हाल ही में सैन डिएगो स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया की शोधकर्ता एलिज़ाबेथ विनज़ेलर और उनकी टीम ने ऐसे रसायनों की पहचान कर ली है जो मलेरिया परजीवी का लीवर में ही सफाया कर देंगे।
होता यह है कि जब एक संक्रमित मच्छर मनुष्य को काटता है, तो मलेरिया के लिए ज़िम्मेदार प्लाज़्मोडियम परजीवी स्पोरोज़ाइट अवस्था में शरीर में प्रवेश करते हैं। लीवर में पहुंच कर ये अपनी प्रतियां बनाते और वृद्धि करते हैं। इसके बाद ये रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। मलेरिया के लक्षण तब ही दिखाई पड़ते हैं जब ये परजीवी रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते है और संख्या में वृद्धि करने लगते हैं। आम तौर पर मलेरिया के लक्षणों से निपटने के लिए ही दवाएं दीं जाती हैं।
लेकिन शोधकर्ता चाहते थे कि मलेरिया के परजीवी को लीवर में ही खत्म कर दिया जाए। इसके लिए शोधकर्ताओं ने लगभग 5 लाख मच्छरों से स्पोरोज़ाइट अवस्था में प्लाज़्मोडियम परजीवी को अलग किया। हरेक परजीवी पर उन्होंने लुसीफरेज़ एंज़ाइम जोड़ा, जो जुगनू में चमक पैदा करने के लिए ज़िम्मेदार होता है, ताकि परजीवी पर नज़र रखी जा सके। इसके बाद हरेक परजीवी पर एक प्रकार का रसायन डाला। और फिर उन्हें लीवर कोशिकाओं के साथ कल्चर किया। इस तरह उन्होंने लगभग 5 लाख रसायनों का अलग-अलग अध्ययन किया।
उन्होंने पाया कि लगभग 6,000 रसायनों ने परजीवियों की वृद्धि को कुशलतापूर्वक रोक कर दिया। जिसमें से ज़्यादातर रसायनों ने लीवर कोशिकाओं को कोई गंभीर क्षति नहीं पहुंचाई। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कितने रसायन दवा के रूप में काम आ सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इन रसायनों का कोई पेटेंट नहीं लिया है ताकि अन्य लोग भी इन पर काम कर सकें। (स्रोत फीचर्स)