिडलटन और उनके साथी इन फलों की रंगत के पीछे का कारण जानने को उत्सुक थे।
शोधकर्ताओं ने फलों की आंतरिक संरचना पता करने के लिए फल के ऊतक लिए और इनका अवलोकन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप में किया। अब तक कई वैज्ञानिकों को लगता था कि अन्य नीले फलों (जैसे ब्लूबेरी) की तरह लॉरस्टाइनस के फलों का नीला रंग भी किसी नीले रंजक से आता होगा। लेकिन करंट बायोलॉजी में उक्त शोधकर्ताओं ने बताया है कि इन फलों में सिर्फ वसा की छोटी बूंदें कई परतों में इस तरह व्यवस्थित होती हैं कि वे नीले रंग को परावर्तित करती हैं। ऐसे रंगों को स्ट्रक्चरल कलर (यानी संरचनागत रंग) कहा जाता है जो किसी पदार्थ की उपस्थिति की वजह से नहीं बल्कि पदार्थों की जमावट के कारण पैदा होते हैं।
वसा की बूंदों के नीचे गहरे लाल रंजक की एक परत भी थी, जो किसी भी अन्य तरंग लंबाई के प्रकाश को सोख लेती है और नीले रंग को गहरा बनाती है। शोधकर्ताओं ने कंप्यूटर सिमुलेशन की मदद से इन निष्कर्षों की जांच की और दर्शाया कि वास्तव में स्ट्रक्चरल कलर लॉरस्टाइनस के फलों का नीला रंग बना सकता है।
संभावना है कि लॉरस्टाइनस फलों का चटख रंग पक्षियों को इनमें उच्च वसा मौजूद होने का संकेत देता हो।
वैसे तो स्ट्रक्चरल कलर के उदाहरण जानवरों में काफी दिखते हैं। जैसे मोर पंख और तितली के पंखों के चटख रंग। लेकिन पौधों में ऐसे रंग कम ही देखे गए हैं। और ऐसा पहली बार ही देखा गया है कि इन रंगों के लिए वसा ज़िम्मेदार है। शोधकर्ताओं को लगता है कि ऐसी व्यवस्था कई अन्य पौधों में भी हो सकती है और उनके बारे में पता लगाया जाना चाहिए।(स्रोत फीचर्स)
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Srote - October 2020
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