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कैपुचिन बन्दर अमेरिकी बन्दरों के पूर्वजों के सबसे अधिक करीब हैं। इन बन्दरों के दाँत चबाने वाले (ग्राइंडर) होते हैं। इनका विस्तार दक्षिणी अमेरिका के हॉण्डुरास से लेकर पैरागुए और अर्जेंटीना तक है। अलग-अलग जगह के कैपुचिंस देखने में एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं, इसलिए इनको चार प्रजातियों में बाँटा गया है। और प्रत्येक प्रजाति भौगोलिक रूप से भी बटी हुई है।

कैपुचिन बहुत ही साहसी जानवर हैं। अन्य किसी भी दूसरे अमेरिकन बन्दर की तुलना में ये बन्धन में रहकर भी कुशलता से अपना काम कर सकते हैं। इनकी इसी विशेषता के कारण ये सामान्यत: सभी चिड़ियाघरों में पाए जाते हैं। कोई भी अगर इनकी हरकतों पर कुछ देर नज़र रखे तो आसानी से समझ जाएगा कि ये कितने बुद्धिमान होते हैं और यही कारण है कि इनके व्यवहार को लेकर बहुत-से अध्ययन किए गए हैं। इस सम्बन्ध में उनके सच्चे प्रतिद्वन्द्वी तो केवल चिम्पैंज़ी ही हैं। यह दिलचस्प है कि ये दोनों बहुत चालाक भी होते हैं।

वैसे एप्स वानरों से हमें आशा होती ही है कि वे बहुत बुद्धिमान होंगे, आखिर वे मनुष्यों के सबसे नज़दीकी रिश्तेदार जो ठहरे। मगर ये अमेरिकी बन्दर जो कि मनुष्य जाति से बहुत दूर हैं, उनका इतना अधिक बुद्धिमान होना अचम्भित करता है। कैपुचिन वस्तुओं की जोड़-तोड़ और उपकरणों के प्रयोग में विशेष रूप से माहिर होते हैं। इसी कारण इन्हें ‘मंकी मेकैनिक्स’के नाम से भी जाना जाता है।

कैपुचिन को आधुनिक विश्व का सबसे स्मार्ट बन्दर माना गया है। यह दावा प्रमुखत: शिकागो विश्वविद्यालय के डॉक्टर हेंरिक क्ल्युवर के कैपुचिन के साथ किए एक प्रयोग पर आधारित है। प्रयोग के लिए एक कमरे में एक भूखे कैपुचिन को बाँध दिया गया और उसकी पहुँच से दूर कुछ केले रख दिए गए। फिर कमरे में रस्सी से बँधे एक चूहे को भी छोड़ दिया गया। कैपुचिन को उस चूहे से बँधी रस्सी पकड़ने में आधा मिनट भी नहीं लगा। फिर कैपुचिन ने चूहे को केले के ऊपर उछाल दिया। जैसे ही चूहे ने केले को पकड़ा, कैपुचिन ने दोनों को ही झटके से अपनी ओर खींच लिया। जब यही प्रयोग बगैर रस्सी वाले चूहे को कमरे में छोड़कर दोहराया गया तो कैपुचिन ने रस्सी की जगह अपनी पूँछ का इस्तेमाल कर केला हासिल कर लिया।


यह ‘लाइफ - साउथ अमेरिका’ पुस्तक के लेख का सम्पादित रूप है।
अँग्रेज़ी से प्राथमिक अनुवाद: नसीम अख्तर: अँग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। वर्तमान में मुस्कान संस्था, भोपाल में कार्यरत।