Sandarbh - Issue 140 (May-June 2022)
विज्ञान की कक्षा में सामान्य ज्ञान – के.के. मशूद व पुन्य मिश्र [Hindi, PDF]
शिक्षा सिर्फ बौद्धिक दक्षताओं के विकास का ही नहीं, बल्कि मानव के समग्र विकास का उद्देश्य भी रखती है। कई बार विद्यार्थियों को वैज्ञानिक विचारों और अपने सामान्य ज्ञान में टकराव का एहसास होता है। इस तरह के टकरावों को कक्षा में किस तरह से देखा जाए? क्या हम इन सामान्य ज्ञान के विचारों को गलत मानें या फिर मिथक? वैकल्पिक रूप से क्या हम इन विचारों को असली समझ विकसित करने में एक महत्पूवर्ण संसाधन या पूंजी के रूप में देखें? आइए, पढ़ते हैं इन्हीं सब विचारों के बारे में विस्तारपूर्वक उपरोक्त लेख के साथ।
डाकिया डाक लाया - कालू राम शर्मा [Hindi, PDF]
कालू राम शर्मा की किताब ‘खोजबीन का आनंद' होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं का लेखा-जोखा है जिसे कहानी या किस्सागोई शैली में लिखा गया है। आइए, पढ़ते हैं इस पुस्तक के छठवें अंश को इस लेख के साथ जिसमें बच्चों की सवालीराम के साथ वैज्ञानिक जुगुत्सा भी बढ़ी और साथ-ही-साथ सवाल करने की झिझक भी खत्म हुई।
बच्चों के एल्गोरिदम और उनके पीछे का गणित - मंगल पवार और आलोका कान्हेरे [Hindi, PDF]
गणित एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे छोटी उम्र से ही पढ़ाया जाता है। हालाँकि, समस्या यह है कि बहुत-से छात्र इस विषय को पसन्द नहीं करते हैं। है तो यह एक आवश्यक कौशल, लेकिन सूखे अंकों से निपटना अक्सर बच्चों के स्वाद से मेल नहीं खाता। पर जब बच्चे ही अंकों में स्वाद घोलने लगें, तो? उक्त लेख की लेखिकाओं को यह बहुत रुचिकर लगता है कि कैसे कई छात्र सवाल हल करने के वैकल्पिक व अपने ही रास्ते निकाल लेते हैं। बच्चों द्वारा सवालों को हल करने के लिए अपनाए गए तरह-तरह के तरीकों को देखकर, कोई भी सोच में पड़ सकता है कि आखिर उन्हें ये वैकल्पिक तरीके सिखाए किसने। आइए, ऐसे कुछ उदाहरणों के साथ एक कक्षा के छात्रों द्वारा सवालों को हल करने के अलग-अलग तरीकों के बारे में पढ़ते हैं। देखते हैं, कैसे छात्रों ने अपने ही तरीकों से सवालों को हल किया, एक ऐसे वातावरण में जो उन्हें अपने एल्गोरिदम इस्तेमाल करने के लिए न सिर्फ मंज़ूरी देता है बल्कि प्रोत्साहित भी करता है।
गणित की शिक्षा और कक्षा - निदेश सोनी [Hindi, PDF]
गणित एक ऐसा विषय है जिससे बच्चे दूर भागते हैं। क्या हम अपने जीवन के गणित को पाठ्यपुस्तक के गणित से जोड़ सकते हैं जिससे विविध गणितीय अवधारणाओं को बच्चे तेज़ी-से सीख सकें? बहुत-से सुगमकर्ता गणित-शिक्षण के इन तरीकों का अपनी कक्षा में प्रयोग करते हैं और इन कक्षाओं में बच्चे गणित के साथ ज़्यादा सहज नज़र आते हैं। आइए, उक्त लेख और कुछ उदाहरणों के माध्यम से इसे समझने की कोशिश करते हैं।
खुशबू हो हर फूल में, हो हर बच्चा स्कूल में – प्रियंका कुमारी [Hindi, PDF]
नामांकन के बाद बच्चे नियमित रूप से स्कूलों में उपस्थित होकर सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में भी सहभागी बने रहें, यह ज़रूरी है। नामांकन के बाद स्कूल आने के प्रति बच्चों में आकर्षण बनाए रखना, एक कठिन और चुनौतीपूर्ण काम है। खासकर, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ बच्चों में विद्यालय आने की निरन्तरता बनाए रखने के लिए घर से ज़्यादा दबाव नहीं होता है। लेकिन अगर एक शिक्षक चाहे, तो वह तमाम चुनौतियों के बीच और सीमित संसाधनों के साथ राह बना सकता है। ऐसी ही एक शिक्षिका की कोशिशों की कहानी पढ़ते हैं इस लेख में।
स्कूल तो खुल गए हैं लेकिन... - माया पाटीदार [Hindi, PDF]
कोविड -19 महामारी के कारण स्कूल कई महीनों तक बन्द रहे। अब इनके खुलने के उपरान्त शालाएँ लम्बे समय तक बन्द होने का असर हम सीधे तौर पर बच्चों के सीखने पर देख रहे हैं| क्या इस पढ़ाई में हुए नुकसान को पाटा जा सकता है? पढ़ाई के अलावा कक्षा में बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से जोड़े रखने की जद्दोज़हद भी सामने आई है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर की गई कोशिशों के बारे में पढ़ते हैं इस लेख में।
कभी खुशी कभी गम, भावनाओं को जानें हम – अनु गुप्ता व संकेत करकरे [Hindi, PDF]
एकलव्य द्वारा किशोरी स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किशोर-किशोरियों के साथ लगभग 28 माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शालाओं में दो-दो दिवसीय कार्यशालाएँ आयोजित की गई थीं। इन कार्यशालाओं में किशोरों के कई सवाल और अनुभव सामने आए। किशोरावस्था में हो रहे अनेकों बदलाव -- शरीर में, भावनाओं में, रिश्तों में या खुद की पहचान में, को समझने की जद्दोज़हद परन्तु पूछने में झिझक, उनकी जिज्ञासा को और बढ़ा देती है। किशोरों के सवालों और अनुभवों को समेटते हुए किताब ‘बेटा करे सवाल’ में दस अध्याय हैं और यह किशोरावस्था के कई पहलुओं पर चर्चा करती है। आइए, पढ़ते हैं इस किताब के दूसरे अंश को जिसके साथ समझते हैं कि बदलते शरीर, बदलती मानसिक स्थिति और भावनात्मक बदलावों का प्रभाव किशोरों पर कैसे पड़ता है।
बच्चे की दुनिया को देखने की खिड़की - देवी प्रसाद [Hindi, PDF]
बच्चे स्वाभाविक रूप से जिज्ञासु होते हैं और वस्तुओं के साथ खेलने में संलग्न रहते हुए संगीत, लय और रंगों के साथ सीखते भी जाते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, दुनिया के उनके अवलोकन, उनके चित्रों और मूर्तियों में प्रतिबिम्बित होने लगते हैं। शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य कलात्मक संवेदनशीलता का पोषण और रचनात्मक प्रतिक्रियाओं का बढ़ावा होना चाहिए। कला का उपयोग विविध दृष्टिकोणों को सामने लाता है और सीखने की प्रक्रियाओं को समृद्ध करता है। छात्रों को अवलोकन करने, अन्वेषण करने, सोचने और सीखने में सक्षम बनाने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में बच्चे भावनाओं से जुड़ते हैं। बच्चों की कला उनकी दुनिया को देखने की एक खिड़की समान है, तो आइए, उक्त लेख में पढ़ते-समझते हैं उनकी इस अद्भुत दुनिया के बारे में।
खीर - कृष्ण कुमार [Hindi, PDF]
एक अत्यन्त ही रोचक कहानी जो बच्चों की नए कार्य को खुद से करने की उत्सुकता और जल्दबाज़ी को दर्शाती है।
मनुष्य अधिकतर गरीब क्यों रहता है? - सवालीराम [Hindi, PDF]
इस बार के सवालीराम के साथ पढ़ते हैं एक चर्चायुक्त सवाल जो हर किसी के मन को कभी-न-कभी तो ज़रूर झकझोर देता है। यहाँ कुछ पहलू रखे गए हैं, इस उम्मीद के साथ कि पाठक भी अपने विचारों को साझा करेंगे।
जलवायु परिवर्तन को समझने में मददगार खेलकूद [Hindi, PDF]
पिछले कुछ सालों में हुए जलवायु परिवर्तन और पेड़-पौधों पर इसके असर को समझने के लिए एक नया स्रोत सामने आया है – खुले में होने वाले खेलकूद के वीडियो। इस पर हुए अध्ययन आम लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।