मुक्केबाज़ी का मुकाबला देखते हुए किसी के मन में यह ख्याल नहीं आता कि इस वक्त लड़ाकों के दिमाग के जीन्स में क्या हो रहा है। लेकिन लड़ाकू मछलियों पर हुए ताज़ा अध्ययन से पता चला है कि मछलियों की कुश्ती के वक्त उनके मस्तिष्क के जीन्स तालमेल से काम करना शुरू और बंद करते हैं। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि ये जीन करते क्या हैं या वे लड़ाई को कैसे प्रभावित करते हैं, लेकिन संभावना है कि मनुष्यों में भी इसी तरह के बदलाव होते होंगे।
मोबब्बत हो या जंग, मनुष्यों सहित सभी जानवरों को हर परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करना होता है लेकिन वे ऐसा कैसे कर पाते हैं इसका आणविक कारण अब तक एक रहस्य बना हुआ है। जापान के कितासातो विश्वविद्यालय के आणविक जीव विज्ञानी नोरिहिरो ओकाडा को टीवी पर सियामीज़ लड़ाकू मछलियों (बेट्टा स्प्लेंडेंस) की लड़ाई देखकर लगा कि ये मछलियां इस रहस्य को सुलझाने में मदद कर सकती हैं। मूलत: थाईलैंड में पाई जाने वाली, गोल्ड फिश के आकार की इन मछलियां के पंख और पूंछ बहुत बड़े और चटख रंग के होते हैं। इन्हें खासकर एक्वेरियम में रखने के लिए पाला जाता है लेकिन इनके लड़ाकू स्वभाव के कारण एक्वेरियम में इन्हें अलग-अलग रखने की सलाह दी जाती है। ये मछलियां अपना इलाका बनाती हैं, और इनकी लड़ाई 1 घंटे से भी अधिक समय तक चल सकती है जिसमें ये एक-दूसरे पर वार करती हैं, काटती हैं और पीछा करती हैं। यहां तक कि हमारे पंजा लड़ाने की तरह ये जबड़ा लड़ाती हैं।
ओकाडा की टीम ने मछलियों की 17 विभिन्न कुश्तियों के लगभग 12 घंटे के वीडियो बनाकर विश्लेषण किया कि हर लड़ाई में क्या-क्या हुआ और कब हुआ। प्लॉस जेनेटिक्स पत्रिका में वे बताते हैं कि लड़ाई जितनी अधिक लंबी होती है, मछलियों के व्यवहार में आपस में उतना ही अधिक तालमेल होता जाता है - उनके घूमने, वार करने और काटते समय भी। तालमेल की हद देखिए कि लगभग 80 मिनट की लड़ाई में हर दांव के बीच उन्होंने ‘परस्पर सहमति से’ विराम लिया। जब मछलियां एक-दूसरे से जबड़ा लड़ाती हैं तब मुकाबला 5 से 10 मिनट के लिए गहराता है, इस दांव में सांस रोकना पड़ता है और इसी से तय होता है कि कौन लंबे समय तक जबड़े का दांव जारी रख सकता है। 5-10 मिनट बाद ये मछलियां सांस लेने के लिए एक-दूसरे से अलग होती हैं और फिर भिड़ जाती हैं।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि व्यवहार में यह तालमेल आणविक स्तर पर भी होता है। शोधकर्ताओं ने 20 मिनट और 60 मिनट में पूरी होने वाली 5-5 कुश्तियों में, लड़ाई के पहले और बाद में देखा कि उस वक्त मछलियों के मस्तिष्क के कौन से जीन्स सक्रिय थे। टीम ने पाया कि 20 मिनट वाली लड़ाई में हर मछली में कुछ समान जीन्स, ‘इंटरमीडिएट एर्ली जीन’ ने काम करना शुरू किया था। ये जीन्स अन्य जीन्स को सक्रिय करने का काम करते हैं। 60 मिनट वाली लड़ाई में इन जीन्स के अलावा सैकड़ों अन्य जीन्स में समन्वय देखा गया। मछली के हर जोड़े में प्रत्येक जीन के सक्रिय होने का एक खास समय था जिससे लगता है कि मछली का परस्पर संपर्क इन परिवर्तनों का समन्वय करता है। अन्य अध्ययनों के अनुसार स्तनधारियों का परस्पर संपर्क मस्तिष्क गतिविधि में तालमेल बैठाता है। यह शोध इस बात को एक नया आयाम देता है।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - August 2020
- इम्यूनिटी बढ़ाने का नया धंधा
- कृत्रिम अंगों पर कोरोनावायरस का अध्ययन
- भविष्य में महामारियों की रोकथाम का एक प्रयास
- एफडीए ने ट्रम्प की पसंदीदा दवा को नामंज़ूर किया
- स्वास्थ्य क्षेत्र की व्यापक चुनौतियां
- कोविड-19 प्लाज़्मा थेरेपी
- भविष्य का सूक्ष्मजीव-द्वैषी, अस्वस्थ समाज
- महामारी और गणित
- जॉर्ज फ्लॉयड की शव परीक्षा की राजनीति
- कोविड-19: नस्लवाद पर वैज्ञानिक चोला
- लॉकडाउन: शहरी इलाकों में जंगली जानवर
- हमारा शरीर है सूक्ष्मजीवों का बगीचा
- छरहरे बदन का जीन
- साबुन के बुलबुलों की मदद से परागण
- डायनासौर के अंडों का रहस्य सुलझा
- मौसम पूर्वानुमान की समस्याएं
- लड़ते-लड़ते मछलियां जीन्स में तालमेल बैठाती हैं
- बहु-कोशिकीय जीवों का एक-कोशिकीय पूर्वज
- डॉल्फिन साथियों से सीखती हैं शिकार का नया तरीका
- घोड़ों के पक्षपाती चयन की जड़ें प्राचीन समय में
- खतरनाक डॉयाक्सीन के बढ़ते खतरे
- संक्रमण-रोधी इमारतें और उर्जा का उपयोग
- एक झींगे की तेज़ गति वाली आंखें