पहले किए गए कई अध्ययनों में पता चला था कि स्मार्टफोन या टेबलेट तक पहुंच वाले बच्चों को पर्याप्त नींद नहीं मिलती और वे दिन में सुस्त और उनींदे से रहते हैं। अब एक नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि यह प्रभाव तब भी होता है जब बच्चे इन उपकरणों का इस्तेमाल न करते हों।
पहले सोचा गया था कि स्मार्टफोन, टेबलेट, टीवी वगैरह का नींद उचाटने वाला असर उनमें से निकलने वाले विकिरण की वजह से होता है। सोने के समय के आसपास पोर्टेबल मीडिया उपकरणों का उपयोग करने वाले बच्चों में नींद की समस्या अन्य बच्चों के मुकाबले दुगनी होती है। मगर ताज़ा अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता किंग्स कॉलेज, लंदन के बेन कार्टर कहते हैं कि ऐसा उपकरण पास में हो तो भी नींद में खलल पैदा करता है।
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पहले किए गए 20 अध्ययनों के आंकड़ों का उपयोग किया है। ये अध्ययन 6 से 19 वर्ष उम्र के बच्चों पर किए गए थे और इनमें यह मापा गया था कि इन बच्चों का पोर्टेबल मीडिया से संपर्क कितने घंटों का होता है। वर्तमान अध्ययन में उन आंकड़ों को अलग कर दिया गया था जिनमें टेलीवीज़न, कंप्यूटर या विद्युत-चुंबकीय विकिरण के अन्य स्रोतों से संपर्क का मापन किया गया था। जिन अध्ययनों को शामिल किया गया उनमें कुल मिलाकर 1 लाख 25 हज़ार बच्चों के आंकड़े थे।
सोने से पहले ऐसे उपकरणों के उपयोग का सीधा सम्बंध नींद आने में दिक्कत या अच्छी तरह सो पाने में दिक्कत से देखा गया। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन पीडियाट्रिक्स नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन का निष्कर्ष है कि मीडिया उपकरणों से लैस बच्चों की नींद की मात्रा और गुणवत्ता, दोनों ही बदतर थे।
शोधकर्ताओं ने पाया कि समस्या उन बच्चों को भी आती है जो सोने से पहले इन उपकरणों का उपयोग नहीं करते मगर उन्हें अपने आसपास रखकर सोते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे उपकरण पास होने पर बच्चा लगातार उनके प्रति सजग रहता है और उसे ध्यान रहता है कि वह जिस सोशल मीडिया का सदस्य है वहां कुछ-न-कुछ चल रहा है। बीच में जब नींद टूटती है तो करवट बदलकर सोने की बजाय वह अपने स्मार्ट फोन को चालू करके देख लेता है। वहां 15-20 मेसेज आए पड़े होते हैं और वह उनमें खोकर सोना भूल जाता है।
शोधकर्ताओं का मत है कि यदि आप ऐसी टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हैं और वह सोते समय नज़दीक मौजूद है तो आपका ध्यान वहीं लगा रहता है। इस अध्ययन के परिणामों को देखते हुए उनका मत है कि बच्चों को ऐसे उपकरण पास लेकर नहीं सोने देना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि उस उपकरण में एक समय पर स्विच ऑफ होने की व्यवस्था हो। नींद हमारी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है और अच्छी गुणवत्ता की पर्याप्त नींद सुनिश्चित करना चाहिए। (स्रोत फीचर्स)
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Srote - December 2016
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