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Sandarbh - Issue 90 (January-February 2014)
Sandarbh - Issue 90 (January-February 2014)
- The Expiry Dates Of Facts by Sushil Joshi [Hindi PDF, 106 kB]
तथ्यों की एक्पायरी तारीख- विज्ञान में दावे, तथ्य, निष्कर्ष सभी परिवर्तनशील हैं। ऐसे में पाठ्यपुस्तकों को नई जानकारियों, तथ्यों आदि से अपडेट करना होता है पर उनमें बदलाव की सम्भावना हमेशा बनी रहती है। इस बात को लेकर भी कई अध्ययन हुए हैं कि विज्ञान में कोई तथ्य कितने समय में बासी पड़ जाता है या गलत साबित हो जाता है। इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं इस लेख में।Read article... - Competition, Cooperation Among Living Organisms.And Jerry's Maggot- Part 1 by Adrian Forsyth and Ken Miyata Translated by Satyendra Tripathi
[Hindi PDF, 219 kB][English PDF, 141 kB]
जीवन स्पर्धा, सहजीविता और जैरी का कीड़ा- किसी भी परिवेश में पाए जाने वाले जीवों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध होते हैं और कई जीवों के बीच सहजीविता भी। उष्णकटिबन्धीय इलाके में पाई जाने वाली बॉटफ्लाई के जीवनचक्र में मच्छर इसके अण्डों के वाहक बनते हैं, और मनुष्य जैसे जीवों की त्वचा के भीतर लार्वा पलते हैं। पढ़िए हार्वर्ड के एक स्नातक छात्र पर क्या बीती जब यह लार्वा उसकी खोपड़ी की त्वचा पर मेहमान बना था। साथ ही इससे जुड़ा रोचक जीव विज्ञान और जैव-विकास भी हैRead article... - How Do Lizards And Ants Walk On Walls and Ceilings? - Sawaliram by Vinatha Viswanathan
[Hindi PDF, 144 kB]
छिपकली और चींटी का दीवार पर चलना- छिपकलियाँ अपने पंजों पर बनी खास संरचना की वजह से दीवार-छत पर चल पाती हैं। लेकिन चीटियाँ, मकड़ियाँ व कीट भी दीवार एवं छत पर चलते हैं। ऐसा किस तरह सम्भव हो पाता है? पढ़िए इस लेख में।Read article... - A Conversation With Krishna Kumar An interview by Disha Nawani .[Hindi PDF, 91 kB]
एक बातचीत कृष्ण कुमार के साथ - पिछले दिनों प्रमुख शिक्षाविद् कृष्ण कुमार के साथ दिशा नवानी ने पाठ्यपुस्तकों के विविध आयामों पर बातचीत की थी। इसमें पाठ्यपुस्तकों के शिक्षकों-विद्यार्थियों के लिए मायने, पाठ्यपुस्तकों का विकास, उनमें शामिल सामग्री, पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा के पैमाने जैसे विविध पहलुओं पर काफी खुलकर चर्चा हुई है।Read article... - Macroeconomics: The Core Of Economics - Part 2 by Amit Bhaduri Translated by Sushil Joshi [Hindi PDF, 488 kB] [English PDF, 789 kB]
स्थूल अर्थशास्त्र - स्थूल अर्थशास्त्र एक नया विचार है। इस विचार को स्वयं को एक अलग-थलग व्यक्ति के रूप में देखकर नहीं समझा जा सकता। क्योंकि इस विचार में - जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए सत्य है वह समाज के लिए सत्य हो यह ज़रूरी नहीं है। कहीं-कहीं सम्पूर्ण क्यों उसके हिस्सों का योग नहीं होता? ऐसे सवाल वास्तव में स्थूल अर्थशास्त्र की बुनियाद हैं। पूँजीवादी अर्थ-व्यवस्था के सन्दर्भ में इन सवालों का सबसे बढ़िया जवाब कीन्स और कालेकी ने दिया है। स्थूल अर्थशास्त्र को विस्तार से जानते हैं इस लेख में।Read article... - Some Thoughts On Literature, Reading And Learning by Sushil Shukl [Hindi PDF, 245 kB]
साहित्य और पढ़ना सीखना के इर्द-गिर्द... - अक्सर स्कूल की किताबों और तथाकथित बाल साहित्य में बच्चों की समझ, भाषा और अनुभवों को बेहद कम जगह दी जाती है। यही कारण है कि उन्हें स्कूल एक बेगानी जगह जान पड़ती है। बच्चों की कल्पनाएँ और खयाल बहुत ही रोचक होते हैं और कहानियाँ गढ़ना उनका पसन्दीदा शगल लेकिन इसे बढ़ावा देने वाला साहित्य कम ही दिखाई पड़ता है। बच्चों के साहित्य पर एक विमर्श है यह लेख।Read article... - Sennin by Ryunosuke Akutogawa Translated by Poorva Yagnik Kushwaha [Hindi PDF, 483 kB]
सेनिन - कई बार मिथकीय नायक इन्सान के अन्तस में इस कदर प्रवेश कर जाते हैं कि उसके परे दुनिया का कोई पहलू उसे रास नहीं आता। एक दिन उसे पा लेने की चाहत के चलते जीवन के काले स्याह दिन भी कई रंगों में रंगे जान पड़ते हैं। मिथक के पीछे भागते इन्सान की रोचक कहानी है सेनिन।Read article... - Index Of Issues 85 - 90 Read article... [Hindi PDF, 90 kB]
- Story Of The Bonsai by Ambrish Soni [Hindi PDF, 158 kB]
बोन्साई की कहानी - अपने आकार के चलते लोगों को अक्सर ही चौंका देने वाले बोन्साई आजकल खासे लोकप्रिय हो रहे हैं। बोन्साई बनाने की प्रक्रिया, विज्ञान और इसकी सीमाओं की चर्चा करता यह लेख।Read article...