के. आर. शर्मा
दरअसल यह सवाल एक बच्चे ने पूछा था और इसी सवाल को 'हमने संदर्भ के पिछले अंक में छापा था। शायद आपने भी इस सवाल का जवाब खोजने की कोशिश की हो। बहरहाल हमने इस सवाल की तहकीकात की।
सबसे पहली बात कि हाथी का बच्चा दूध पीता है यह तो उस सवाल पूछने वाले बच्चे को मालूम है। दूसरा यह कि वह पीता कैसे है, मतलब कि उस बच्चे के दिमाग में दो बाते आई होंगी कि हाथी का बच्चा सूंड से पीता है या मुंह से। ज़ाहिर है कि हाथी जब पानी पीता है तो वह सूंड में भरता है और मुंह में डाल लेता है। सोचिए कि सूंड से वह मूंगफली या एक सिक्का भी ज़मीन से उठा लेता है तो सूंड हाथी के लिए एक खासा हथियार है। वह अपने भोजन को सूंड से ही उठाकर मुंह तक लाता है। केवल पता इतना करना है कि हाथी का बच्चा अपनी मां के थनों से दूध कैसे पीता है?
अनेक लोगों से पूछा कि किसी ने हथिनी को अपने बच्चे को दूध पिलाते देखा है। यानी कि शुद्ध रूप से यह सवाल अवलोकन पर आधारित है। मैंने खुद भी जीवविज्ञान पढ़ा पर मैं भी अचंभित हुआ मुझे भी इस सवाल का जवाब खोजने में दिलचस्पी जागी। सोचा कि क्यों न उन लोगों से पूछा जाए जो हाथी पालते हैं। अक्सर गांवों शहरों में साधु लोग हाथी लेकर घूमते हैं। एक दिन हाथी वाले बाबा से पूछा - बाबा ने कहा हमने हाथी तो पाला है पर बच्चा दूध कैसे पीता है यह कभी नहीं देखा, शायद सूंड से ही पीता होगा। हमने अपनी तहकीकात जारी रखी। इसी बीच अन्य जीवविज्ञानियों से पूछा, उनका भी कहना था कि पढ़ा तो नहीं और देखने में भी नहीं आया। अलबत्ता इस बीच अनेक लोगों से पूछताछ रखी। एक साधु ने बताया कि हां उसने हाथी के बच्चों को दूध पीते देखा है, उसने बताया कि बच्चा मुंह से ही दूध पीता है सूंड से नहीं।
चौपायों जैसे कि गाय भैंस बकरी में थन पिछली टांगों के नज़दीक पेट पर होते हैं जबकि हथिनी के थन अगली टांगों के नज़दीक यानी छाती पर होते हैं। जब बच्चों को दूध पीना होता है तो वह अगली टांगों के पीछे से, बगल से अपनी सूंड को ऊपर करता है और मुंह में दूध चुसता है।