एक ही घर में रहने वाले लोग सिर्फ एक छत साझा नहीं करते। हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि आप अपने परिवार या साथ रहने वालों के साथ सूक्ष्मजीव भी साझा करते हैं। जितना लंबा समय आप उनके साथ रहते हैं सूक्ष्मजीव उतने ही अधिक समान होते जाते हैं।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित विश्व भर के हज़ारों लोगों के आंत और मुंह में उपस्थित सूक्ष्मजीव संसार को लेकर इस अध्ययन से इस संभावना का संकेत मिलता है कि सूक्ष्मजीव संसार की गड़बड़ियों से सम्बंधित बीमारियां (जैसे कैंसर, मधुमेह और मोटापा) कुछ हद तक संक्रामक हो सकती हैं। व्यक्ति को उसका सूक्ष्मजीव संसार कैसे प्राप्त होता है, इसे लेकर अधिकांश अध्ययनों में व्यक्ति के सूक्ष्मजीवों से प्रथम संपर्क (जो मां के ज़रिए होता है) पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। लेकिन इस सूक्ष्मजीव संसार का संघटन आजीवन बदलता रहता है। इस परिवर्तन को समझने के लिए मौजूदा अध्ययन में इटली के ट्रेंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मिरिया वैलेस कोलोमर और निकोला सेगाटा ने यह जानने का प्रयास किया कि एक व्यक्ति के जीवन में इस सूक्ष्मजीव संसार में कब और कैसे परिवर्तन आता है। उन्होंने दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से एकत्रित विष्ठा और लार के लगभग 10,000 नमूनों से प्राप्त डीएनए का विश्लेषण किया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने परिवार के सदस्यों, जीवनसाथियों, साथ रहने वालों और अन्य सामाजिक संपर्क में आए लोगों की आंत और मुंह के नमूनों मे सूक्ष्मजीव संघटन का मिलान करके देखा।
अध्ययन में मां और बच्चों के सूक्ष्मजीव संसार में एक मज़बूत सम्बंध दिखा जो बच्चे के शुरुआती जीवन में सबसे अधिक था। शिशु के जीवन के पहले वर्ष के दौरान उसकी आंतों के आधे सूक्ष्मजीव मां के समान थे। उम्र बढ़ने के साथ सूक्ष्मजीवों में समानता कम होती गई लेकिन कभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई। 50-85 वर्ष आयु तक भी व्यक्ति और मां की आंतों में समान सूक्ष्मजीव पाए गए।
इसके अलावा परिवार के अन्य सदस्यों की आंत के सूक्ष्मजीव भी एक महत्वपूर्ण स्रोत थे। 4 वर्ष की आयु से बड़े बच्चों के सूक्ष्मजीव अपने पिता के साथ उतने ही समान थे जितने मां के साथ। दूर-दूर रहने वाले जुड़वां जितना समय दूर रहे उतने ही कम सूक्ष्मजीव साझा किए। ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग परिवारों के बीच भी सूक्ष्मजीवों की साझेदारी देखी गई।
यह भी देखा गया कि मां से प्राप्त सूक्ष्मजीव संसार का प्रभाव आंत के सूक्ष्मजीवों की अपेक्षा मुंह के सूक्ष्मजीवों में कम था। एक साथ रहने वाले गैर-रिश्तेदारों के मुंह में भी एक ही प्रकार के सूक्ष्मजीव पाए गए और जितने लंबे समय तक वे साथ रहे उतनी ही अधिक समानता देखी गई। पति-पत्नी अपने बच्चों और माता-पिता की तुलना में अधिक सूक्ष्मजीव साझा करते हैं।
विशेषज्ञ इस अध्ययन को काफी महत्वपूर्ण मानते हैं जिसकी मदद से यह देखा जा सकेगा कि गैर-रोगजनक माने जाने वाले सूक्ष्मजीव कैसे फैलते हैं और रोग उत्पन्न करने में क्या भूमिका निभाते हैं। (स्रोत फीचर्स)
-
Srote - March 2023
- जोशीमठ: सुरंगों से हिमालय में हुई तबाही का नतीजा
- चैट-जीपीटी - अजूबा या धोखेबाज़ी का नया औज़ार?
- सोना निर्माण की प्रक्रिया काफी उग्र रही है
- मंगल ग्रह पर कभी चुंबकीय क्षेत्र था
- मंगल भूकंप संवेदी लैंडर को अलविदा
- लेज़र की मदद से तड़ित पर नियंत्रण
- सौर जल अपघटन से हरित ऊर्जा
- प्राचीन रोमन इमारतों की मज़बूती का राज़
- खीरे, खरबूज़े और लौकी-तुरैया
- सालों तक उपज देने वाली धान की किस्म
- कैरेबियन घोंघों का संरक्षण, मछुआरे चिंतित
- राजहंस कैसे कीचड़ से भोजन छान लेता है
- कुछ कैनरी पक्षी खाने में माहिर होते हैं
- दवा कारखाने के रूप में पालतू बकरी
- चूहों में बुढ़ापे को पलटा गया
- मच्छर के खून से संक्रमण का सुराग
- मनुष्यों का बड़ा दिमाग फालतू डीएनए का नतीजा है
- आपका सूक्ष्मजीव संसार और आसपास के लोग
- क्या खब्बू होना विरासत में मिलता है
- चाइनीज़ मांझा
- माया कैलेंडर शायद 3000 साल से भी पुराना है
- मधुमक्खियों के लिए टीका!
- वन सृजन व हरियाली बढ़ाने के सार्थक प्रयास