-
Sandarbh - Issue 82 (July-October 2012)
- विद्युत और चुम्बकत्व का आपसी रिश्ता
- जैव-बहुलक कितने कड़क, कितने लचीले?
- विश्व पुस्तक मेले में बच्चों के साथ (अ)संवाद
- बच्चों के लिए किताबें चुनना
- जब बिजली के झटके से मरते हैं
- भूचुम्बकत्व, उपग्रह और खनिज सम्पदा
- टीएलएम: ज़रूरत या विवशता
- सफरनामा: एक बाल अखबार का
- चीफ की दावत
- नाम है पेल ग्रास ब्लू, रहती है खट्टी बूटी पर
Sandarbh - Issue 82 (July-October 2012)
- The Special Relationship Between Electricity And Magnetism by Himanshu Srivastava [Hindi PDF, 437 kB]
विद्युत और चुम्बकत्व का आपसी रिश्ता - विज्ञान शिक्षण में किसी अवधारणा को समझाते समय विविध अवधारणाओं का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी ही कोशिश इन्दौर में शिक्षण प्रशिक्षण के दौरान विद्युत धारा और चुम्बकत्व के आपसी रिस्ते को समझने के लिए की गई। इसमें विषय से जुड़ी विभिन्न अवधारणाओं की समझ के विकास को ऐतिहासिक रूप से देखने का प्रयास हुआ। इसमें कुछ ऐतिहासिक प्रयोगों को भी करके देखा गया। आइए देखें क्या हुआ कार्यशाला में।Read article... - Beams in Biology by Supurna Sinha Translated by Arpita Pandey
[Hindi PDF, 224 kB][English PDF, 122 kB]
जैव-बहुलक कितने कड़क, कितने लचीले? - हमारे शरीर के ढ़ाँचे में कुछ संरचनाएँ कठोर हैं तो कुछ लचीली। हमारा कंकाल ठोस हड्डियों का बना है इसलिए वह लचीला नहीं है लेकिन मांसपेशियों के अन्दर एक्टिन तन्तुओं की नरम, लचीली परतें होती हैं, जो मुड़ सकती हैं। शरीर के अलग-अलग भाग अलग-अलग तरह के बहुलकों से बने होते हैं और इसीलिए इनका लचीलापन भी अलग-अलग होता है। कुछ बहुलक सुई की तरह कड़क होते हैं तो कुछ धागे की तरह लचीले और कुछ न बहुत कड़क और न ही बहुत लचीले। ये सारे बहुलक हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।. Read article... - My Non-Interaction With Children At The World Book Fair by Sumit Tripathi Translated by Jitendra Kumar [Hindi PDF, 135 kB] [English PDF, 50 kB]
विश्व पुस्तक मेले में बच्चों के साथ (अ)संवाद - छोटे बच्चे स्कूली पाठ्यक्रम के अतिरिक्त किस तरह की किताबें पढ़ेंगे इसका फैसला अक्सर ही माता-पिता या शिक्षक करते हैं। बच्चों से अगर राय ली भी जाती है तो वह ज़्यादातर बड़ों की पसन्द को सही मनवाने के लिए। किताबें बच्चों की कल्पना को उड़ान देती हैं। उन्हें अपनी दुनिया की पड़ताल करने और समझ बनाने के रास्ते सुझाती है। ऐसे में बच्चों को उनकी पसन्द की किताब खरीदने से राकना एक बेहद अहम प्रक्रिया को बाधित करने जैसा है। विश्व पुस्तक मेले में हुए अनुभव।Read article... - Choosing Children's Books by Avinandan Mukherjee Translated by Bharat Tripathi
[Hindi PDF, 225 kB] [English PDF, 96 kB]
बच्चों के लिए किताबें चुनना - बच्चों के लिए किताबें चुनने का काम उनके पालक ही करते हैं। पर क्यों? इसके लिए उनके अपने तर्क और मान्यताएँ हैं। यहाँ पर लेखक विश्व पुस्तक मेले में हुए अपने अनुभवों को हमारे साथ बाँट रहे हैं।Read article... - When People Die Of Electric Shocks, What Kills Them - The Current Or The Voltage? From New Scientist Translated by Satyendra Tripathi [Hindi PDF, 187 kB]
जब बिजली के झटके से मरते हैं - जब लोग बिजली के झटके से मरते हैं, तो उसकी मौत का कारण विद्युत धारा होती है या वोल्टेज? ‘न्यू साइंटिस्ट’ पत्रिका ने जब यह सवाल अपने पाठकों से किया तो पाठकों ने विविध विचार उन्हें प्राप्त हुए। उसी का सम्पादित अंश है यह लेख। Read article... - Geomagnetism, Satellites And Mineral Reserves An interview with Vinod Gaur by Sujata Vardarajan Translated by Varsha[Hindi PDF, 256 kB]
भूचुम्बकत्व, उपग्रह और खनिज सम्पदा - प्रशिद्ध भू-भौतिकीविज्ञ विनोद कुमार गौड़ से सुजाता वरदराजन की बातचीत की दो लेखों की सीरीज़ का यह पहला भाग है। इसमें विनोद कुमार जी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा और जीवन के बारे में बताया है। उन्होंने किस तरह के शोध कार्य किए, क्या चुनौतियाँ रहीं और कैसे उनका सामना किया। यह मूल लेख ‘रेज़ोनेंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।Read article... - TLM - A Need Or A Compulsion by Disha Nawani and Kamlesh Chandra Joshi [Hindi PDF, 563 kB]
टीएलएम: ज़रूरत या विवशता - टीएलएम याने टीचिंग लर्निंग मटेरियल, आज स्कूली शिक्षा का अभिन्न हिस्सा बन गया है। इसके जरिए सीखने की प्रक्रिया को रोचक और आसान बनाया जा सकता है, अवधारणाओं को अधिक स्पष्ट रूप से समझाया जा सकता है। पर क्या सभी टीएलएम समान रूप से कारगर होते हैं? टीएलएम और मॉडल सामग्री में क्या अन्तर है? टीएलएम को स्पष्ट और विस्तृत रूप से समझाता यह लेख। Read article... - The Journey Of A Children's Newspaper by Mahesh Jharbade [Hindi PDF, 745 kB]
सफरनामा: एक बाल अखबार का - बाल अखबार बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम से इतर अपना कौशल दिखाने और अपने मनोभावों को व्यक्त करने की जगह उपलब्ध कराते हैं। बाल अखबार के लिए काम करते हुए, बच्चों में समूह में काम करने की आदत और नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। इस प्रयास से भाषा की समझ और उस पर पकड़ भी बेहतर बनती है। इस गतिविधि में कुछ और पहलू जोड़ता यह लेख। Read article... - Chief Ki Daawat by Bheeshm Sahni [Hindi PDF, 376 kB]
चीफ की दावत - यह एक संयुक्त परिवार की दास्तान है जो शायद एक रूपक की तरह भी प्रयुक्त हो रहा है। एक ओर महत्वाकांक्षी बेटे और बहू हैं और दूसरी ओर बूढ़ी माँ।Read article... - The Name's Pale Grass Blue by Kishore Powar [Hindi PDF, 121 kB]
नाम है पेल ग्रास ब्लू, रहती है खट्टी बूटी पर - एक खूबशूरत-सी तितली है पेल ग्रास ब्लू और उसका जिस पौधे से खास नाता है उसका नाम है ऑक्ज़ेलिस कार्नीकुलेटा जिसे बोल चाल की भाषा में खट्टी बूटी भी कहते हैं। दोनो ही प्रजातियों और उनके सम्बन्धों के बारे में पढ़िए लेख।Read article...