हम आधुनिक मानव (होमो सेपिएंस) पिछले दस हज़ार सालों से एकमात्र मानव प्रजाति होने के इस कदर अभ्यस्त हो चुके हैं कि किसी दूसरी मानव प्रजाति के बारे में कल्पना करना भी मुश्किल लगता है। 19वीं और 20वीं सदी के आरंभ में मानव वैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों ने हमारी इस सोच को बदलते हुए बताया कि वास्तव में सेपिएंस कई मानव प्रजातियों में से महज एक है। आज से तकरीबन एक लाख साल पहले पृथ्वी कम से कम सात होमो प्रजातियों का घर हुआ करती थी। और इस दिशा में खोज की दर इतनी तेज़ है कि साल-दर-साल मानव वंश वृक्ष (फैमिली ट्री) में नए-नए नाम जुड़ते जा रहें हैं। इसी कड़ी में हाल ही में पुरातत्वविदों को उत्तरी फिलीपींस में आदिमानव की एक अलग और नई प्रजाति के अवशेष खोज निकालने में सफलता मिली है।
इस हालिया खोज से यह पता चला है कि जिस समय वर्तमान मानव प्रजाति यानी होमो सेपिएंस अफ्रीका से बाहर निकलकर दक्षिण पूर्व एशिया में फैल रही थी उस वक्त फिलीपींस में एक और मानव प्रजाति मौजूद थी। मानव वैज्ञानिकों को फिलीपींस के लूज़ोन द्वीप में मानव की उस प्रजाति के पुख्ता सबूत मिले हैं। इसके अवशेष लूज़ोन द्वीप में पाए गए हैं इसलिए इस प्रजाति का नाम होमो लूज़ोनेंसिस रखा गया है। मनुष्य के ये दूर के सम्बंधी आज से 50 से 67 हज़ार साल पहले फिलीपींस के इस द्वीप पर रहते थे।
बीते 10 अप्रैल को विज्ञान पत्रिका नेचर में इस खोज का खुलासा किया गया है। नेचर पत्रिका के मुताबिक होमो लूज़ोनेंसिस के अवशेष लूज़ोन के उत्तर में मौजूद कैलाओ गुफा में मिले हैं। ये अवशेष कम से कम तीन लोगों के हैं जिनमें एक युवा है। साल 2007, 2011 और 2015 में ही इस गुफा से सात दांत, पैरों की छह हड्डियां, हाथ और टांग की हड्डियां प्राप्त हुई थीं। अब इस मानव प्रजाति को होमो लूज़ोनेंसिस नाम दिया गया है।
होमो लूज़ोनेंसिस के अवशेषों में पैरों की उंगलियां भीतर की तरफ मुड़ी हुई हैं, जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि शायद इनके लिए पेड़ों पर चढ़ना एक बेहद ज़रूरी काम हुआ करता था। छोटे दांतों के आधार पर इनके छोटे कद के होने का भी दावा किया जा रहा है। इसकी कुछ विशेषताएं मौजूदा मानव प्रजाति से मिलती हैं (जैसे सीधे खड़े हो कर चलना), जबकि कई विशेषताएं आदि वानरों के एक आरंभिक जीनस ऑस्ट्रलोपीथेकस से मिलती-जुलती हैं जो करीब 20 से 40 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते थे। इसलिए अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि आदि मानव के ये सम्बंधी अफ्रीका से जुड़े हो सकते हैं जो बाद में दक्षिण पूर्व एशिया में आ कर बस गए होंगे। गौरतलब है कि इस खोज से पहले ऐसा होना लगभग असंभव माना जा रहा था। इस खोज के बाद अब यह माना जा रहा है कि फिलीपींस और पूर्वी एशिया में मानव प्रजाति का विकास बेहद जटिलता से भरा हो सकता है क्योंकि यहां पहले से ही तीन या उससे ज़्यादा मानव प्रजातियां निवास कर रही थीं। इनमें से एक थे इंडोनेशिया के फ्लोर्स द्वीप के निवासी छोटे कद वाले हॉबिट या होमो फ्लोरसीएंसिस। इनकी ऊंचाई अधिकतम एक मीटर होती थी!
गौरतलब है कि होमो लूज़ोनेंसिस पूर्वी एशिया में उस समय रह रहे थे जब होमो सेपियंस, होमो निएंडरथल्स, डेनिसोवंस और होमो फ्लोरसीएंसिस भी पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद थीं। अब तक वैज्ञानिकों का यह मानना था कि मनुष्य जैसी दिखने वाली सबसे पुरानी प्रजाति होमो इरेक्टस अफ्रीका से बाहर निकलकर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैली और बाकी मानव प्रजातियां होमो इरेक्टस के क्रमिक विकास की ही देन हैं। इस निष्कर्ष को अब होमो लूज़ोनेंसिस की खोज से चुनौती मिलने लगी है, जो होमो इरेक्टस के वंशज प्रतीत नहीं होते हैं। नेचर पत्रिका में इस खोज के बारे में लिखा गया है कि यह खोज इस बात की सबूत है कि मानवीय विकास एक सीधी रेखा में नहीं हुआ है जैसा कि आम तौर पर समझा जाता रहा है। यह सवाल भी है कि आखिर यह प्रजाति चारों ओर पानी से घिरे लूज़ोन द्वीप पर कैसी पहुंची? अफ्रीका से प्रवास करने वाले आदिमानव के किस वंशज से ये जुड़े हैं? फिलीपींस से मानव की इस प्रजाति के खत्म होने के क्या कारण थे? लेकहेड युनिवर्सिटी के मानव वैज्ञानिक मैथ्यू टोचेरी के मुताबिक, “इससे समझ में आता है कि एशिया में मानव का क्रमिक विकास कितना जटिल और खलबली से भरा हुआ था।” (स्रोत फीचर्स)
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Srote - August 2019
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