कभी-कभी ऐसा होता है कि हम करने कुछ जाते हैं और करके कुछ और आते हैं। हाल ही में ऐसा ही कुछ नीदरलैंड्स के डॉक्टरों के साथ हुआ। प्रोस्टेट कैंसर में रेडिएशन द्वारा उपचार के दुष्प्रभाव का अध्ययन करने वाले इन डॉक्टरों ने एक नया अंग खोज निकाला है।
नीदरलैंड्स कैंसर इंस्टिट्यूट के रेडियो ऑन्कोलॉजी संकाय के डॉक्टरों ने हाल ही में एक जोड़ी नई लार ग्रंथियों की खोज का दावा किया है। चिकित्सा क्षेत्र में स्कैन सम्बंधी तकनीकों में लगातार उन्नति के चलते यह खोज संभव हुई। रेडियोलॉजिस्ट वूटर वी. वोगल एवं सर्जन मैथियास एस. वेलस्टर और उनके साथियों ने लार ग्रंथियों के इस नए जोड़े को नाक एवं गले के बीच नासाग्रसनी के पास स्थित पाया है। इन्हें ट्यूबेरियल लार ग्रंथि नाम दिया गया है।
सिर एवं गले के कैंसर में रेडिएशन उपचार के लार ग्रंथियों पर प्रभाव के अध्ययन के दौरान इन ग्रंथियों की उपस्थिति की पुष्टि की गई। इस खोज का विवरण जर्नल ऑफ रेडियोथेरेपी में प्रकाशित हुआ है। इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि हमारे शरीर के अंदर कई और अंग होंगे जिनकी जानकारी हमें नहीं है।
लगभग चार सेंटीमीटर लंबी इन लार ग्रंथियों से म्यूकस का स्राव होता है। नासाग्रसनी व उसके आसपास के हिस्से का चिकनापन बनाए रखने, निगलने व खाने में इन ग्रंथियों की भूमिका है। यह बहुत महत्वपूर्ण खोज है क्योंकि इससे कैंसर के मरीज़ों के जीवन की गुणवत्ताा बढ़ाई जा सकती है।
हमारे मुंह में तीन जोड़ी बड़ी एवं हज़ारों छोटी लार ग्रंथियां हैं। लार में लगभग 98 प्रतिशत पानी, कुछ एंज़ाइम्स, इलेक्ट्रोलाइट आदि पाए जाते हैं। किसी व्यक्ति की लार ग्रंथियों के रेडिएशन से क्षतिग्रस्त होने पर मुंह में लार बनने की प्रक्रिया मंद पड़ जाती है। अत: मुंह सूख-सा जाता है। स्वाद अनुभव करने, पाचन, निगलने एवं बोलने की प्रक्रिया प्रभावित होती है एवं मुंह में संक्रमण की संभावना भी बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं ने सिर एवं गले के कैंसर के 723 मरीज़ों में रेडिएशन के प्रभावों का अध्ययन करने पर पाया कि ट्यूबेरियल लार ग्रंथियां क्षतिग्रस्त होने से मरीज़ों में मुंह सूख जाना, भोजन निगलने व बात करने में दिक्कत होना जैसे ही दुष्प्रभाव नज़र आते हैं। 100 मरीज़ों के स्कैन एवं दो शवों के विच्छेदन से इन अंगों की उपस्थिति की पुष्टि की गई है।(स्रोत फीचर्स)
-
Srote - February 2021
- कोविड और 2020: एक अनोखा वर्ष
- नोवावैक्स के टीके का परीक्षण अंतिम चरण में
- ज़ेब्राफिश और रेटिना का इलाज
- कोरोना की चुनौतियों से जूझता विज्ञान जगत
- विज्ञान नीति और कोरोना टीका बनाने की ओर बढ़ा भारत
- कोविड-19 टीका: उम्मीद और असमंजस
- बदले हुए वायरस से खलबली
- कोरोनोवायरस अपने चिंह छोड़ जाता है
- कोविड-19 की गंभीरता बढ़ाता पुरातन जीन
- नई लार ग्रंथियों की खोज
- स्पर्श अनुभूति में एक प्रोटीन की भूमिका
- आपके पैरों तले है विशाल जैव विविधता
- शोरगुल में साफ सुनने की तकनीक
- सूक्ष्मजीव को ब्रेड बनाने के लिए पालतू बनाया था
- कीमोथेरपी - कैंसर का उपचार या सज़ा
- सर्पदंश से अनमोल जीवन की क्षति
- छिपकली द्वारा परागण का अनूठा मामला
- नर चीतों के भी अड्डे होते हैं
- हयाबुसा-2 की कार्बन युक्त नमूनों के साथ वापसी
- कृत्रिम बुद्धि को भी नींद चाहिए
- राष्ट्रीय सब्ज़ी का हकदार कौन?
- जलवायु परिवर्तन से जीवों रंग कैसे बदलेगा?