अफ्रीका और मैडागास्कर में रहने वाली एक चींटी की जीवन शैली ने उसकी शरीर रचना को इस कदर परिवर्तित किया है कि कीट वैज्ञानिक अचंभित हैं। मेलिसोटार्सस नामक यह चींटी मात्र चंद मिलीमीटर लंबी होती है मगर इतनी शक्तिशाली होती है कि यह अच्छे-खासे सजीव पेड़ों में सुरंगें बनाकर रहती है। ऐसा माना जाता है कि अपने द्वारा बनाई गई इन सुरंगों में ये चीटियां एक अन्य कीट को पालती हैं। ये कीट मोम का निर्माण करते हैं और मेलिसोटार्सस इस मोम का भोजन करती हैं। कई बार तो ये पूरे कीट को भी खा जाती हैं।
सबसे विचित्र बात है कि ये मज़बूत पेड़ों में सुरंग बना लेती हैं। ऐसे सजीव पेड़ों को कुतरना आसान नहीं होता। चींटियों की क्षमता को समझने के लिए पेरिस विश्वविद्यालय के क्रिश्चियन पीटर्स ने ऐसी कुछ चीटियों का अध्ययन 3-डी एक्सरे की मदद से किया। खास तौर से उन्होंने इन चीटियों की टांगों, सिर और जबड़े पर ध्यान दिया।
अध्ययन में पता चला कि इन चींटियों के सिर की मांसपेशियां बहुत मज़बूत होती हैं। ये मज़बूत मांसपेशियां उनके पैने जबड़ों से जुड़ी होती हैं। मज़बूत मांसपेशियों की वजह से इन जबड़ों में सख्त लकड़ी को भेदने की ताकत आ जाती है। यहां तक कि इनमें जबड़ों को खोलने-बंद करने वाली मांसपेशियां भी चींटी की किसी अन्य प्रजाति से ज़्यादा शक्तिशाली होती हैं।
मगर एक दिक्कत है। जबड़े नुकीले तो होते हैं किंतु इनका उपयोग करते समय नोक के टूटने का खतरा रहता है। विश्लेषण से पता चला कि मेलिसोटार्सस के जबड़ों की नोक पर ज़िंक धातु का अस्तर होता है। दरअसल, इनके पूरे कंकाल में ही भारी धातुओं के साथ ज़िंक का मिश्रण पाया जाता है जो इनको अत्यंत टिकाऊ बनाता है।
इस चींटी के बारे में जानकारी फ्रंटियर्स इन बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है। शोधकर्ताओं को लगता है कि यह एक उदाहरण है जिसमें एक ही जीव में इतने सारे अनुकूलन हुए हैं जो एक-दूसरे को मदद करते हैं। (स्रोत फीचर्स)