पंद्रह साल पहले अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के जीवाश्म विज्ञानी मार्क नॉरेल को दक्षिणी मंगोलिया में प्रोटोसेराटॉप्स डायनासौर के कम से कम एक दर्जन भ्रूण फ्रोज़न अवस्था में मिले थे। लेकिन उनमें कुछ तो अजीब बात थी। ऐसा लगता था जैसे नन्हे डायनासौर अदृश्य अंडे के अंदर गुड़ी-मुड़ी होकर पड़े हैं। हर नन्हे डायनासौर के कंकाल के आसपास की चट्टान पर एक रहस्यमयी सफेद वलय थी। अब इतने समय के बाद नॉरेल और उनके साथियों ने इन वलय के रहस्य को सुलझा लिया है। ये वलय डायनासौर के अंडों की मुलायम खोल थीं।
इस रहस्य को सुलझाने के लिए नॉरेल और येल विश्वविद्यालय की आणविक पुराजीव विज्ञानी जैस्मिना वीमन ने मंगोलिया से प्राप्त 7.5 करोड़ साल पुराने प्रोटोसेराटॉप्स डायनासौर के जीवाश्मित अंडों के दो समूहों और 21.5 करोड़ वर्ष पुराने मुसासौरस के अंडों के एक समूह का एक नई तकनीक की मदद से विश्लेषण किया। उन्होंने अंडों को लेज़र प्रकाश में रखा और देखा कि लेज़र प्रकाश अंडों की सतह से टकराने पर कैसे बदलता है। इससे अंडों के खोल की रासायनिक संरचना के बारे में पता चला। यह तो हम जानते हैं कि आधुनिक मुलायम खोल वाले अंडों की आणविक संरचना सख्त खोल वाले अंडों की आणविक संरचना से अलग होती हैं। विश्लेषण में पता चला कि प्रोटोसेराटॉप्स और मुसासौरस, दोनों के अंडे के चारों ओर की वलय की संरचना मुलायम खोल वाले अंडों के समान थी।
डायनासौर के अस्तित्व के शुरुआती दौर में मुसासौरस रहते थे इसलिए शोधकर्ताओं का अनुमान है कि शुरुआती डायनासौर मुलायम खोल वाले अंडे देते होंगे। लेकिन डायनासौर के अस्तित्व के अंतिम दौर यानी 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व जीवित रहे प्रोटोसेराटॉप्स के घोंसले से पता चलता है कि इस समय तक भी कुछ प्रजातियां मुलायम खोल वाले अंडे देती थीं, जबकि डायनासौर की अन्य प्रजातियां सख्त खोल वाले अंडे देने के लिए विकसित हो चुकी थीं।
संभवत: मुलायम खोल वाले अंडे देने वाले डायनासौर अंडों को ज़मीन में गाड़ते होंगे ताकि जब भारी-भरकम मां इन नाज़ुक अंडों पर बैठें तो वे दब कर टूट ना जाएं। ज़मीन में गाड़ने से अंडे सूखने से भी बचेंगे। अंडों को मादा डायनासौर द्वारा जमीन में गाड़ने से अंडों को कम गर्मी मिलती होगी जिससे उनका विकास धीमी गति से होता होगा। इसके चलते अंडों से निकलने वाले बच्चे ज़्यादा विकसित अवस्था में होते होंगे। अत: पालकों को नवजात की कम देखभाल करना पड़ती होगी। पूर्व में हुए अध्ययन बताते हैं कि डायनासौर के करीबी पंखों वाले सरीसृप टेरोसौर के शिशु अंडों से निकलने के तुरंत बाद उड़ने में सक्षम होते हैं।(स्रोत फीचर्स)
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Srote - August 2020
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