इब्ने इंशा
जुगरराफ़िये1 में सबसे पहले यह बताया है कि दुनिया गोल है। एक ज़माने बेशक यह चपटी होती थी, गोल करार पायी गयी। गोल होने का फ़ायदा यह है कि लोग मशरिक्र2 की तरफ़ से जाते हैं मगरिब3 की तरफ़ जा निकलते हैं। कोई उनको पकड़ नहं सकता। स्मगलरों, मुजरिमों रिसासतदानों के लिए तो बड़ी आसानी हो गयी है।
हिटलर ने ज़मीन को दोबारा चपटा करने की कोशिश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ।
पुराने ज़माने में ज़मीन गुल मुहम्मद4 की तरह साकिन5 होती थी। सूरज और असामान वग़ैरह उसके गिर्द घुमा करते थे। शायर कहता है, रात दिन गर्दिश में हैं, सात आसमान। फिर गैलिलियो नामी एक शख्स आया और उसने ज़मीन को किस चक्कर में डाल दिया है। गैलिलियो को तो उन्होंने सज़ा देकर आइन्दा इस क़िस्म की हरकत से रोक दिया, ज़मीन को अलबत्ता नहीं रोक सके, बराबर हरकत किये जा रही थी।
शुरू में दुनिया में थोड़े ही मुल्क थे। लोग ख़ासी अमन-चैन की ज़िन्दगी बसर करते थे। पंद्रहवीं सदी में कोलम्बस ने अमरीका दरयाफ्त6 किया। उसके बारे में दो नज़रिये हैं - कुछ लोग कहते हैं कि उसका कसूर नहीं, वह हिन्दोस्तान को यानी हमको दरयाफ्त करना चाहता था, मगर ग़लती से अमरीका को दरयाफ्त कर बैठा। इसक नज़रिये को इस बात को तक़वियत7 मिलती है कि हम अभी तक दरयाफ्त नहीं हो पाये।
दूसरी फरीक़ रहता है नहीं, कोलम्बस ने जानबूझकर यह हरकत की, यानी अमरीका दरयाफ्त किया। बहरहाल अगर ये ग़लती भी थी तो बहुत संगीन ग़लती थी। कोलम्बस तो मर गया, उसका ख़ामियाज़ा हम लोग भुगत रहे हैं।