उड़ती गंध ने दूर से ही बता दिया कि बन रही है कहीं अमोनिया, ज़रा देखें कैसे बनाया गया इससे एक फव्वारा।

जब भी विद्यार्थियों को गैसें पढ़ाते हैं तो अमोनिया का ज़िक्र ज़रूर आता ही है। क्योंकि एक तो उसे बनाना आसान है और दूसरा, गुणधर्मों की वजह से उसे पहचानना भी बहुत ही आसान होता है कि कौन-सी गैस बन रही है। यहां पर अमोनिया के गुणधर्मों का इस्तेमाल करते हुए एक जादुई-सा दिखने वाला फव्वारा बनाएंगे। उसके लिए सबसे पहले अमोनिया बना लें।

एक उफननली में लगभग आधा चम्मच नौसादर (अमोनियम क्लोराईड) लो और उसमें कॉस्टिक सोडा (सोडियम हाईड्रॉक्साइड) की तीन-चार टिकिया डालो। फिर चित्र में दिखाए मुताबिक उफननली को गर्म करोपास जाकर सूंघने की कोशिश करने की ज़रूरत नहीं होती, दूर से ही उसकी तेज़ गंध से समझ में आ जाता है कि अमोनिया बनने लगी है।

सामग्रीः

1. ग्लूकोज़ चढ़ाने वाली कांच की बोतल : किसी भी अस्पताल से ऐसी खाली बोतल मिल जाएगी, उसके साथ ही दो छेद वाला कालेरंग का कॉर्क भी होता है।

2. बीकर : 250 मि.ली.का कांच या प्लास्टिक का बीकर।

3. इंजेक्शन की सिरींज : आजकल, प्लास्टिक की डिस्पोजेबल सिरींज का काफी प्रचलन हो गया है। इसलिए किसी अस्पताल से मिल सकती है या फिर दवाई की दुकान से 3-4 रुपए में खरीद लें।

4. फिनोफ्थलीन का रंगहीन सूचक घोल : अगर प्रयोगशाला में फिनोफ्थलीन उपलब्ध न हो तो दवाई की दुकान से परगोलेक्स या वेक्युलेक्स जैसी कोई जुलाब की गोली खरीद सकते हैं। जिसमें सिर्फ फिनोफ्थलीन ही होती है। एक गोली 25 या 50 पैसे में मिल जाएगी। एक गोली पीसकर आधे लीटर पानी में घोलने पर फिनोफ्थलीन का रंगहीन सूचक घोल तैयार हो जाएगा।

5. जेट नली : कांच की नली जो एक तरफ से संकरी हो

6. रबर की नली

7. उफननली

8. कांच की नली

9. एक छेदी रबर कार्क

10. कास्टिक सोडा (सोडियम हाईड्रॉक्साइड)

11. नौसादरे (अमोनियम क्लोराईड)

अब बनाते हैं फव्वारा  

1. एक सूखी उफननली में ऊपर बताए गए रसायन डालकर अमोनिया तैयार करनी होगीउसे एक सूखी ग्लूकोज़ की बोतल में इकट्ठी कर लीजिए। दूसरी नली इसलिए डाली गई है ताकि ऊपर की हवा को बाहर निकलने का मौका मिले

2. जब बोतल में अमोनिया गैस इकट्ठी हो रही है उसी समय आप अन्य तैयारियां कर लें। जिससे बाद में मदद मिलेगी। एक तो इंजेक्शन की सिरींज में पानी भर कर रख लें। और दूसरा, एक बीकर में फिनोफ्थलीन का रंगहीन सूचक घोल तैयार करके भर लें।

3. जैसे ही समझ में आए कि ग्लूकोज़ की बोतल अमोनिया से पूरी तरह भर गई है, यानी कि अमोनिया की तेज़ गंध कक्षा में फैलने लगे, तब कांच की खुली नली को निकालकर उसकी जगह उसी छेद में पानी से भरी हुई इंजेक्शन की सिरींज फंसा दीजिए। यह ध्यान रखिए कि ऐसा करते वक्त पानी की एक बूंद भी बोतल के अंदर नहीं जानी चाहिए।

4. अब रबर की नली को मोड़कर दबाकर उसे उफननली में लगी कांच की नली में से निकाल लीजिए और उसी तरह पकड़े हुए, बंद रखते हुए रबर की नली को फिनोफ्थलीन के रंगहीन सूचक घोल से भरे बीकर में ऊपर तक डुबा दें।

5. बस अब आखिरी कदम है। इंजेक्शन की सिरींज का पिस्टन अचानक दबाकर थोड़ा-सा पानी बोतल में फेंकिए और साथ-ही फिनोफ्थलीन के रंगहीन सूचक घोल में डूबी रबर की नली खुली छोड़ दीजिए| जेट नली में से घुसता हुआ घोल ग्लूकोज़ की बोतल में तेज़ी-से फव्वारे की तरह बनकर फैलेगा और साथ ही रंग बदलकर एकदम लाल भी हो जाएगा।

ऐसा क्यों हुआ?

1. अमोनिया पानी में अति घुलनशील है इसलिए जैसे ही इंजेक्शन की सिरींज से बोतल में थोड़ा-सा पानी डालते हैं तो खूब-सारी अमोनिया उसमें तेज़ी से घुलने लगती है। जिससे बोतल में हवा का दबाव कम होने लगता है और जेट नली के ज़रिए फिनोफ्थेलीन का रंगहीन सूचक घोल ऊपर को खिंचता चला आता है।

2. अमोनिया क्षारीय है इसलिए फिनोफ्थेलीन के रंगहीन घोल को रंगीन बना देती है। इसलिए जेट नली में से ऊपर उठता हुआ रंगहीन घोल अचानक रंगीन फव्वारे में तब्दील हो जाता है।  

3. क्योंकि अमोनिया हवा से हल्की होती है (यानी उसका घनत्व कम होता है) इसलिए ग्लूकोज़ बोतल को उल्टी रखकर अमोनिया को उसमें इकट्ठा किया गया है।  

4. और उसकी तेज़ गंध से ही तो पता चला कि अमोनिया बन रही है।

अगर आप चाहते हैं कि फव्वारा अच्छे से चले :

1. इस प्रयोग में लिए जाने वाले सब उपकरण और रसायन एकदम सूखे होने चाहिए - नहीं तो अमोनिया पहले से ही पानी में घुलने लगेगी और इकट्ठी नहीं होगी।

2. जहां तक संभव हो हर जोड़ को हवाचुस्त रखने की कोशिश कीजिताकि अमोनिया ठीक-से इकट्ठी हो। खास तौर पर अंतिम हिस्से में ताकि बोतल के अंदर दबाव कम होने पर फिनोफ्थेलीन के रंगहीन सूचक घोल के बजाए कहीं हवा अंदर न घुस जा

3. जेट नली का सिरा जितना बारीक होगा - फव्वारा उतनी ही ज्यादा देर तक चलेगा और सुंदर दिखेगा।


(प्रशांत साहू, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा संकलित)


क्या कहता है यह चित्र?

इस चित्र से हम चीटियों के बारे में बहुत कुछ जान सकते हैंक्या आप इस चित्र का विश्लेषण कर सकते हैं, संदर्भ द्वारा एकलव्य, कोठी बाज़ार होशंगाबाद के पते पर अपना विश्लेषण भेजें। सही विश्लेषण को हम अगले अंक में प्रकाशित करेंगे।