क्या सामाजिक अध्ययन जैसे विषय में भी हो सकती हैं आसानी से बनाई व की जा सकने वाली गतिवधियां? आइए देखें इस प्रयास को।
निष्क्रियता और उबाहट का आलम कक्षा में छाया हो तो क्या कोई सीखे और क्या कोई सिखाए। कक्षा में पढ़ाई को रोचक बनाने व बच्चों के बीच गतिविधियां कराने के लिए कार्डो का उपयोग अक्सर सोचा जाता है, खासकर प्राथमिक शिक्षा के संदर्भ में।
सामाजिक अध्ययन जैसे विषय पर भी कार्डो से खेल बनाने की कोशिश की जा सकती है। ऐसे खेल जिनमें बच्चों के लिए सक्रियता हो, जीतने की चुनौती हो और साथ ही पाठों की गई मेहनत व समझ का परीक्षण हो।
इसके लिए बेहतर होगा कि तीन-चार ऐसे पाठ चुनिए जिनकी विषय-वस्तु की आपस में तुलना की जा सकती हो। जैसे भूगोल में अलग-अलग देश या क्षेत्र से संबंधित पाठ, और इसी तरह इतिहास में अलग-अलग काल के पाठ।
हम यहां एशिया महाद्वीप के तीन देशों - इंडोनिशिया, जापान, ईरान और एक टुंड्रा जलवायु प्रदेश के उदाहरण लेकर एक कार्ड खेल का वर्णन कर रहे हैं।
पहले, चारों देशों-प्रदेशों की दस-दस मुख्य बातें छांटकर आप उनकी सूची बना लीजिए।
जैसे इंडोनेशिया के लिए:
- यहां की मुख्य फसल चावल है।
- यहां पहाड़ी इलाकों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाए जाते हैं।
- यहां उगाए गए मसालों का बहुत व्यापार होता है।
- यहां के जंगलों में कभी पतझड़ नहीं होता।
- यह देश भारत के दक्षिण-पूर्व में है।
- यहां साल भर वर्षा होती है।
- यहां कई ज्वालामुखी पहाड़ हैं।
- यह देश भूमध्य-रेखा पर स्थित है।
- इस देश में कई द्वीप हैं।
- यहां उद्योगों का विकास बहुत ज़्यादा नहीं हुआ है।
जापान:
- यहां की घनी आबादी के लिए देश में पैदा किया गया अनाज पर्याप्त नहीं पड़ता।
- यहां के कारखानों में बनी चीज़ें बहुत बड़ी संख्या में दूसरे देशों को बेची जाती हैं।
- यहां के किसान अपने छोट-छोटे खेतों में भी मशीनों से खेती का सारा काम करते हैं।
- यह देश भूमध्य-रेखा से बहुत दूर उत्तर में है।
- यहां चौड़े-चौड़े मैदान नहीं है।
- यहां जाड़े, बसंत, गर्मी और पतझड़ की ऋतुएं होती हैं।
- यहां पहाड़ी ढलानों पर शहतूत के पेड़ों पर रेशम के कीट पालकर रेशम भी तैयार किया जाता है।
- यहां के अधिकांश लोग कारखानों में काम करते हैं।
- यहां ठंडे इलाकों में सुईनुमा पत्तियों वाले कोणधारी पेड़ हैं।
- यह देश भारत से उत्तर-पूर्व दिशा में जाने पर मिलता है।
एशिया के टुंड्रा-प्रदेश:
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ईरान:
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अब कार्ड बनाएं और खेल खेलें
- कार्डशीट या गत्ते या फाईल कवर जैसे मोटे कागज़ से 40 काट लीजिए।
- हर कार्ड पर एक मुख्य बात बड़े व साफ अक्षरों में लिख दीजिए। उदाहरण के लिए यहां पहले दिए गए चार क्षेत्रों की एक-एक बात का कार्ड बनाकर देखते हैं।
- बच्चों के पहले से बता दीजिए कि किन पाठों पर कार्ड-खेल खेला जाएगा। इन पाठों को एक बार अपने मन में पढ़कर वे तैयार हो जाएं तो अच्छे से खेल पाएंगे।
- खेल दो तरह से खेला जा सकता है। पहला तरीका सरल है और इसमें पूरी कक्षा एक साथ खेल सकती है। 40 कार्डों को आपस में अच्छी तरह मिला दीजिए। फिर एक-एक बच्चे को एक-एक कार्ड बांट दीजिए।
अब बच्चों को पहचानना है कि उनके पास जो कार्ड है उसमें किस देश की बात लिखी है। यह पहचानकर उन्हें अपने अन्य नौ साथियों को पहचानना और खोजना है। इस तरह खोजबीन करते हुए बच्चों को सही साथियों के साथ चार झुण्डों में बंटकर दिखाना है। देखें कौन-सा झुण्ड सबसे जल्दी अपने 10 साथियों के साथ इकट्ठा हो सकता है।
- खेल का दूसरा तरीका छोटे समूह के लिए उपयुक्त है। 40 कार्डों के एक सेट के साथ 5-6 बच्चे खेल सकते हैं। पांच बच्चों को घेरे में बिठाकर एक-एक करके हरेक बच्चे को पांच-पांच कार्ड बांट दीजिए। बचे हुए कार्ड उल्टे करके नीचे रख दीजिए।
हर बच्चे को अपने पास आए पांच कार्ड देखकर पहचानना है कि उसके पास ज़्यादा कार्ड किस देश-प्रदेश के हैं।
खेल जीतने के लिए उसे पांचों कार्ड एक देश-प्रदेश के इकट्ठे करने हैं। खेल ताश के रमी के खेल की तरह आगे बढ़ेगा। पहला बच्चा नीचे रखे कार्डों में से एक कार्ड उठाएगा। अब अपने हाथ के सारे कार्डों में से जो कार्ड उसे नहीं चाहिए उसे खुला नीचे फेंक देगा। अगला बच्चा इस खुले हुए कार्ड को उठा सकता है, या कार्ड के बंद ढेर में से (पैक में से) एक उठा सकता है। अपने हाथ के कार्डों में से जो उसे नहीं चाहिए वह कार्ड फेंकना है।
इस तरह जो बच्चा सबसे पहले एक देश-प्रदेश के पांचों कार्ड-इकट्ठे कर लेगा। वह जीतेगा।
- जोकर कार्ड - कुछ कार्ड जोकर कार्ड की तरह होते हैं। यानी वे एक से अधिक देश-प्रदेश के समूह में शामिल किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, ‘यहां कई ज्वालामुखी पहाड़ हैं’ और ‘इस देश में कई द्वीप हैं’ ये दोनों कार्ड जापान के समूह में भी आ सकते हैं और इण्डोनेशिया के समूह में भी। ऐसे और भी कुछ कार्ड बनाए जा सकते हैं।
जोकर कार्ड रखने से होता यह है कि खेल जीतने की फिराक में ‘जोकर’ कार्डों को लेकर बच्चों में हरकत और उत्तेजना तो बढ़ती ही है, साथ ही यह समझ और छवि भी मजबूत बनती है कि कुछ बातें दो देशों-प्रदेशों के लिए सही पाई जा सकती हैं।
कौन-सी बात किस देश के लिए सही है - इसका निर्णय करने में शिक्षक को बच्चों की सहायता करनी होगी। इसके लिए किताब खोलकर भी निश्चित किया जा सकता है कि कौन-सी बात किस देश के लिए सही बैठती है। पर बच्चों को खेल किताब बन्द करके ही खेलना है।
अगर इन अध्यायों को लेकर बच्चे ठीक से तैयार लेकर बच्चे से तैयार नहीं हैं तो वे पहले तैयारी करने के लिए समय मांग सकते हैं। फिर खेल उसके बाद ही शुरू होगा।
यह खेल एकलव्य के सामाजिक अध्ययन प्रशिक्षण कार्यक्रम की एक गतिविधि है