बांग्लादेश में पहली बार गेहूं पर व्हीट ब्लास्ट नामक रोग का आक्रमण देखा गया है और वैज्ञानिकों का मत है कि इसे रोकने के उपाय न किए गए तो यह दक्षिण व दक्षिण-पूर्वी एशिया के अन्य देशों में भी फैल सकता है। यह फफूंद (एम. ओराइज़ा) दक्षिणी अमेरिका में यदा-कदा प्रकट होती रहती है और फसलों को तबाह करती है।
हाल ही में स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के डेनियल क्रोल ने विभिन्न रिपोर्टों के अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि एम. ओराइज़ा फफूंद की यह किस्म बांग्लादेश में धान पर लगने वाली फफूंद से अलग है। उनका निष्कर्ष है कि बांग्लादेश में व्हीट ब्लास्ट ब्राज़ील से आयातित गेहूं के साथ पहुंची है।
बांग्लादेश में इस फफूंद की उपस्थिति का पता सबसे पहले फरवरी में चला था और अब तक यह करीब 15,000 हैक्टर फसल को नष्ट कर चुकी है। पादप रोग वैज्ञानिकों का मत है कि यह अत्यंत विनाशकारी रोग है और यह बहुत ज़रूरी है कि इसकी रोकथाम तुरंत की जाए। इसके लिए यह जानना बेहद ज़रूरी है कि यह एम. ओराइज़ा की कौन-सी किस्म है। इसके बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यू.के. स्थित सैन्सबरी लेबोरेटरी के सोफियन कामूं ने एक वेबसाइट भी शु डिग्री की है ताकि सारे सम्बंधित लोग इसमें योगदान दे सकें।
बांग्लादेश में धान के बाद गेहूं का ही नंबर आता है। अर्थात, यह एक महत्वपूर्ण फसल है। जहां धान के मामले में उक्त फफूंद पत्तियों पर हमला करती है, वहीं गेहूं की बालियों को अपना शिकार बनाती है जहां फफूंदनाशी रसायनों का पहुंचना मुश्किल होता है। ब्राज़ील में 2009 में इस फफूंद के प्रकोप से लगभग एक-तिहाई फसल नष्ट हो गई थी। कई कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि दक्षिण अमेरिका के कुछ देशों में तो इस फफूंद के डर से लोगों ने गेहूं उगाना ही छोड़ दिया है।
अभी हालत यह है कि सरकारी कर्मचारी बांग्लादेश में सरकारी भूमि पर गेहूं की फसलों को जलाकर नष्ट कर रहे हैं ताकि फफूंद आगे न फैले। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे संक्रमित खेतों में गेहूं न बोएं। बांग्लादेश कृषि अनुसंधान संस्थान, नाशीपुर के वैज्ञानिकों का मत है कि वे जल्दी ही फफूंद-प्रतिरोधी गेहूं ढूंढ निकालेंगे मगर तब तक अन्य तरीकों से इसे रोकना ज़रूरी है। (स्रोत फीचर्स)