हाल ही में रॉयल एस्ट्रॉनॉमिकल सोसायटी के जर्नल मंथली नोटिसेस में प्रकाशित एक शोध पत्र में दावा किया गया है कि हमारी निहारिका उर्फ आकाशगंगा अपने एक पड़ोसी के साथ टकराव के रास्ते पर चल रही है। यह पड़ोसी तारों का एक समूह है जिसे लार्ज मेजेलिनिक क्लाउड (एल.एम.सी.) कहते हैं।
गौरतलब है कि खगोल शास्त्रियों को पहले से ही अंदेशा रहा है कि हमारी आकाशगंगा और निकटतम पड़ोसी एंड्रोमिडा निहारिका के बीच टक्कर होकर रहेगी। नए अध्ययन ने चेतावनी दी है कि इससे पहले एलएमसी से टक्कर हो सकती है। डरहैम विश्वविद्यालय के खगोल शास्त्रियों की एक टीम ने इस टक्कर की काफी विस्तृत और भयानक तस्वीर खींची है। मैरियस कौटन के नेतृत्व में काम कर रही टीम का अनुमान है कि यह घटना एंड्रोमिडा टक्कर से 2-3 अरब साल पहले हो सकती है।
एलएमसी का द्रव्यमान आकाशगंगा की तुलना में बीसवां भाग ही है और शोधकर्ताओं का मत है कि इस टक्कर में एलएमसी का तो अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा किंतु हमारी आकाशगंगा भी अछूती नहीं रहेगी। आकाशगंगा का भी बुरा हाल होगा।
निहारिकाओं की टक्करें अंतरिक्ष में कोई अनहोनी बात नहीं है और वैज्ञानिक इनके मॉडल तैयार करने में काफी निपुण हो चुके हैं। सुपरकंप्यूटर पर ऐसी टक्करों का विश्लेषण करके डरहैम की टीम ने आकाशगंगा-एलएमसी की टक्कर के विभिन्न मॉडल तैयार किए हैं। तो इस टक्कर के संभावित परिणाम क्या होंगे?
सबसे पहला तो यह होगा कि एलएमसी हमारी आकाशगंगा में ढेर सारी गैस और असंख्य तारे में प्रविष्ट करा देगी। और ये सब आकाशगंगा के केंद्र में स्थित ब्लैक होल में समा जाएंगे। कौटन के मुताबिक संभवत: इसकी वजह से यह ब्लैक होल वर्तमान से 8 गुना बड़ा हो जाएगा। यह भी संभव है कि वह क्वासर में तबदील हो जाए। एक परिणाम यह भी हो सकता है कि यह बड़ा ब्लैक होल अपने आसपास के और तारों को निगल जाए। कुछ अन्य तारे शायद निहारिका छोड़कर खुले अंतरिक्ष में निकल जाएं।
अच्छी बात यह है कि यह टक्कर आज से 2 अरब साल बाद होने की संभावना है। और उससे भी अच्छी बात है कि उस समय हमारे जो भी वंशज रहेंगे उनके लिए चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि हमारे सौर मंडल वाले इलाके में इसका कोई खास असर नहीं होगा। उन्हें तो बस एक दर्शनीय नज़ारे का आनंद मिलेगा। (स्रोत फीचर्स)