सवाल: बारिश होने पर मिट्टी में से एक खास तरह की गन्ध आती है, क्या आप इसकी वजह बता सकते हैं?
जवाब: गर्मी के मौसम या लम्बे समय तक सूखा रहने के बाद बारिश होने पर आपने निरपवाद रूप से हवा में एक विशेष और अलग तरह की गन्ध को महसूस किया होगा - बहुत ही ज़्यादा विशिष्ट। कुछ याद दिलाने वाली, ताज़ी बारिश की गन्ध जैसे गीली मिट्टी को अभी-अभी ऊपर-नीचे किया गया हो।
सन् 1964 में ऑस्ट्रेलिया के दो शोधकर्ताओं, बीयर और थॉमस ने इसे एक नाम भी दिया था - पेट्रीकर। अर्थात् बारिश के बाद वाली मिट्टी की सुगन्ध। लेकिन इस अनोखी, निर्मल, मिट्टी की गन्ध की वजह क्या है? चलिए इस बारे में थोड़ी छानबीन करते हैं।
जिस गन्ध की हम यहाँ बात कर रहे हैं वह दरअसल एक्टिनोमायसिटीज़ समूह के बैक्टीरिया की वजह से उत्पन्न होती है।
एक्टिनोमायसिटीज़ एक तरह के फिलामेंट बैक्टीरिया हैं जो गर्मी और नमी की स्थिति में मिट्टी में पनपते हैं क्योंकि यह उनके लिए आदर्श स्थिति होती है। जब मिट्टी सूख जाती है तो ये बैक्टीरिया मिट्टी में बीजाण्ड (स्पोर) उत्पन्न करते हैं जो आगे चलकर बैक्टीरिया बनते हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि ये बीजाण्ड सूखी मिट्टी में जीवित रह सकते हैं लेकिन यह गन्ध सूखी मिट्टी में से नहीं आती बल्कि इसके लिए नमी आवश्यक है। इसके बारे में हम आगे बात करेंगे, अभी वापस लौटते हैं। तो बारिश होते ही पानी की बूँदों का ज़मीन से टकराना इन छोटे-छोटे बीजाण्डों को हवा में उछाल देता है जहाँ बारिश के बाद वाली नम हवा एरोसोल (हवा में सूक्ष्म ठोस कणों या तरल पदार्थ की छोटी-छोटी बूँदों का मिश्रण) की तरह काम करती है। इन बीजाण्डों की एक विशिष्ट, मिट्टी जैसी गन्ध होती है - वही गन्ध जिसे हम अक्सर बारिश से जोड़कर देखते हैं।
एक्टिनोमायसिटीज़ बैक्टीरिया जियोस्मिन (geosmin) नाम के रसायन उत्पन्न करते हैं। जियोस्मिन एक तरह का कार्बनिक यौगिक है जिसकी सुगन्ध और स्वाद, दोनों सौंधापन (मिट्टी की गन्ध) लिए हुए होते हैं। ये बैक्टीरिया बीजाण्डों को उत्पन्न करते वक्त इस रसायन को स्रावित करते हैं। नमी वाली हवा अपने साथ इन हवा में तैर रहे बीजाण्डों को, और साथ ही इस रसायन को हमारी नाक तक ले आती है। अध्ययनों से पता चला है कि मनुष्य की नाक जियोस्मिन के प्रति बेहद संवेदनशील होती है। पर सोचने की बात यह है कि ऐसे में यह गन्ध सूखी मिट्टी में से क्यों नहीं आती। इसके बारे में अभी मुकम्मल जानकारी नहीं मिल पाई है किन्तु वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जियोस्मिन के पानी के सम्पर्क में आने से कुछ रासायनिक क्रिया होती होगी जिससे यह गन्ध उत्पन्न होकर जल-वाष्प के साथ हमारी नाक तक आती है। शायद इसीलिए हमें बारिश के बाद मिट्टी की सुगन्ध आती है।
संयोगवश यही जियोस्मिन रसायन चुकन्दर में भी पाया जाता है जो चुकन्दर के सौंधेपन के लिए ज़िम्मेदार होता है।
चूँकि ये बीजाण्ड सूखी मिट्टी में जीवित रहते हैं इसलिए एक अन्तराल के बाद बारिश होने पर यह गन्ध सबसे तेज़ आती है। लेकिन आपने गौर किया होगा कि लगातार बारिश होने पर यह गन्ध गायब हो जाती है या बहुत कम हो जाती है। ऐसा क्यों होता होगा? जियोस्मिन एक वाष्पशील (volatile) पदार्थ है। ऐसा अनुमान है कि जियोस्मिन कुछ वक्त के बाद वाष्पित हो जाता है जिसके चलते लम्बे समय तक बारिश होने पर मिट्टी की गन्ध आना बन्द हो जाती है।
वैसे इस गन्ध को महसूस करने वाले आप अकेले नहीं हैं। ये बैक्टीरिया बहुत सामान्य हैं और दुनिया में जहाँ भी जियोस्मिन उत्पन्न करने वाले एक्टिनोमायसिटीज़ पाए जाते हैं वहाँ ये खास ‘बारिश के बाद वाली गन्ध’ सूँघी जा सकती है।
* क्या इस तरह की विशेष गन्ध उपोष्णकटिबन्धीय (subtropical) इलाकों या ठण्डे इलाकों में भी महसूस की जाती होगी?
* क्या इस विशेष गन्ध के बारे में आपके इससे अलग कुछ अनुभव हैं?
* इस सवाल की जाँच-परख करने के लिए आप कुछ प्रोजेक्ट सोच सकते हैं क्या? उन्हें आप करके देखना चाहेंगे?
इन सवालों के बारे में अपने अनुभव एवं जानकारी ‘संदर्भ’ के पाठकों से ज़रूर साझा करें।
इस जवाब को पारुल सोनी ने तैयार किया है।
पारुल सोनी: ‘संदर्भ’ पत्रिका से सम्बद्ध हैं।